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बलिया स्पेशल

जन्मदिन विशेष – देश की आवाज थे बलिया के जयप्रकाश नारायण

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मेरी रूचि सत्ता पर कब्जे में नहीं है, मगर सत्ता पर जनता के नियंत्रण में है.

यह कहना था जे.पी. यानी ‘लोक नायक’ के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण का. वही जेपी जो भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता थे. कहा जाता हैं कि सम्पूर्ण क्रांति की तपिश कितनी तेज हो सकती है इसे देखना हो तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण में देखा जा सकता है.

एक आवाज जिसकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था. जेपी सम्पूर्ण क्रांति की वह चिंगारी थे जो देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी. जेपी घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे. आइए आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं कि कैसे बिहार का एक लड़का बन गया पूरे देश में क्राति की आवाज.
जयप्रकाश नारायण से क्रांतिकारी जेपी बनने का सफर

जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ. उनके पिता का नाम हर्सुदयाल श्रीवास्तव और माता का नाम फूल रानी देवी था. जेपी माता-पिता के चौथे संतान थे. उन्हें 9 साल की उम्र में पढाई के लिए पटना भेजा गया. उन्हें पढ़ने-लिखने का बहुत शौख था. जब जेपी स्कूल में थे तब सरस्वती, प्रभा और प्रताप जैसी पत्रिकाओं को वह अक्सर पढ़ते थे.
18 साल की उम्र में सन 1920 में उनका विवाह प्रभावती देवी से हुआ. विवाह के बाद जेपी एक बार फिर अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए. उन दिनों उनकी पत्नि कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम मे रहने लगी.

एक बार उन्होंने मौलाना अबुल कलाम आजाद का भाषण सुना. कलाम ने अपने भाषण में कहा था ‘नौजवानों अंग्रेज़ी (शिक्षा) का त्याग करो और मैदान में आकर ब्रिटिश हुक़ूमत की ढहती दीवारों को धराशायी करो और ऐसे हिन्दुस्तान का निर्माण करो, जो सारे आलम में ख़ुशबू पैदा करे’

इस भाषण से वह बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने पटना कॉलेज छोड़कर ‘बिहार विद्यापीठ’ में दाखिला ले लिया. बिहार विद्यापीठ में पढाई के पश्चात सन 1922 में जयप्रकाश आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए.

अमेरिका में जेपी अपनी पढ़ाई के लिए खुद खर्चा निकालते थे. इसके लिए वह खेतों, कंपनियों, रेस्टोरेंट में काम किया करते थे. इसी दौरान जेपी ने श्रमिक वर्ग के होने वाली कठिनाईयों के बारे में जाना. जेपी शुरुआत से ही मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित रहे. एम.ए. की डिग्री हासिल करने के बाद मां की खराब सेहत की वजह से उन्हें भारत वापस आना पड़ा.

जब जेपी 1929 में अमेरिका से भारत लौटे तो स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था. धीरे-धीरे जेपी भी इससे अछूता नहीं रहे और जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के संपर्क में आए. इसके बाद वह स्वतंत्रता संग्राम के हिस्सा बने. जेपी 1932 मे सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जब गांधी, नेहरू समेत अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी जेल चले गए तब भारत के अलग-अलग हिस्सों मे आंदोलन को दिशा दी. अंत में अंग्रेजी सरकार ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया और नासिक जेल में बंद कर दिया.

जेल में उनकी मुलाकात कई अन्य नेताओं और स्वतंत्रता सैनानियों से हुई. जेपी नासिक के जेल में अच्युत पटवर्धन, एम आर मासानी, अशोक मेहता जैसे नेताओं से मिले. बाद में इन सभी ने मिलकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (सी.एस.पी) बनाई और जब 1934 में पहली बार कांग्रेस ने चुनाव में हिस्सा लेने का निर्णय लिया तो कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी ने इसका खुले तौर पर विरोध किया.जब देश को आजादी मिली तो उसके बाद भी जेपी लगातार समाजिक न्याय के लिए खड़े दिखाई दिए

जब देश आजाद हुआ तो सरकार ने कई घोटाले किए जिससे देश को और देशवासियों को भारी नुकसान हुआ. ऐसी स्थिति में जेपी एकबार फिर आगे आए और युवाओं में जोश भरा. बेरोजगारी , भूखमरी से परेशान युवाओं से जेपी ने सत्ता परिवर्तन के लिए-’संपूर्ण क्रांति’ की बात कही लेकिन उनका साफ कहना था कि संपूर्ण क्रांति का रास्ता अहिंसक होगा. सत्ता के खिलाफ जब पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने एक आवाज में कहा था

जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो
समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो

बस फिर क्या था, जो जेपी कभी कांग्रेस के समर्थक हुआ करते थे वही आजादी के 2 दशक बाद इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट और अलोकतांत्रिक तरीकों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. 1975 में इंदिरा गांधी पर चुनाव में धांधली का आरोप साबित हो गया और जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की.

