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बलिया में धड़ल्ले से बिक रहा तेज़ाब, दुकानदार उड़ा रहे क़ानून की धज्जियाँ !

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बलिया डेस्क :  देश में एसिड अटैक के बढ़ते हमलों को देखते हुए सरकार और कई समाज सेवा के संस्‍थानों ने काफी अभियान चलाए। इन सबसे के बावजूद भी बलिया जिले में खुलेआम एसिड बेचा और खरीदा जा रहा है। आलम यह है कि कुछ दुकानदार अपने फायदे और पैसे कमाने के लिए अभी भी खुलेआम तेजाब जैसा जहर बेच रहे है। जिले भर में बिकता बर्बादी का यह सामान इस सच्‍चाई को दिखा रहा है कि इतनी घटनाओं के बाद भी कोई असर नहीं हुआ है।

शहर में बिना अनुमति खुलेआम प्रतिबंधित तेजाब बेचने के लिए भारत सरकार के एक्सप्लोसिव विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है, लेकिन शहर के दुकानदारों के पास इसकी अनुमति नहीं है। जहां सुप्रीम कोर्ट अवैध तेजाब बिक्री को लेकर कानून बनाने की पहल कर रहा है। वहीं, नियमों को ताक पर रखकर शहर में खुलेआम एसिड बिक रही है।

बलिया खबर टीम ने जब शहर की करीब 15 दुकानों पर एसिड मांगा तो दुकानदारों ने बिना किसी डर के एसिड (तेजाब) सामने रख दिया। इस खतरनाक एसिड को कोई भी व्यक्ति 20 से 30 रूपए में खरीद सकता है। शहर में हार्डवेयर, किराना दुकान, स्टेशनरी और रंग की दुकानों पर एसिड आसानी से मिल रहा है। दुकानदारों का कहना है कि गहने चमकाने, बर्तन-सुविधाघर की सफाई सहित विभिन्न कामों के लिए तेजाब का उपयोग किया जाता है। सबसे खतरनाक एसिड सुविधाघर की सफाई के नाम पर बेचा जा रहा है।

ये एसिड हैं जानलेवा– हाइड्रोक्लोरिक, सल्फ्यूरिक, नाइट्रिक, कार्बोलिक एसिड बाजार में आसानी से उपलब्ध हो रहा है, जो इंसान के लिए जानलेवा हैं। यह एसिड इंसान की त्वचा और हड्डियां गलने की क्षमता रखता है।

सल्फ्यूरिक एसिड– यह वाहनों की बैटरियों का अम्लीय पानी बनाने के काम आता है। असामाजिक तत्व बारदात के लिए सामान्यतौर पर इसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह त्वचा और कपड़ा जला देता है। यदि मुंह में चला जाए तो आंते खराब हो जाती है और इससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

नाइट्रिक एसिड– इसका उपयोग स्वर्ण व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। वहीं बर्तन वाले भी इसे उपयोग में लेते हैं। यह एसिड कोई व्यक्ति पी ले तो उसकी किडनी खराब हो जाती है। मृत्यु भी हो जाती है।

हाइड्रोक्लोरिक एसिड– यह मुख्य रूप से घर में शौचालय, टाइल्स, मार्बल फर्श गंदी टंकियों की सफाई करने में उपयोग होता है। इस एसिड के सेवन से व्यक्ति को गैस बनती है। चक्कर आते है और सांसें रूकने लगती है। जिससे उसकी मृत्यू भी हो सकती है।

कार्बोलिक एसिड–  इस एसिड के सेवन से शरीर में जलन होती है। चक्कर आते हैं। साथ ही आक्सीजन की कमी होती है। इससे व्यक्ति कॉमा में भी जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट सख्त, शहर प्रशासन मस्त– देशभर में तेबाज के बढ़ते केसों पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बीते 2013  में ही फटकार लगाते हुए कहा था कि 16 जुलाई तक नीति बनाकर कोर्ट को सूचित करे। वरना कोर्ट फैसला दे देगा। जहां सुप्रीम कोर्ट तेजाब के मामले को लेकर सख्ती बरत रहा है। वहीं, जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते कई जगहों पर खुलेआम तेजाब बिक रहा है।

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वहीं इस मामले सीएमएस डा. बीपी सिंह का कहना है कि  तेजाब मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यदि तेजाब का पीपीएम एक हजार से अधिक हो तो इंसान की जान ले सकता है। तेजाब इंसान की त्वचा के साथ हड्डियां भी गलने की क्षमता रखता है।

प्रकरण पर कार्रवाई-बिना अनुमति खुलेआम प्रतिबंधित तेजाब बेचे जाने  पर एसपी देवेंद्र नाथ  का कहना है की जब कोई अपराधिक प्रकरण बनता है तब पुलिस विभाग इन पर कार्रवाई करता है। शहर में बगैर लाइसेंस बेच रहे तेजाब विक्रेताओं पर संबंधित विभाग कार्रवाई करेगा।

तिलक कुमार 

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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