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बीजेपी कौरवों जैसी, हत्यारोपी को बनाया है पार्टी अध्यक्ष- राहुल गाँधी

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कांग्रेस महाअधिवेशन में राहुल गाँधी  ने बीजेपी और आरएसएस की तुलना कौरवों से और कांग्रेस की तुलना पांडवों से की। उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र में एक लड़ाई लड़ी गई थी। कौरवों के पास पैसा और घमंड था और पांडवों की सेना छोटी थी। बीजेपी और आरएसएस कौरवों जैसे बन गए हैं और कांग्रेस पांडवों की तरह लड़ रही है। देश जानता है कि बीजेपी के लोग सत्ता के नशे में चूर हैं। बीजेपी ने उस आदमी को अध्यक्ष बनाया है जिस पर हजारों लोगों की हत्या का आरोप है। कांग्रेस ऐसा कभी नहीं कर सकती है।

कांग्रेस प्रेसिडेंट ने कहा, ”नीरव मोदी पीएनबी को 33 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाकर भाग गया। प्रधानमंत्री या वित्त मंत्री घोटालों को लेकर एक शब्द नहीं बोले। नीरव मोदी, उससे पहले ललित मोदी। उन्हीं के सरनेम वाले हमारे पीएम हैं। मोदी ने मोदी को हजारों करोड़ लोन दिया और वो चला गया। देश में मोदी सरनेम भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है।”

2) किसान मर रहे, पीएम कहते हैं योग करो

– ”अच्छे दिन, स्वच्छ भारत और बैंक खाते में 15 लाख का वादा सब जुमले हैं। नोटबंदी, गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी), योग परेड जैसी कई बातें। देश में रोजगार नहीं है, किसान मर रहे हैं, लेकिन पीएम कहते हैं कि चलो इंडिया गेट पर योग करें।”

3) मोदी सोचते हैं वो भगवान हैं

देश के लड़ाई में मारा गया हो।”

2) बीजेपी का मकसद सिर्फ सत्ता छीनना

”बीजेपी का मकसद सिर्फ सत्ता छीनना और गुस्सा करना है। आप हमें मारो-पीटो पर हम गुस्सा नहीं करेंगे, क्योंकि नफरत करना हमें पता ही नहीं है।”

3) 2019 में मोदी आगे नहीं निकल पाएंगे

”पत्रकार हमारे खिलाफ लिखते हैं, लेकिन जब आरएसएस इन्हें मारेगी, काटेगी तब कांग्रेस आपके लिए लड़ेगी। आज दो विचारधाराओं की लड़ाई है। कांग्रेस लगातार चुनाव जीत रही है। मोदी जी सोच रहे हैं कि गुजरात में आगे निकल गए, लेकिन अब 2019 में नहीं निकल पाएंगे।”

4) बीजेपी-आरएसएस गलतियां नहीं मानते

”मैं 15 साल से राजनीति में हूं। कई बार गलतियां भी होती हैं पर हम मान लेते हैं। बीजेपी-आरएसएस कभी नहीं मानती है। मोदी कभी नहीं मानेंगे कि उन्होंने नोटबंदी कर गलती की। हम ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे।”

5) बीजेपी-आरएसएस ने डर फैलाया

”पूरे देश में बीजेपी के लोगों ने डर फैलाया है। पहली बार हमने देखा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जज न्याय के लिए जनता की ओर दौड़ रहे हैं। ये आरएसएस का काम है। हम इंस्टीट्यूशंस की इज्जत करते हैं, लेकिन वो चाहते हैं कि सभी को खत्म कर दिया जाए और सिर्फ आरएसएस हो। सब उनके नीचे काम करें।”

राहुल ने बताया कांग्रेस का विजन

1) कांग्रेस को बदलना होगा

”कांग्रेस को बदलना होगा। युवाओं में शक्ति है, उनके और हमारे नेताओं के बीच एक दीवार है। मेरा पहला काम इसे तोड़ना है। हम सीनियर नेताओं का सम्मान रखते हुए इसे तोड़ेंगे। बस आपको चुनाव तक 6-7 महीने बिना झगड़े के एक रहना है। हम दिखाएंगे कि कैसे चुनाव लड़ा जाता है। मैं सरदार पटेल, नेहरू, आजाद, जगजीवन राम के दौर की कांग्रेस देखना चाहता हूं।”

