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नरेंद्र मोदी दुबारा बने प्रधानमंत्री, 57 मंत्रियों संग ली शपथ, जानें मंत्रिमंडल में कौन-कौन
नई दिल्ली: लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने सरकार बनाई है. नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शपथ ग्रहण कराई. पीएम मोदी के साथ-साथ कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की. जानिए नरेंद्र मोदी सरकार में कौन-कौन बनेगा मंत्री.
- राजनाथ सिंह- राजनाथ सिंह 16वीं लोकसभा में भारत के गृह मंत्री थे. वह दो बार बीजेपी की कमान भी संभाल चुके हैं.
- अमित शाह- शाह पहली बार लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं. वह 2014 से बीजेपी के अध्यक्ष हैं.
- नितिन गडकरी- पिछली सरकार में सड़क परिवहन मंत्री थे. बीजेपी अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं.
- डी.वी सदानंद गौड़ा- 16वीं लोकसभा में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री रह चुके हैं.
- निर्मला सीतारमण- सीतारमण पिछली सरकार में रक्षा मंत्री थीं.
- राम विलास पासवान- बीजेपी की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष
- नरेंद्र सिंह तोमर- पिछली सरकार में मंत्री रह चुके नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश के मुरैना से सांसद हैं.
- रविशंकर प्रसाद- 16वीं लोकसभा में कानून एवं न्याय मंत्री रह चुके हैं.
- हरसिमरत कौर- शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर दूसरी बार केंद्रीय मंत्री बनीं.
- थावर चंद गहलोत- एनडीए सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रह चुके हैं गहलोत
- एस जयशंकर- भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में मुख्य भूमिका निभाई है, पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं.
- डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं.
- अर्जुन मुंडा- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं.
- स्मृति ईरानी- एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं.
- डॉ. हर्षवर्धन- एनडीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
- प्रकाश जावड़ेकर- 16वीं लोकसभा में मानव संसाधन मंत्री थे.
- पीयूष गोयल- पिछली सरकार में रेल एवं कोयला मंत्री थे, वित्त मंत्रालय भी संभाला था.
- धर्मेंद्र प्रधान- पिछली सरकार के शासन में पेट्रोलियम मंत्री थे.
- मुख्तार अब्बास नकवी- वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके, पिछली सरकार में भी थे मंत्री.
- प्रहलाद जोशी- कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं.
- डॉ. महेंद्र नाथ पांडे– पिछली सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं.
- अरविंद सावंत- दक्षिण मुंबई से शिवसेना के सांसद हैं.
- गिरिराज सिंह- 16वीं लोकसभा में राज्य मंत्री थे.
- गजेंद्र सिंह शेखावत- पिछली सरकार में कृषि राज्य मंत्री थे.
- संतोष कुमार गंगवार- लगातार आठ बार बरेली से सांसद हैं.
- राव इंद्रजीत सिंह– गुरुग्राम से सांसद इंद्रजीत पिछली सरकार में राज्यमंत्री थे.
- श्रीपद येस्सो नायक- 16वीं लोकसभा में आयुष मंत्रालय के राज्यमंत्री थे.
- डॉ. जितेंद्र सिंह- जम्मू कश्मीर के ऊधमपुर से सांसद जितेंद्र सिंह पिछली सरकार में राज्यमंत्री थे.
- किरण रिजिजू- मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री थे.
- प्रहलाद सिंह पटेल- वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री थे. मध्य प्रदेश के दमोह से सांसद हैं.
- राजकुमार सिंह- पूर्व नौकरशाह रह चुके राजकुमार पिछली सरकार में राज्य मंत्री थे.
- हरदीप सिंह पुरी– मोदी सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं.
- मनसुख मंडाविया- पिछली सरकार में सड़क परिवहन मंत्री रह चुके हैं.
- फग्गन सिंह कुलस्ते- मध्य प्रदेश के मंडला से सांसद कुलस्ते 16वीं लोकसभा में राज्य मंत्री थे.
- अश्विनी कुमार चौबे– पिछली सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री थे.
- अर्जुन राम मेघवाल– मेघवाल पिछली सरकार में राज्य मंत्री थे.
- जनरल वी के सिंह (रिटायर्ड)- पिछली सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे. पूर्व सेना प्रमुख हैं.
- कृष्णपाल गुर्जर- मोदी सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री थे.
- रावसाहिब दानवे- महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं.
- जी कृष्ण रेड्डी- तेलंगाना में अहम भूमिका निभाई है. पहली बार मंत्री पद की शपथ ग्रहण कर रहे हैं.
- पुरुषोत्तम रुपाला- पीछली सरकार में कृषि और पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री थे.
- रामदास अठावले- बीजेपी की सहयोगी आरपीआई के अध्यक्ष अठावले पिछली सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री थे.
- निरंजन ज्योति- पिछली सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री थीं.
- बाबुल सुप्रियो- मोदी सरकार मे भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्री थे.
- डॉ. संजीव कुमार बालियान- मुजफ्फरनगर से बीजेपी के सांसद हैं.
