बलिया स्पेशल
बलिया में कांग्रेस के स्थापना दिवस पर हुआ ध्वजारोहण एवं संदेश यात्रा !
बलिया डेस्क : अखिल भारतीय कांग्रेस के 136वां स्थापना दिवस के अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी भवन बलिया पर ध्वजारोहण किया गया और संविधान की उद्देशिका पढ़ी गई। उसके बाद नगर विधानसभा के अंतर्गत जिला मुख्यालय से हनुमानगंज तक कांग्रेस संदेश यात्रा सैकड़ों साथियों के साथ जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश पांडे के नेतृत्व में पदयात्रा निकाली गई।
कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश पांडे ने संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस के लोगों ने और सेनानियों ने जिस तरह से भारत की जंगे आजादी को लड़कर ब्रितानिया हुकूमत को भगाने का काम किया और देश को आजादी दिलाई इस शानदार इतिहास के लिए कांग्रेस को हमेशा हिंदुस्तान स्वर्ण अक्षरों में याद रखेगा।
आजादी की लड़ाई महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में लड़ी गई और अपार सफलता मिली और अंग्रेजों के दांत खट्टे हो गए आज के परिवेश में वर्तमान सरकार जातिवाद और धर्मवाद को फैलाकर देश में नफरत फैलाना चाहती है। आज देश टूट रहा है जनता के बुनियादी सवालों पर यह सरकार फेल हो चुकी है। कांग्रेस का राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा है। सरकार में आज वही लोग हैं जिन लोगों ने महात्मा गांधी के ऊपर गोली चलाने का काम किया था और हिंदू मुस्लिम को लेकर बराबर नफरत फैलाना चाहते हैं।
कांग्रेस पार्टी के 136वें स्थापना दिवस पर जिलाध्यक्ष श्री @OmprakaashINC जी के नेतृत्व में तिरंगा मार्च निकाला गया।#SelfieWithTiranga #CongressFoundationDay pic.twitter.com/7T8vhZaIbC
— Ballia Congress (@INCBallia) December 28, 2020
हमें भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए एवं शांति विश्व बंधुत्व का समर्थन करते हुए भारतीय संविधान को बचाने का धर्मनिरपेक्षता के प्रति सच्ची निष्ठा और वफादारी राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करने के लिए कांग्रेस कटिबंध है। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में किसानों, नौजवानों, महिलाओं और आमजन की लड़ाई को लङा जा रहा है और कांग्रेस लड़ेगी यही हमारे कांग्रेस का स्थापना दिवस का संदेश देना है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पवन चौबे, जितेंद्र नाथ राय, रामप्रीत यादव, ओम प्रकाश तिवारी, परशुराम, राज नारायण उपाध्याय, मुन्ना उपाध्याय, संतोष चौबे चुन्नू, राजेंद्र चौधरी, सागर सिंह राहुल, गिरीशकांत गांधी, फूलबदन तिवारी, उषा सिंह, रामधनी सिंह, भैया लल्लू सिंह, हरिकेंद्र सिंह, मसूद आलम, हरि शंकर पाठक, विशाल चौरसिया, अंजली चौबे बागी, रूपेश चौबे विवेक ओझा, अभिजीत सिंह, सर्वेश तिवारी, दिनेश राजभर, अरुण यादव, विपिन कुमार पांडे, हरीश कुमार, सूर्यकांत यादव, अमरनाथ रौनियार, विशाल पांडे, प्रकाश मिश्रा,
राजकुमार चौरसिया, लक्ष्मण पासवान, लालू यादव, प्रेम नाथ शुक्ला, विनोद पाठक, राजन कुमार, बलदेव पाठक, दिनेश पाठक, श्रीनिवास यादव, सरिता श्रीवास्तव, जाकिर हुसैन, लालू पाठक, ओमप्रकाश सिंह, राजू सिंह, पप्पू चौहान, राम जी चौधरी, दीनानाथ चौधरी, हरिमोहन वर्मा, सोनू कुमार, गंगेश्वर सिंह, संतोष कुमार चौबे, विनोद पाठक, राधा कृष्ण पाठक, रामा शंकर पाठक, भोला पांडे आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।
बताया जा रहा है कि पिकअप में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।
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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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