बलिया स्पेशल
डीएम की पहल पर जल्द सुलझेगा बलिया नगरपालिका का विवाद
बलिया। जिलाधिकारी भवानी सिंह ने नगरपालिका कार्यालय पहुंच कर वहां के विवादों को सुलझाने की पहल की। चेयरमैन व सभासद के साथ बैठकर उन्होंने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द आप दोनों की समस्याओं का समाधान निकल जाएगा। उन्होंने इस विवाद के कारण विकास के बाधित होने को दुखद स्थिति बताया।
जिलाधिकारी ने चेयरमैन व सभासदों से दो टूक कहा कि दोनों को अपनी कमियों में सुधार लाना होगा। जब तक दोनों पक्ष मिलकर काम नहीं करेंगे तब तक वार्डों में अपेक्षित विकास नहीं हो सकेगा। यह भी कहा कि सुधार ना होने की दशा में नगरपालिका के विकास के लिए प्रशासन को अपने तरीके से सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।
दरअसल , सभासदों का कहना था कि फर्जी तरीके से अधिक धनराशि खर्च कर आर्यन ग्रुप को सफाई का जिम्मा दिया गया है। सभासदों ने आर्यन ग्रुप के साथ हुए अनुबन्ध को सभासदों के बीच सार्वजनिक नहीं करने के साथ कई गंभीर आरोप चेयरमैन पर लगाए। इस पर डीएम ने तत्काल अनुबंध पत्र को मंगाया और सभासदों के बीच वितरित किया। इस पर सभासद काफी खुश हुए। जिलाधिकारी ने भरोसा दिलाया कि इसी तरह उनकी हर मांगों पर विचार होगा। कहा कि सभासदों की जो मांगे हैं, सूचीबद्ध तरीके तरीके से लिखित रूप में मुझे दें। सोमवार तक उनको सारी सूचनाएं उपलब्ध करा दी जाएगी।
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कमियां मिलने पर निरस्त होगा अनुबंध
सभासदों ने एक स्वर से आर्यन ग्रुप के अनुबंध को निरस्त करने की मांग की। जिलाधिकारी ने कहा कि अनुबंध के हिसाब से अगर कार्य नहीं मिला तो अनुबंध जरूर निरस्त होगा। लेकिन इसके पहले बकायदा जांच होगी। वहीं नगरपालिका में सेवा प्रदाता कंपनी के कार्य की शिकायत पर जिलाधिकारी ने कंपनी के प्रतिनिधि को निर्देश दिया कि कंपनी के साथ हुए अनुबंध, कर्मियों को उनके खाते में भेजी जाने वाली तनख्वाह का विवरण, ईपीएफ की कटौती व टैक्स संबंधी प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करें। नहीं मिलने पर सभासदों का आरोप तय माना जाएगा और अनुबंध समाप्त हो जाएगा।
मौके पर जांच करने पहुंचे डीएम, मिली गड़बड़ी
सभासदों द्वारा निर्माण में अनियमितता वाह इंजीनियरों की फर्जी रिपोर्ट की शिकायत पर जिलाधिकारी ने कहा कि कोई कार्य बताएं जहां अनियमितता हुई हो। इसके बाद आनंदनगर में हुए इंटरलॉकिंग कार्य की जांच करने मौके पर पहुँच गए। पाया कि इस्टीमेट में रंगीन ईंट लगाना था, लेकिन मौके पर सादा ईंट मिला। जांच के बाद कार्य से वे पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने अधिशासी अधिकारी को निर्देश दिया कि जिस वार्ड में वार्ड में काम हो रहा है वहां के दस वरिष्ठ लोगों का सहमति अनिवार्य रूप से करा लिया जाए। इसी तरह के कुछ अन्य कार्यों की भी जांच कराने की बात कही।
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नपा कार्यालय का किया निरीक्षण, लिपिकों के टेबल बदलने के निर्देश
जिलाधिकारी ने नगरपालिका कार्यालय का बकायदा निरीक्षण किया। उन्होंने प्रत्येक टेबल पर जाकर संबंधित लिपिक से पूछताछ की जाकर संबंधित लिपिक से पूछताछ की की। चेयरमैन ने शिकायत किया कि मेरे निर्देश के के बाद भी लिपिकों के टेबल में बदलाव नहीं किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने शीघ्र ऐसा करने का निर्देश अधिशासी अधिकारी को दिया। स्थानांतरण के बाद चार्ज हस्तानांतरण नहीं करने करने वाले बाबूओं का वेतन रोकने का आदेश दिया। पुराने अभिलेखों को डिजिटलाइज्ड कराने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य अनुभाग, लेखा अनुभाग, प्रकाश अनुभाग में जाकर जरूरी पूछताछ की।
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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बलिया में नक्सलियों के 11 ठिकानों पर NIA ने मारा छापा
बलिया में एनआईए ने नक्सलियों के 11 ठिकानों पर शनिवार को छापा मारा, जहां से तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। एनआईए ने यह कार्रवाई पिछले साल यूपी एटीएस द्वारा बलिया में पकड़े गए पांच नक्सलियों पर दर्ज केस को टेकओवर करने के बाद की है।
बता दें कि यूपीएटीएस ने 15 अगस्त, 2023 को बलिया से नक्सली संगठनों में नई भर्तियां करने में जुटी तारा देवी के साथ लल्लू राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत राजभर व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया था। आरोपितों के कब्जे से नाइन एमएम पिस्टल भी बरामद हुई थी। जांच में सामने आया है कि तारा देवी को बिहार से बलिया भेजा गया था। वह वर्ष 2005 में नक्सलियों से जुड़ी थी और बिहार में हुई बहुचर्चित मधुबन बैंक डकैती में भी शामिल थी।
इसके अलावा लल्लू राम उर्फ अरुन राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राममूरत तथा विनोद साहनी की गिरफ्तारी हुई थी। ये सभी बिहार के बड़े नक्सली कमांडरों के संपर्क में थे।
एनआईए की अब तक की जांच के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत उत्तरी क्षेत्र अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि भाकपा (माओवादी) के नेता, कार्यकर्ताओं और इससे सहानुभूति रखने वाले, ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इस क्षेत्र में संगठन की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
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