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बलिया सांसद ने इशारों में MLA सुरेन्द्र सिंह पर साधा निशाना, कहा- “मैं बोलता नहीं हूँ तो ये न समझें डरता हूँ”

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बलिया डेस्क : बागी बलिया का तेवर हमेशा से गर्म रहा है। नेता हों या आम आदमी इसलिए कई बार अपनों से ही भिड़ जाते हैं। पिछले साल  से दो नेताओं की रार खूब सुर्खियां बटोर रही है।

यूं तो बलिया में छह विधायक हैं लेकिन एक नाम हमेशा सुर्ख़ियों में रहता है। बैरिया से विधायक सुरेन्द्र सिंह अपने इलाके की समस्या या विकास की बात भूलते हुए पाकिस्तान, मुसलमान, सपा, बसपा,  ममता को ज़रूर याद रखते हैं। लकिन पिछले साल से अब इनकी जंग बलिया के ही सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त से छिड़ी है।

वीरेंद्र सिंह मस्त उर्फ पहलवान जी और विधायक सुरेंद्र सिंह उर्फ मास्टर की जंग पर विपक्ष सहित जनता खूब चटखारे ले रही है। हालाँकि जब से वीरेंद्र सिंह बलिया से सांसद बने हैं विधायक सुरेंद्र सिंह इशारों में हमला बोलने या आरोप लगाने का मौका कभी नहीं छोड़ते। वहीँ वीरेंद्र सिंह मस्त ने हमेशा चुप्प रहना ही बेहतर समझा।

लेकिन इस बार सांसद विरेंद्र सिंह ने बैरिया के एक कार्यक्रम में पलटवार करते हुए इशारों ही इशारों में विधायक सुरेंद्र सिंह को खरी खरी सुनाई है। उन्होंने कहा है कि मैं यहाँ बोलता नहीं हूँ तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं डरता हूँ। डर इस शरीर में इस जीवन के बाद ही पैदा होगा। डर इस जीवन में पैदा होने वाला नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जिन लोगों को यह लगता है कि संवैधानिक अधिकार प्राप्त कर और मंच-माइक-भाषण के ज़रिए किसी को तबाह कर देंगे तो उन्हें बता दूँ कि सबसे बड़ी अदालत जनता की होती है। उन्होंने आगे कहा कि समय बलवान होता है और आने वाला समय समाधान ज़रूर कर देगा। उन्होंने कहा कि मैं बोलता नहीं हूँ इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है की मैं जानता नहीं हूँ। सबकी ताकत में जानता हूँ।

उन्होंने कहा कि दूसरे के कार्यों में रोड़ा अटकाने वाले खुद रोड़ा बनकर सड़क पर बिखर जाते हैं,और सड़क पर रोड़ा का क्या हश्र होता है यह तो आप लोग बखूबी जानते हैं। मैं यहां कोरोना काल में विगत पांच छः  माह से लागातार रह रहा हूँ और  सब कुछ देख रहा हूं, और समझ रहा हूं, समाज में नफरत फैलाकर कोई समाज का भला नहीं कर पाता है । उन्होंने कालू  सन्याल व चारू मजूमदार जैसे माओवादी नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि इनका क्या हुआ यह देश जानता है।

वहीँ सूत्रों का कहना है कि वीरेंद्र सिंह मस्त और सुरेंद्र सिंह के बीच जंग की वजह दोनों नेताओं के बीच तालमेल न होना है। पार्टी जिले में अंतर्कलह से जूझ रही है। बलिया के पूर्व सांसद भरत सिंह और सुरेंद्र सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी। लेकिन, पार्टी ने भरत सिंह के बजाय वीरेंद्र को टिकट दे दिया था। इस वजह से सुरेंद्र सिंह वीरेंद्र के खिलाफ हैं। यही वजह है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर भी आपसी खींचतान सतह पर आ जा रही है।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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