बलिया स्पेशल
मामूली कार्यकर्ता से राज्यसभा सांसद, जानें कौन हैं बलिया के सकलदीप राजभर?
बीजेपी ने यूपी की राज्यसभा सीटों के लिये उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। बीजेपी ने प्रदेश से कुल आठ उम्मीदवार की सूची जारी की है जिसमें अरूण जेटली, डॉक्टर अशोक वाजपेयी, विजयपाल तोमर, हरनाथ यादव, कांता कर्दम, डॉ. अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव और सकलदीप राजभर शामिल है।
चार दशक के राजनैतिक कैरियर में प्रधानी के उपर की कोई उपलब्धि नहीं रही। दावेदारी कई बार की लेकिन पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद मौका नहीं दिया। परिवार का भरण-पोषण करने की खातिर बेल्थरा रोड तहसील में दस्तावेज लेखक और मोहर्रिर का काम करते हैं। रहने के लिए किराये पर दो कमरे का मकान है।
बावजूद इसके सकलदीप राजभर सांसद बनने जा रहे हैं। इसके लिए करोड़ो खर्च नहीं करना है बल्कि सिर्फ पर्चा दाखिल करना होगा। भाजपा ने अपनी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य एवं बेल्थरा रोड विधानसभा क्षेत्र के एक साधारण कार्यकर्ता सकलदीप राजभर को राज्यसभा के सांसद बनाने का जो फैसला लिया है उसके दूरगामी परिणाम होंगे।
वही बीजेपी ने पूर्वांचल में राजभर वोटरों की संख्या को देखते हुए राजभर को टिकट देकर लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला है।
सकलदीप राजभर बीजेपी के पुराने नेताओं में से एक हैं और वह काफी समय से संघ से जुड़े हैं।
बेलथरा रोड विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले सकलदीप राजभर ने 2002 में विधानसभा का भी चुनाव लड़ा था, मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इंटर तक शिक्षा ग्रहण करने वाले सकलदीप राजभर 1995 में ग्राम प्रधान का भी चुनाव लड़ा था और कृषि कार्य से भी जुड़े रहे हैं । सकलदीप राजभर तहसील में मोहर्रिर का काम भी कर चुके हैं।
बेल्थरा रोड विधान सभा सुरक्षित हो जाने के बाद सकलदीप राजभर ने 2017 के विधान सभा चुनाव में सिकन्दरपुर से पार्टी में टिकट के लिए दावेदारी की थी, मगर उन्हें टिकट नहीं मिला था । राजभर वोटरों को साधने की कोशिश: सकलदीप राजभर को टिकट देकर बीजेपी ने अपने सहयोगी दल को भी बड़ा झटका दिया है।
पूर्वांचल खासकर बलिया, मऊ, चंदौली और गाजीपुर इलाके में राजभर वोटर चुनाव में निर्णायक भूमिका में होते हैं। इस क्षेत्र में बीजेपी का सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन है। बीजेपी सरकार में शामिल सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अक्सर बीजेपी को लेकर मोर्चा खोलते नजर आते हैं।
ओमप्रकाश राजभर के बयानबाजी से बीजेपी को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले राजभर वोटरों को अपनी ओर खिसकाने में भी जुटी है और राजभर समुदाय के नेताओं को प्रमोट कर रही है। माना जा रहा है कि इसी कड़ी में सकलदीप राजभर को राज्यसभा का टिकट दिया गया है।
बेल्थरा रोड से तीसरे सांसद बनेंगे सकलदीप राजभर
चंद्रशेखर जी के बाद बेल्थरा रोड की अहमियत कुछ कम हो गयी थी लेकिन अब यहां से एक नहीं बल्कि तीन-तीन सांसद होंगे। क्षेत्रीय भाजपा सांसद रविंद्र कुशवाहा के अलावा विधानसभा क्षेत्र से भीमपुरा थाना क्षेत्र के इब्राहिम पट्टी निवासी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं।
उभाव थाना क्षेत्र के ग्राम टगुनिया निवासी हरिनारायण राजभर घोसी से वर्तमान सांसद और अब नगरा थाना क्षेत्र के ग्राम बिहरा हरपुर निवासी सकलदीप राजभर राज्यसभा से भाजपा के नए सदस्य बनने जा रहे हैं। राजभर के जीत जाने के बाद कुल मिलाकर अकेले बेल्थरा रोड विधानसभा क्षेत्र ने तीसरा सांसद देने का काम करेगा।
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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।
बताया जा रहा है कि सफारी में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।
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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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