2) बड़े नाम की बजाय कार्यकर्ताओं को टिकट देने का संकेत

”कार्यकर्ता 10 से 15 साल पार्टी को देता है और उनसे कहा जाता है कि तुम्हारे पास पैसा नहीं है, टिकट नहीं मिलेगा। लेकिन अब उन्हें भी चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। गुजरात में हमने ऐसा किया और मोदी जी सीप्लेन में दिखाई दिए। आगे भी युवाओं को मौका मिलेगा, मोदी फिर सबमरीन में दिखाई देंगे।”

3) जिनमें भी टैलेंट होगा, उन्हें आगे लाऊंगा

”मैं हिंदुस्तान के युवाओं से कहना चाहता हूं कि किसी भी पार्टी की मीटिंग में ऐसा खाली स्टेज देखने को नहीं मिलेगा। कांग्रेस और देश के सभी युवा समझ लें कि यह स्टेज मैंने आपके लिए खाली कराया है। आपकी ताकत के बिना देश को बदलना मुश्किल है, जो भी टैलंटेड लोग हैं उन्हें खींचकर यहां लाऊंगा।”

4) प्यार-भाईचारे से देश को बदलेंगे

”आज दुनिया में दो विजन दिखाई देते हैं, एक चीन और दूसरा अमेरिका का। मैं चाहता हूं कि बीच में भारत का भी विजन दिखाई दे, भाईचारे का। प्यार और भाईचारे से देश को बदलना होगा। देश की जनता की आवाज उठाने से कांग्रेस को कोई नहीं रोक सकता।”

5) हुरनमंद को पैसा मुहैया कराएंगे

”देश में स्किल्ड लोगों के पास पैसा और टेक्नोलॉजी नहीं है। हम उनको बैंकों से जोड़ने का काम करेंगे। किसानों की फसल बर्बाद ना हो इसके लिए फूड प्रोसेसिंग पार्क लगाएंगे। हमारी सरकार किसानों की रक्षा करेगी। जैसे 70 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया था, वैसे ही जरूरत पड़ी तो आगे भी करेंगे।”

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बलिया DM ने किया कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण, बलिया में मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर दिए ये निर्देश

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बलिया जिलाधिकारी रविंद्र कुमार बांसडीह मैरीटार मार्ग स्थित पिंडहरा गांव में बघौली मौजे में आयोजित होने वाले महिला सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जनसभा स्थल, हैलीपेड,सेफ हाउस और रास्ते की मरम्मत और घास फूस एवं झाड़ियों की कटाई एवं साफ-सफाई के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी के निर्देश के क्रम में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने अपनी टीम लगाकर उपलब्ध भूमि की पैमाइश करवाकर जनसभा स्थल और हैलीपेड के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित की।

इस कार्यक्रम स्थल के लिए धान की फसल को कटवा लिया गया है और बचे धान की फसल को कटवा लिया जाएगा। इसके बाद जिलाधिकारी ने पास स्थित लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस की रंगाई पुताई करवाकर, शौचालय सहित अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश अधिशासी अभियंता को दिए।

जिलाधिकारी ने कार्यक्रम स्थल के मंच से 60 मीटर दूर हैलीपेड और जनसभा स्थल से कुछ मीटर की दूरी पर पार्किंग की व्यवस्था करने करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने मौके पर उपस्थित अधिकारियों को मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारियों में तेजी लाने और अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए।

इस निरीक्षण के दौरान सीआर‌ओ त्रिभुवन, अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा शंकर तिवारी,एसडीएम राजेश गुप्ता सहित अन्य अधिकारी और लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

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भाजपा नेता राजेश सिंह दयाल ने परेशान हाल बुजर्ग महिला का कराया इलाज, जीता सबका दिल !