इंदिरा गांधी ने इसके विरोध में देश में अपातकाल लगा दिया और जे.पी. समेत हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में डलवा दिया. जेल में जेपी की तबियत खराब रहने लगी. देश भर में जेपी ने जो क्रांति की लौ जलाई थी वह जल रही थी और फिर जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल हटाने का फैसला किया. मार्च 1977 में चुनाव हुए और लोकनायक के “संपूर्ण क्रांति आदोलन” के चलते भारत में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. इस प्रकार जयप्रकाश ने ग़ैर साम्यवादी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करके जनता पार्टी का निर्माण किया. इस जीत का मुख्य चेहरा जयप्रकाश थे लेकिन उन्होंने स्वयं राजनीतिक पद से दूर रहकर मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री मनोनीत किया.

खराब सेहत से परेशान जेपी को 12 नवम्बर 1976 को रिहा कर दिया गया था. इलाज के दौरान पता चला कि उनकी किडनी ख़राब हो गयी थी जिसके बाद वो डायलिसिस पर ही रहे. आखिर कार 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में ह्रदय रोग के कारण उनका निधन गहो गया.
उनके अहिंसावादी आंदोलन की सूरत को देखकर कुछ लोगों ने उन्हें ‘आजाद भारत के गांधी’ की उपाधि दी थी. भारत सरकार ने उन्हें सन 1998 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा, सन 1965 में उन्हें समाज सेवा के लिए ‘मैगसेसे’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

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बलिया स्पेशल

बीजेपी प्रत्याशी की जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ी भीड़, रवीन्द्र कुशवाहा बोले- तीसरी बार मोदी बनेंगे पीएम

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बलिया। सलेमपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद और वर्तमान प्रत्याशी रवीन्द्र कुशवाहा को फिर से टिकट मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता जगह- जगह स्वागत कर रहे हैं। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को स्वागत और जन आशीर्वाद यात्रा मनियर से प्रारंभ होकर बांसडीह पहुंची। बांसडीह स्थित सप्तऋऋषि चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया।

स्वागत में उमड़े जनसैलाब ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। साथ ही सांसद के ऊपर पुष्प वर्षा किया। तत्पश्चात सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने कचहरी स्थित मां दुर्गा के दरबार में पहुंच कर पूजा अर्चना किया। जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे सांसद रवीन्द्र कुशवाहा का विधायक केतकी सिंह के नेतृत्व में बांसडीह चौराहे पर कार्यकर्ताओं ने स्वागत

किया। इस दौरान सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने अपने पांच वर्षों की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि पूरा देश प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर गर्व कर रहा है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये प्रधानमंत्री अग्रसर है। अबकी बार 400 से ऊपर सीटे जीतकर तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। विधायक केतकी सिंह ने कहा कि सलेमपुर क्षेत्र से पुनः रवीन्द्र कुशवाहा तीसरी बार भारी मतों से विजयी होंगे। भाजपा बांसडीह मंडल अध्यक्ष प्रतुल कुमार ओझा ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को अभिनंदन पत्र और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

 

इस मौके पर बैरिया चेयरमैन प्रतिनिधि शिवकुमार वर्मा मंटन,  पूर्व चेयरमैन संजय कुमार सिंह मुन्ना, चंद्रबली वर्मा, राजू गुप्ता, रमेश कान्त, डब्लू गुप्ता, व्यापार मंडल अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, चंद्रमा गिरी, तेज बहादुर रावत, सिंपी सिंह, शिवम गुप्ता, अजय यादव, अरुण पांडेय, अमित यादव, बिट्टूतिवारी, अभिजीत तिवारी, इरफान अहमद, विवेक उपाध्याय, बलिराम साहनी, राकेश वर्मा, गोपाल जी आदि उपस्थित रहे।

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बलिया में भीषण सड़क हादसा अब तक 6 की मौत !

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बलिया के बैरिया में सोमवार देर रात दर्दनाक सड़क हादसा हो गया जिसमें अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है । एनएच 31 पर स्थित बैरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत दुबेछपरा-सुघर छपरा के मध्य अंधा मोड़ पर सोमवार की रात करीब दो बजे ये भीषण हादसा हुआ हादसे में आधा दर्जन लोग घायल भी बताए जा रहे है, जिनमें से चार को वाराणसी रेफर किया गया है। बताया जा रहा है कि, दोकटी थाना क्षेत्र के भगवानपुर निवासी अनवत गुप्ता के घर से खेजुरी थाना क्षेत्र के मासूमपुर गांव में तिलकोत्सव गया था।

तिलकोत्सव में शामिल होने के बाद लोग कमांडर जीप से गांव लौट रहे थे। रात करीब दो बजे जीप अभी बैरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत दुबेछपरा-सुघर छपरा के मध्य स्थित अंधा मोड़ पर पहुंची थी, तभी टमाटर लदी तेज रफ्तार पिकअप ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि एक जीप के परखच्चे उड़ गये और सभी सवार गंभीर रूप से घायल हो गये। पिकअप पलट गई।

