उत्तर प्रदेश
आश्रम में बंधक थीं छह नाबालिग लड़कियां, रिहा कराने गई पुलिस टीम पर हमला

फर्जी बाबा बनकर अय्याशी करने वाले लोगों की पोल खुलने लगी है। इस बार उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से एक फर्जी बाबा गिरफ्तार हुआ है। उसके आश्रम से छह नाबालिग लड़कियां भी बरामद हुई हैं, जिन्हें गोपीगंज के नारी निकेतन भेजा गया है। बाबा ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर तंबू में आश्रम चलाता था। राजेंद्र प्रसाद के चार चेलों के साथ गिरफ्तार कर पुलिस पूछताछ कर रही है। उधर डीएम और एसपी के निर्देश पर पुलिस ने ग्राम समाज की जमीन पर बने आश्रम को जमींदोज कर दिया।
मामला औराई थाना क्षेत्र के नटवां औरंगाबाद का है। यहां ग्राम समाज की जमीन पर राजेंद्र प्रसाद नामक दबंग व्यक्ति कब्जा कर आश्रम खोल दिया। खुद को बाबा बताकर भोले-भाले लोगो को झांसा देने लगा। आश्रम से संदिग्ध गतिविधियों का संचालन करने लगा। बाबा के कथित आश्रम में कई लड़कियों की भी मौजूदगी रही। इस बीच एक लड़की के परिवारवालों ने पुलिस को प्रार्थनापत्र देकर बाबा पर लड़की को बंधक बनाने का आरोप लगाया। पुलिस ने लड़की को मुक्त कराया तो बाबा और उनके समर्थकों के बीच टकराव हो गया। सोमवार को बाबा और उसके समर्थकों ने कुछ महिलाओं के साथ सड़क जाम कर दिया। जाम हटाने के लिए पहुंचे पुलिसकर्मियों पर चेलों ने हमला किया तो पुलिसकर्मियों को चोट पहुंची। जिसके बाद पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए आश्रम पर धावा बोला तो पता चला कि यहां आधे दर्जन की संख्या में लड़कियां बंधक बनीं हैं। सभी को मुक्त कराने के साथ नारी निकेतन भेज दिया गया। लड़कियों को मुक्त कराने की टीम में अपर जिलाधिकारी राम सिंह, अपर पुत्र अधीक्षक डॉ. संजय कुमार, एसडीएम केशवनाथ गुप्त, सीओ पवन कुमार, जेई विद्युत, समाज कल्याण अधिकारी, लेबर अधिकारी, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारी शामिल रहे। गांववालों के मुताबिक बाबा आश्रम से संदिग्ध गतिविधियों के जरिए माहौल बिगाड़ने का काम कर रहा था। पुलिस ने बाबा राजेंद्र सिंह पर सरकारी जमीन कब्जा करने और कटिया लगाकर बिजली चोरी करने के मामले में भी मुकदमा दर्ज किया है।
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CM योगी का आदेश, बलिया में वेंटिलेटर, L-3 बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए

बलिया । कोरोना से लोगों के बचाव को लेकर उप्र की योगी सरकार अलर्ट मोड़ पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए सूबे में किए गए चिकित्सा प्रबंधों की रोज समीक्षा कर रहे हैं।
राज्य में रोजाना कितने लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं और उनके इलाज के लिए जिलों में क्या क्या कदम उठाये जा रहे है तथा प्रदेश में प्रतिदिन कितने लोगों ने टीकाकरण कराया, मुख्यमंत्री इसकी भी समीक्षा रोज कर रहे हैं।
जनपद बलिया में वेंटिलेटर व HFNC को फंक्शनल किया जाए तथा एल-3 बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए: #UPCM श्री @myogiadityanath जी
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) April 11, 2021
वहीं बलिया को लेकर सीएम योगी खास निर्देश दिया है सीएम ऑफिस के आफिसियाल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि बलिया में वेंटिलेटर व HFNC को फंक्शनल किया जाए तथा एल-3 बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। बात दें की बलिया में कोरोना के रोज औसतन 100 मरीज मिल रहे हैं , इसी को देखते हुए स्वास्थ विभाग को अलर्ट किया गया है ।
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आरक्षण को लेकर असली पिक्चर अभी बाकी, नई सूची को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

दिल्ली डेस्क : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर पिक्चर अभी बाकी है. नई आरक्षण सूची जारी होते ही इसका मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हाई कोर्ट के वकील अमित कुमार भदौरिया के मुवक्किल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें लखनऊ हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पंचायत चुनाव में 2021 के आरक्षण फॉर्मूले को खारिज करते हुए 2015 के चक्रानुक्रम के आधार पर नए सिरे से सीटों के आवंटन व आरक्षण का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने साफ किया था कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए जारी की गई नई आरक्षण प्रणाली नहीं चलेगी बल्कि 2015 को आधार मानकर ही आरक्षण सूची जारी की जाए. अदालत ने राज्य सरकार को आरक्षण की कार्रवाई 27 मार्च तक पूरी करने को कहा था. हाईकोर्ट ने चुनाव की प्रक्रिया 25 मई तक पूरी कराने का आदेश भी दिया था.
उत्तर प्रदेश
पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किया जाए

लखनऊ। पंचायत चुनावों में आरक्षण पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने स्वयं कहा कि वह वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। वहीं इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक त्रिस्तरीय चुनाव संपन्न कराने के लिए भी आदेश पारित किए हैं।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।
याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किय अजाना उचित नहीं होगा। 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।
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