लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पूर्वांचल में मतदान होना है। पूर्वांचल की आधे दर्जन से अधिक हाई प्रोफाइल सीटों पर कांग्रेस, महागठबंधन और भारतीय जनता पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इन इलाकों में भाजपा से नाराज क्षेत्रीय दल उसकी राह में कांटे बो रहे हैं।

वैसे तो 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की इन सीटों पर एक को छोड़कर सभी पर भाजपा या उसके गठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी, लेकिन अब की बार यह हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं। इसके पीछे सपा-बसपा के महागठबंधन की गणित के साथ साथ भाजपा सरकार से उसके समर्थक दलों की नाराजगी भारी पड़ती दिख रही है।

इन सीटों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी संसदीय सीट को छोड़ दिया जाए तो हर सीट पर कांटे का मुकाबला दिख रहा है। इस मुकाबले में कौन बाजी मार ले जाएगा कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। इस चरण में मोदी सरकार के दो मंत्री, समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ साथ मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी रविकिशन के अलावा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मिर्जापुर में उनके सरकार की मंत्री अनुप्रिया पटेल, चंदौली संसदीय सीट पर भाजपा के प्रदेश डॉ महेंद्र नाथ पांडेय, गाजीपुर संसदीय सीट पर कैबिनेट मंत्री मनोज सिन्हा, आज़मगढ़ संसदीय सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, गोरखपुर संसदीय सीट पर योगी आदित्यनाथ के पसंदीदा उम्मीदवार रवि किशन जैसे उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

हर कोई अपनी जीत का दावा भले कर रहा हो, लेकिन चुनावी समीकरण और हवा को देखते हुए कोई भी बाजी पलट सकता है। ऐसे में चुनाव प्रचार में हर कोई जोरशोर से लगा है और कोई भी किसी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहा है।

आइए डालते हैं इन सीटों की गणित पर एक नजर

पीएम मोदी ने वाराणसी से किया नामांकन
पीएम मोदी ने वाराणसी से किया नामांकन

वाराणसी संसदीय सीट

देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है …वाराणसी। यहां पर प्रियंका के मैदान में उतरने की बात खत्म हो जाने के बाद कांग्रेस से एक बार फिर अजय राय मैदान में ताल ठोंक रहे हैं तो वहीं सपा-बसपा गठबंधन ने कई नाटकीय घटनाक्रम के बाद कांग्रेस से दल बदल कर सपा में आईं शालिनी यादव पर दाव लगाया है। हालांकि बीच में सपा-बसपा ने बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया था पर पर्चा खारिज होने के बाद शालिनी यादव को दोबारा समर्थन दे रही है।

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो

गोरखपुर संसदीय सीट

गोरखपुर का नाम लेते ही योगी आदित्यनाथ का नाम जेहन में उभरता है। यहां भाजपा की पहचान योगी से है। 1998 से ही इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा था। योगी आदित्यनाथ यहां से पांच बार सांसद रहे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां उपचुनाव हुए, जिसमें भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी, जबकि सपा-बसपा का गठबंधन योगी की लोकप्रियता पर भारी पड़ा था। गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में 47.4 फीसदी मतदान हुआ था. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में 54.64 फीसदी वोट पड़े थे, जो कि 7.24 प्रतिशत वोट कम थे। सपा प्रत्याशी प्रवीन निषाद ने भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21,961 मतों से हराया था।

आजमगढ़ संसदीय सीट

आजमगढ़ लोकसभा सीट पूर्वांचल की वीवीआईपी सीट में से एक है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां से चुनावी मैदान में हैं, जिनके खिलाफ भाजपा ने भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को उतारा है। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 19 लाख मतदाताओं में से साढ़े तीन लाख से अधिक यादव, तीन लाख से ज्यादा मुसलमान और करीब तीन लाख दलित हैं। यही जातीय गणित अखिलेश की राह को आसान और ‘निरहुआ’ के लिए मुश्किल बना सकता है।

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा की तरफ से मुलायम सिंह यादव चुनावी मैदान में थे। उन्हें यहां बड़ी जीत मिली थी। 2014 में उन्होंने भाजपा के रमाकांत यादव को करीब 50 हजार वोटों से हराया था।

केद्रीय रेलराज्य मंत्री मनोज सिन्हा ( फाइल फोटो) 
केद्रीय रेलराज्य मंत्री मनोज सिन्हा ( फाइल फोटो) 

गाजीपुर संसदीय सीट

पूर्वांचल की तमाम लोकसभा सीट में से गाजीपुर काफी अहम मानी जाती है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जब मनोज सिन्हा को यहां से उम्मीदवार बनाया तो शायद ही किसी ने उनकी जीत की दावे को सही माना था। मोदी लहर में यह सीट भी भाजपामय हो गई और मनोज सिन्हा यहां से जीतकर केंद्रीय मंत्री बने।

केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा एक बार फिर इस सीट से दावेदार हैं, जबकि उनके सामने गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में बीएसपी के अफजाल अंसारी हैं। अफजाल अंसारी बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई हैं और इस सीट से वो 2004 में सांसद रह चुके हैं।

 

भाजपा की उप्र इकाई के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय
भाजपा की उप्र इकाई के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय

चंदौली संसदीय सीट

चंदौली लोकसभा सीट से 2014 में भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए यहां भाजपा का परचम फहराया था। उन्होंने बीएसपी के अनिल कुमार मौर्य को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था। महेन्द्र नाथ पांडेय को पिछली बार 4,14,135 वोट मिले थे। वहीं बसपा के अनिल कुमार मौर्य 2,57,379 वोटों के साथ दूसरे और सपा के रामकिशन 2,04,145 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

अब अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो यदि इस बार सपा-बसपा गठबंधन के तहत दोनों ही उम्मीदवारों के वोट को जोड़ दिया जाए तो वह भाजपा पर भारी पड़ेंगे। इस बार भाजपा के महेंद्र नाथ पांडे के खिलाफ गठबंधन ने संजय चौहान को टिकट दिया है।

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ( फाइल फोटो) 
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ( फाइल फोटो) 

मिर्जापुर संसदीय सीट

मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र से अनुप्रिया पटेल एनडीए की उम्मीदवार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार उनकी राह इतनी आसान नहीं होने वाली है। अनुप्रिया पटेल को 2014 में बसपा प्रत्याशी समुद्र बिंद से 40 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे। अनुप्रिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा के समुद्र बिंद को 2,19,079 मतों के अंतर से हरा दिया। मैदान में कुल 23 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। चुनाव में कांग्रेस तीसरे और सपा चौथे स्थान पर रही थी।

सपा-बसपा गठबंधन के बाद उनकी मुश्किलें इस सीट से बढ़ सकती है। वैसे मिर्जापुर कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। आजादी के बाद से कांग्रेस को यहां 6 बार जीत मिल चुकी है। प्रियंका गांधी के आने के बाद कांग्रेस एक बार फिर यहां पूरे जोश में है।