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बलिया में बिजली आपूर्ति को लेकर डीएम हुए सख्त, लगाये गए 800 आउटसोर्सिंग कर्मी, तीन को सेवा से हटाया गया

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बलिया: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के कार्य बहिष्कार को देखते हुए विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी एसपी शाही ने जरूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने आउटसोर्सिंग स्टाफ को अपने सबस्टेशन पर अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। सभी एसडीएम-सीओ को भी जरूरी दिशा निर्देश जारी किया है।

डीएम श्री शाही ने बताया कि जनपद में 220 केवी के एक व 132 केवी के छह प्राइमरी सब स्टेशन के माध्यम से 33/11 केवी के 44 सब स्टेशन चलते हैं, जिनके जरिए पूरे जिले में विद्युत आपूर्ति की जाती है। इन 44 सब स्टेशन पर आऊटसोर्सिंग फर्म ओरियन सेक्योर साल्युशन प्राईवेट लिमिटेड के माध्यम से 800 से अधिक आऊटसोर्सिंग कर्मचारी लगाये गये हैं। इनमें 190 एसएसओ (सब स्टेशन आफिसर) तथा 610 लाईनमैन हैं। इनकी केन्द्रवार सूची सभी एसडीएम व थाना प्रभारियों को दी गयी है।

बतौर जिलाधिकारी, ऐसी सूचना मिल रही है कि इन संविदा कर्मियों में कुछ के ऊपर नियमित स्टाफ द्वारा दबाव व धमकी दी जा रही है। कुछ शरारती संविदा कर्मी द्वारा दूसरे संविदा कर्मियों को कार्य करने से रोक रहे हैं। इसको लेकर सभी एसडीएम व सीओ को निर्देश दिया है कि संयुक्त रूप से भ्रमण कर यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक सब स्टेशन पर आवश्यक पुलिस बल तैनात रहे। कार्य करने वाले कर्मियों को अन्य हड़ताली कर्मचारी कोई दबाव या धमकी न दे सकें। ऐसा कोई करे तो राजस्व व पुलिस विभाग की ओर से सम्बन्धित के विरूद्ध एस्मा के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज कराई जाय।

गैरहाजिर रहने पर इनकी भी होगी छंटनी- जनपद के 44 सबस्टेशन पर तैनात प्रत्येक संविदा कर्मी (लाईन मैन/एसएसओ) का प्रतिदिन अपने सबस्टेशन पर उपस्थित रहना अनिवार्य है। नहीं रहने पर यह माना जाएगा कि उनके द्वारा आवश्यक जन सेवाओं में बाधा डालने का प्रयास किया जा रहा है, अपनी सेवाओं के प्रति गम्भीर नहीं है। ऐसे में उनकी छंटनी व ब्लैकलिस्टिंग की कार्यवाही तत्काल की जाएगी। उसके स्थान पर वैकल्पिक रूप से आईटीआई प्रशिक्षित या चिन्हित व्यक्ति/युवाओं को लगाया जाएगा। सभी एसडीएम-सीओ अपने अधीनस्थों के माध्यम से प्रत्येक दिन सुबह 11 बजे व रात्रि 11 बजे सभी सबस्टेशन पर एसएसओ व लाईनमैन की उपस्थिति देखेंगे।

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7 अक्टूबर तक मेगर यंत्र नहीं दिए तो होगा मुकदमा- बतौर डीएम, ऐसा संज्ञान में आया है कि विभाग के कुछ नियमित जेई व अन्य स्टाफ सेवाएं बाधित करने के लिए आपूर्ति में फाल्ट उत्पन्न कर रहे हैं। विभागीय रूप से उपलब्ध कराए गए मेगर यन्त्र को जान-बूझ कर अपने घर पर रखें हैं। जिलाधिकारी ने सभी अवर अभियन्ताओं कहा है कि 7 अक्टूबर तक ये यंत्र सम्बन्धित एसडीएम को प्राप्त करा दें। ऐसा नहीं करने वाले जेई के विरूद्ध सम्बन्धित थाना प्रभारी द्वारा एफआईआर दर्ज कराई जाय।

जेनरेटर से जलापूर्ति सुनिश्चित कराई जाए- जिला अधिकारी ने बताया कि प्रशासन, पुलिस व संविदा कर्मियों के संयुक्त प्रयास के बाद भी कुछ नियमित कर्मियों द्वारा अराजकता व जानबूझकर फाल्ट किया जा रहा है। ऐसे में उन्होंने सभी नगरपालिका और नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जनरेटर और पानी की टंकियो के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित कराई जाए। बीएसएनएल, रेलवे, अस्पताल में भी वैकल्पिक रूप से व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।

लोगों से बराबर सम्मान बनाए रखें एसडीएम-सीओ- सभी एसडीएम-सीओ को निर्देश दिया है कि संयुक्त रूप से भ्रमण कर कुछ क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बाधित होने की दशा में परेशान लोगों से नियमित संवाद बनाये रखेगें। उन्हें स्थिति से अवगत कराते रहेगें। साथ ही जनता के सहयोग के साथ रेकी करायेगें कि कुछ अराजक कर्मियों द्वारा विद्युत सेवाओं को बाधित करने के प्रयास को रोका जाय। उन्हें चिन्हित कर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाय।

तीन कर्मियों पर गिरी गाज, सेवा से हटाया गया– जिलाधिकारी ने बताया कि एसएसओ सिकन्दरपुर राजेश राजभर, लाईनमैन रघुनाथपुर जवाहर वर्मा, लाईनमैन मापदह (हल्दीरामपुर) पंकज सिंह द्वारा अन्य कार्यरत संविदा कर्मियों के साथ मारपीट, गाली-गलौज व धमकी दिए जाने की सूचना मिल रही है। पंकज सिंह द्वारा मापदह में ठीक की गयी लाईन को पुनः खराब किया गया व तोड़ा गया है।

इसलिए तीनों कर्मियों को सदैव के लिए ब्लैकलिस्ट करते हुए सेवा से हटाया जाता है। साथ ही सम्बन्धित एसडीएम-सीओ को दिया गया है कि कर्मियों के साथ मारपीट, धमकी देना, सरकारी कार्य में बाधा व आवश्यक जन सेवाओं को बाधित करने के क्रम में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर इनके विरूद्ध कार्यवाही करायें। इनके स्थान पर कर्मी लगाए जाएं। यह भी जांच कराएं कि क्षेत्र में इन कर्मियों द्वारा कितने उपभोक्ताओं से अवैध वसूली की जाती है।

 

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बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित

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बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।

जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।

जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।

बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।

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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज

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बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।

तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

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