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सलेमपुर/ बलिया :  सलमेपुर लोकसभा के मशहूर समाजसेवी राजेश सिंह दयाल के एक काम ने लोगों का दिल जीत लिया। यूं तो राजेश सिंह लगातार अपने कामों सामाजिक कामों की वजह से चर्चा में रहते हैं। लेकिन इस बार जो हुआ उसकी हर जगह सराहना हो रही है।

बता दें कि सलेमपुर के रहने वाले अरुण चौहान की मां काफी बीमार थीं। उन्हें किडनी और लिवर में कुछ समस्या थी। वे अपनी मां को लेकर लखनऊ पीजीआई पहुंचे, लेकिन वहां हॉस्पिटल स्टाफ छुट्टी पर होने के चलते उनकी मां का इलाज नहीं हो पाया।

इसके बाद परेशान अरुण ने राजेश सिंह को फोन दिया। राजेश सिंह दयाल ने तत्परता दिखाते हुए फौरन महिला को पीजीआई लखनऊ में भर्ती करवाया और उनका इलाज करवाया। राजेश सिंह पिंडी में लगे मुफ्त स्वास्थ्य केंद्र में अरुण चौहान से मिले थे। इसी दौरान उन्होंने उनकी मां का इलाज पीजीआई में करवाने का वादा किया था। राजेश सिंह ने जो वादा किया, उसे निभाया भी और महिला का इलाज करवाया।

गौरतलब है कि सलेमपुर लोक सभा में स्वास्थ व्यवस्था बेहद लचर है। जिसको देखते हुए राजेश सिंह की संस्था दयाल फाउंडेशन लागतार इस इलाके में स्वास्थ कैंप आयोजित कर रही है। इस संस्था से अबतक 1 लाख लोग फायदा उठा चुके हैं। ये कैंप सभी के लिए एकदम फ्री लगाया जाता है। अबतक ये कैंप बलिया के बेलथरा रोड, सिकदंरपुर , रेवती, वहीं देवरिया के भाटपार , पिंडी , सलेमपुर में आयोजीत हो चुका है। दयाल फाउंडेशन की तरफ से बताया गया है कि आगामी नवम्बर माह में बांसडीह , नगरा समेत कई इलाकों में कैंप आयोजित किया जाएगा।

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‘इण्डिया’ गठबंधन में दलित लीडरशीप वाले चेहरे गायब!

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जयराम अनुरागी

लोकसभा 2024 के चुनाव को लेकर देश के दो प्रमुख गठबंधन एनडीए और इण्डिया अभी से अपना – अपना कुनबा बढ़ाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दिये है। केन्द्र में सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपने नये- नये साथियों की तलाश कर अपनी संख्या 38 तक कर ली है। वहीं दुसरी तरफ देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने 23 जून को पटना में एवं 17 व 18 जुलाई को कर्नाटक में बैठक कर 26 दलों की ” इण्डिया ” नामक गठबंधन बनाकर सतारुढ़ भाजपा की नींद उड़ा दी है।इसके बावजूद भी विपक्ष के लिए भाजपा को रोकने की राह आसान नहीं दिख रही है , क्योंकि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी वाले दलित लीडरशीप वाले राजनैतिक दलो के चेहरे पटना एवं कर्नाटक की बैठक से गायब थे । दलित समुदाय से आने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे उस बैठक में जरुर थे , लेकिन वह दलितों के प्रतिनिधि न होकर कांग्रेस के प्रतिनिधि थे।

देश की कुल 542 लोकसभा सीटों मे से 84 सींटे अनुसूचित जाति और 47 सींटे अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित है और देश की 160 सीटों पर दलित मत सीधे निर्णायक भूमिका में है । इतनी बड़ी आबादी का ” इण्डिया ” गठबंधन में कोई प्रतिनिधि नहीं है, जो एक गम्भीर मामला है। देखा जाये तो समाजवादी पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल , जनता दल ( यूनाईटेड) ,सीपीएम , टीएमसी , जनता दल ( सेक्युलर) , टीडीपी , टीआरएस, एनसीपी , अकाली दल , आम आदमी पार्टी और एआईडीएमके में दलित समाज का कोई ऐसा नहीं दिख रहा है , जिनकी राष्ट्रीय राजनीति में कोई चर्चा होती हो । विपक्षी दलों की इस दलित विरोधी मानसिकता के चलते देश के दलित असमंजस में दिख रहे है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किसके साथ रहना है।

