बलिया स्पेशल
बलिया- वायु सेना में कार्यरत व्यक्ति ने दिया तीन तलाक़, न्याय के लिये दर-दर भटक रही पीड़ित
घनश्याम तिवारी सिकनदरपुर बलिया
बैरिया। मोबाईल फोन पर तीन बार तलाक तलाक तलाक बोला और फिर अपनी पत्नी से सम्बंध तोड़ लिया। अब उसकी पत्नी न्याय के लिये थाना पुलिस व न्यायालय के चक्कर लगा रही हैं।
शुक्रवार को पीड़िता का पति सांसद भरत सिंह से मिलकर अपनी पुत्री को न्याय दिलवाने कि गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अबैध घोषित कर दिया हैं बावजूद इसके जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही हैं।
बैरिया कस्बे कि निवसी सगुफा खातुन पुत्री मु0 मुस्ताक कि सादी मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार 12 अप्रैल 16 को दुबहड़ थाना क्षेत्र के निवासी जावेद इकबाल पुत्र इकबाल अहमद के साथ हुई थी।
जावेद इकबाल भारतीय वायु सेना में कार्यरत हैं। सगुफा का कहना हैं कि सादी के बाद वे राजी खुशी के साथ अपनी ससुराल में रह रही थी। मेरे पति मुझे अपने साथ नौकरी पर भी ले जाने को कहते थे परन्तु अचानक मेरे ससुराल वाले एक राय होकर दहेज कि मांग कर हमारा उत्पीड़न करने लगे। 01 अगस्त 17 को मेरे पति का फोन आया वे भी यह कहने लगे कि तुम्हारे परिवार वाले दहेज कम दिए हैं ।
तुम मेरे लायक नही हो। मेरा यहा एक लड़की जिसका नाम निशा अग्रवाल हैं उससे अफेयर हो गया हैं। कुछ बाद उससे सादी करने वाला हूँ। वह माँ बाप कि इकलौती हैं उसकी सारी प्रापर्टी मेरी हो जायेगी। मेरे परिवार वाले भी राजी हैं।
उन्होंने कहा अगर मेरे साथ रहना हैं तो 10 लाख नकद व एक कार लेकर आवो। मैंने कहा यह सम्भव नही हैं। इतना पैसा हमारे माँ बाप नही दे सकते।उन्होंने फोन पर तीन बार तलाक कहने के बाद फोन रख दिया। उसके बाद से मेरी ससुराल वालो का ब्यवहार बदल गया।वे मुझे और अधिक प्रताड़ित करने लगे।
सगुफा ने बताया कि 02 अगस्त को मेरे देवर जफर इकबाल ने सास ससुर व ननद एक राय होकर मुझे पकड़ लिये तथा मेरा गला दबाकर जान से मारने कि कोशिश करने लगे। मैं किसी तरह जान बचाकर अपने मामा मुख्तार के घर पहुची। उसके बाद से मैं अपने मायके में बैरिया रह रही हु।
अक्टूबर 17 को सगुफा अपने पिता के साथ दुबहड़ थाने में तहरीर दिया परन्तु कुछ नही हुवा। उसके बाद 24 अक्टूबर को उसने बलिया न्यायालय में भी बाद प्रस्तुत कर न्याय कि गुहार लगाई हैं। सगुफा के पिता मुस्ताक मोटर साईकिल के मैकेनिक हैं। उन्होंने सी ओ बैरिया उमेश कुमार व थानाध्यक्ष बैरिया गगन राज सिंह कि मौजूदगी में अपनी पीड़ा से भाजपा सांसद भरत सिंह को अवगत कराया। सांसद ने उन्हें हर सम्भव मदद करने का भरोसा दिया। सगुफा अपने पति के साथ रहना चाहती हैं।
उसने बताया कि उसका पति फेस बुक पर उस लड़की के साथ फोटो डालकर कहा हैं कि वो उस लड़की से सादी कर लिया हैं। सगुफा अपने पति के अधिकारियो से भी बात कर चुकि हैं अधिकारियो ने उसे न्याय देने का भरोसा दिया था परन्तु अब अधिकारी भी फोन नही उठा रहे हैं।
उक्त के सम्बन्ध में सी ओ बैरिया उमेश कुमार ने बताया कि पीड़िता का मामला न्यायालय में हैं। कानून के दायरे में उसकी जो भी सम्भव होगा उसकी मदद कि जायेगी।
featured
बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।
बताया जा रहा है कि सफारी में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।
featured
कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
featured
बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
-
featured2 days ago
कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
-
featured1 week ago
बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
-
featured4 hours ago
बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
-
बलिया2 weeks ago
बलिया: मां की डांट से नाराज़ होकर किशोरी ने खाया ज़हर, अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत
-
बलिया2 weeks ago
बलिया: तेज रफ्तार पिकअप ने बाइक को मारी टक्कर, 1 युवक की मौत, 1 की हालत गम्भीर
-
featured5 days ago
जानें कौन हैं UP बोर्ड 10वीं के बलिया टॉपर, जिन्होंने जिले का नाम किया रोशन!
-
बलिया2 weeks ago
बलिया में अचानक आग का गोला बनी पिकअप गाड़ी, करंट की चपेट में आने से हुआ हादसा
-
बलिया2 weeks ago
बलिया: खेत में सिंचाई के दौरान 2 सगे भाईयों को लगा करंट, एक की मौत