वहीं, दूसरी जीप में शामिल लोग भी घायल हो गये। आस-पास के लोगों ने पुलिस और एम्बुलेंस को सूचना दिया। एम्बुलेंस पहुंची तो लोगों ने सभी घायलों को जिला चिकित्सालय भेजा। हादसे में अब तक 6 के मरने की सूचना है। मृतकों के शव को कब्जा पुलिस में लेकर पोस्टमार्टम की कार्यवाही हेतु मोर्चरी हाउस भेजा गया।

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लोकसभा का टिकट मिले या न मिले स्वास्थ्य सेवा की मुहिम लागतार चलती रहेगी- राजेश सिंह दयाल

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दयाल फाउंडेशन Dayal Foundation

बलिया के पूर में शनिवार को  दयाल फाउंडेशन के तरफ से  स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।  यहाँ हजारों की संख्या में लोग इलाज कराने पहुचें थे। यूं तो इस क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से परेशान थे, महंगे अस्पतालों की महगी दवाओं ने इस क्षेत्र को और कमजोर कर दिया था, वहीं सलेमपुर एक नेता ने साहस दिखाया और यहाँ के लोगों के जीवन में नई किरण बिखेर दी। उनके मुफ्त स्वास्थ्य कैंपो ने सिर्फ इसी क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक मरीजों को नया जीवन दिया है। “मेडिसिन मैन” के नाम से प्रसिद्ध राजेश सिंह दयाल ने बलिया और देवरिया में गंभीर बीमारियों का न सिर्फ मुफ्त इलाज करवा बल्कि जनता के चेहरे पर मुस्कान ला दी है।

महीनो से राजेश सिंह दयाल सलेमपुर क्षेत्र में बड़े बड़े स्वस्थ कैम्प का आयोजन करवा रहें हैं। वह भाजपा में बड़े पद पर हैं और इस बार सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ सकतें हैं। उनकी इस पहल को देखते हुए, बलिया और देवरिया के भाजपा नेता और समर्थक भी उनके साथ खड़े हैं। शनिवार को जब बलिया में दयाल फाउंडेशन के डॉक्टर लोगों का मुफ्त इलाज कर रहे थे तब भाजपा के ज़िला अध्यक्ष संजय यादव भी स्थानीय गाँव में  मौजूद थे। इस कैम्प में 1500 मरीजों को मुफ्त स्वास्थ्य जाँच और मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई गईं। भाजपा के कार्यकर्ता भी इस कैप में लोगों कि मदद करते दिखे। संजय यादव ने भी सिविर में आए लोगों से बात कि और उनका हाल जाना।

इस कैम्प में लखनऊ से आए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने लोगों की स्वास्थ्य जांच की और उन्हें आवश्यक सलाह दी। शिविर में ब्लड टेस्ट, ईसीजी, आंखों की जांच जैसी सुविधाएं भी मुफ्त में उपलब्ध थीं। पुरे क्षेत्र में जगह जगह राजेश सिंह दयाल फाउंडेशन द्वारा ऐसे कई निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते रहें हैं। अब तक ऐसी शिविरों में 1 हजार से अधिक मरीजों का मुफ्त मोतियाबिंद ऑपरेशन भी कराया गया है।

शनिवार के शिविर में बलिया के जिलाध्यक्ष की मौजूदगी ने कही न कही बड़ा सन्देश दिया हैं। दयाल सलेमपुर से भाजपा दावेदारों में सबसे मजबूत चहेरा माने जा रहें हैं। संजय यादव का इस मुफ्त स्वस्थ सिविर में रहना यह बताता है कि 2024 के चुनाव में बलिया और देवरिया के भाजपा कार्यकर्ता भी दयाल के नाम से सहमत हैं और सलेमपुर में राजेश सिंह दयाल के नाम पर बढ़ी घोषणा हो सकती हैं

इस कैम्प के दौरान राजेश सिंह दयाल ने पिछले 30 साल से भाजपा से अपने जुड़ाव को व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सामाजिक कार्य राष्ट्रहित से जुड़े हुए हैं। उन्होंने प्रेरणास्रोत के रूप में पीएम मोदी जी का नाम लिया और इसका श्रेय भारतीय जनता पार्टी को दिया। उन्होंने भाजपा को एक परिवार मानते हुए आपस में प्रेमभाव की भावना व्यक्त की।

2014 में दयाल के बड़े बेटे का निधन हो गया था। इसके बाद से वह सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे और राजनीति से परे, राजेश दयाल ने अपने निजी दुख को समाज सेवा में बदल दिया और इस क्षेत्र में कई बड़े काम करने लगे। उनका दयाल फाउंडेशन सालों से सलेमपुर के लोगों की मदद कर रहा हैं। टिकट मिलने कि बात पर उन्होंने कहा सेवा का कोई अंत नहीं, चाहे चुनावी टिकट मिले या न मिले। चुनाव को आधार बनाकर समाज सेवा के कार्यों को करने की बात पर दयाल ने स्पष्ट किया कि उनकी समाज सेवा और स्वास्थ्य सेवा की मुहिम निरंतर चलती रहेगी, टिकट मिले या न मिले ।

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