अब तक विपक्ष में जो राजनैतिक परिस्थितियां बनी है उसमें दलित चेहरे वैसे ही गायब है , जैसे 2020 के बिहार विधानसभा और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से गायब थे। यही कारण है कि बिहार में तेजस्वी यादव और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनते – बनते रह गये थे। यदि उस समय बिहार में तेजस्वी यादव हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ( हम) के जीतनराम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी( वीआइपी) के मुकेश साहनी तथा उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव आजाद समाज पार्टी ( कांशीराम) के प्रमुख चन्द्रशेखर आज़ाद को साथ ले लिए होते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते । बिहार और उत्तर प्रदेश में दलितों की उठेक्षा कोई नयी बात नहीं है। बिहार में रामबिलास पासवान की भी वहां के तथाकथित पिछड़ो के मसीहा लगातार उपेक्षा करते रहे है। यही कारण है कि रामबिलास पासवान अपना अस्तित्व बचाने के लिए न चाहते हुए भी भाजपा गठबंधन में शामिल होने को मजबुर होते रहे है। वही गलती आज विपक्ष के नेता कर रहे है , जो विपक्षी एकजुटता के लिए कहीं से भी शुभ नहीं है।

सबको पता है कि बहुजन समाज पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी हैऔर इसका जनाधार कमोवेश देश के तेरह राज्यों में है। इसकी मुखिया सुश्री मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चार – चार बार मुख्यमंत्री भी रह चुकी है। अपनी लगातार उपेक्षा देख बसपा सुप्रीमो अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। यदि समय रहते विपक्षी नेताओं ने मायावती से सम्पर्क साधा होता तो शायद ये विपक्षी खेमे में आ सकती थी । इनके बाद देश में दलित युवाओं के आइकान बन चुके आजाद समाज पार्टी( कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आज़ाद है , जिनके नाम पर देश के दलित नौजवान अपनी जान छिड़कते है , जिन्हें टाइम पत्रिका ने फरवरी 2021 में 100 उभरते नेताओं की अपनी वार्षिक सूची में शामिल किया है। हालांकि इनके पास कोई सांसद और विधायक नहीं है , लेकिन ये देश के करोड़ो दलितों को किसी के साथ जोड़ने की कूबत रखते है। अभी हाल ही में 21 जुलाई को जंतर – मंतर पर लाखों की भीड़ जुटाकर अपनी ताकत को दिखा चुके है ।

इन दोनों दलित नेताओें के बाद देश में दलितों के लिए एक और बड़ा नाम है प्रकाश राव अम्बेडकर का , जो भारतीय संविधान के जनक भारत रत्न बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर के प्रपौत्र है और ये देश के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रह चुके है। देश के करोड़ो दलित इनके लिए भी अपनी जान छिड़कते हैं । ये फिलहाल भारतीय बहुजन महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष है। यदि विपक्ष इन तीनों दलित नेताओं को अपने साथ जोड़ने में सफल हो जाते है तो विपक्ष की 2024 की राह बहुत हद तक आसान हो सकती है। इसके लिए विपक्ष के नेताओं को अपना दिल थोड़ा बड़ा करना होगा ।

इन दोनों बैठको में कई दलो से एक ही परिवार के कई – कई सदस्य शामिल हुए थे , लेकिन इसके आयोजकों ने विपक्ष के किसी दलित लीडरशीप वाले नेता को शामिल करना ऊचित नहीं समझा । दलित चिंतक लक्ष्मण सिंह भारती का कहना है कि आजादी के 75 साल बीतने के बावजूद आज भी दलितों के प्रति मानसिकता में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। गांव के दलितों के साथ अलग भेदभाव , दलित ब्यूरोक्रेट के साथ अलग भेदभाव और दलित राजनेताओं के साथ अलग तरह का भेदभाव आज भी जारी है। केवल उसका स्वरुप बदला है। यदि विपक्ष के नेता वास्तव में भाजपा गठबंधन को शिकस्त देना चाहते है तो उसमें दलित हेडेड लीडरशीप को ससम्मान शामिल करना चाहिए । यदि हो सके तो विपक्ष के तरफ से किसी दलित प्रधानमंत्री की घोषणा भी करनी चाहिए । यदि ऐसा होता है तो देश के दलित 1977 के बाद दुसरी बार दलित प्रधानमंत्री बनते देख इण्डिया गठबंधन के साथ तेजी से जुड़ सकते है , जिसका लाभ राष्टीय स्तर पर विपक्ष को मिल सकता है ।

 

लेखक –  दलित सामाजिक संगठनों के प्रादेशिक नेटवर्क ” दलित एक्शन सिविल सोसाइटी उत्तर प्रदेश ” के अध्यक्ष है तथा ” डा० अम्बेडकर फेलोशिप सम्मान 2002 ” राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं पत्रकार है ।

 

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