- धोत्रे संजय शामराव- महाराष्ट्र के अकोला से सांसद हैं. लगातार तीसरी बार चुनाव जीते हैं.
- अनुराग सिंह ठाकुर- हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से सांसद हैं. पहली बार राज्यमंत्री बने हैं.
- सुरेश अंगडी- कर्नाटक के बेलगाम से लोकसभा सांसद हैं.
- नित्यानंद राय- बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और उपेंद्र कुशवाहा को हरा संसद में पहुंचे हैं.
- रतनलाल कटारिया- अंबाला से सांसद कटारिया बीजेपी के पुराने नेता हैं.
- वी मुरलीधरन- बीजेपी के राज्यसभा सांसद और केरल पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हैं.
- रेणुका सिंह- छत्तीसगढ़ की सरगुजा लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता.
- सोम प्रकाश- पूर्व नौकरशाह सोम प्रकाश बीजेपी के टिकट पर होशियारपुर से चुनाव जीते हैं.
- रामेश्वर तेली- असम के डिब्रूगढ़ से बीजेपी के सांसद हैं.
- प्रताप चंद्र सारंगी- ओडिशा के मोदी के तौर पर मशहूर हो चुके सारंगी ने लोकसभा चुनाव में करोड़पति उम्मीदवार को हराया था.
- कैलाश चौधरी- राजस्थान के बाड़मेर से सांसद हैं.
- देवश्री चौधरी- पश्चिम बंगाल की रायगंज सीट से सांसद हैं.
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बलिया DM ने किया कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण, बलिया में मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर दिए ये निर्देश
बलिया जिलाधिकारी रविंद्र कुमार बांसडीह मैरीटार मार्ग स्थित पिंडहरा गांव में बघौली मौजे में आयोजित होने वाले महिला सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जनसभा स्थल, हैलीपेड,सेफ हाउस और रास्ते की मरम्मत और घास फूस एवं झाड़ियों की कटाई एवं साफ-सफाई के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी के निर्देश के क्रम में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने अपनी टीम लगाकर उपलब्ध भूमि की पैमाइश करवाकर जनसभा स्थल और हैलीपेड के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित की।
इस कार्यक्रम स्थल के लिए धान की फसल को कटवा लिया गया है और बचे धान की फसल को कटवा लिया जाएगा। इसके बाद जिलाधिकारी ने पास स्थित लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस की रंगाई पुताई करवाकर, शौचालय सहित अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश अधिशासी अभियंता को दिए।
जिलाधिकारी ने कार्यक्रम स्थल के मंच से 60 मीटर दूर हैलीपेड और जनसभा स्थल से कुछ मीटर की दूरी पर पार्किंग की व्यवस्था करने करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने मौके पर उपस्थित अधिकारियों को मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारियों में तेजी लाने और अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए।
इस निरीक्षण के दौरान सीआरओ त्रिभुवन, अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा शंकर तिवारी,एसडीएम राजेश गुप्ता सहित अन्य अधिकारी और लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
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भाजपा नेता राजेश सिंह दयाल ने परेशान हाल बुजर्ग महिला का कराया इलाज, जीता सबका दिल !
सलेमपुर/ बलिया : सलमेपुर लोकसभा के मशहूर समाजसेवी राजेश सिंह दयाल के एक काम ने लोगों का दिल जीत लिया। यूं तो राजेश सिंह लगातार अपने कामों सामाजिक कामों की वजह से चर्चा में रहते हैं। लेकिन इस बार जो हुआ उसकी हर जगह सराहना हो रही है।
बता दें कि सलेमपुर के रहने वाले अरुण चौहान की मां काफी बीमार थीं। उन्हें किडनी और लिवर में कुछ समस्या थी। वे अपनी मां को लेकर लखनऊ पीजीआई पहुंचे, लेकिन वहां हॉस्पिटल स्टाफ छुट्टी पर होने के चलते उनकी मां का इलाज नहीं हो पाया।
इसके बाद परेशान अरुण ने राजेश सिंह को फोन दिया। राजेश सिंह दयाल ने तत्परता दिखाते हुए फौरन महिला को पीजीआई लखनऊ में भर्ती करवाया और उनका इलाज करवाया। राजेश सिंह पिंडी में लगे मुफ्त स्वास्थ्य केंद्र में अरुण चौहान से मिले थे। इसी दौरान उन्होंने उनकी मां का इलाज पीजीआई में करवाने का वादा किया था। राजेश सिंह ने जो वादा किया, उसे निभाया भी और महिला का इलाज करवाया।
गौरतलब है कि सलेमपुर लोक सभा में स्वास्थ व्यवस्था बेहद लचर है। जिसको देखते हुए राजेश सिंह की संस्था दयाल फाउंडेशन लागतार इस इलाके में स्वास्थ कैंप आयोजित कर रही है। इस संस्था से अबतक 1 लाख लोग फायदा उठा चुके हैं। ये कैंप सभी के लिए एकदम फ्री लगाया जाता है। अबतक ये कैंप बलिया के बेलथरा रोड, सिकदंरपुर , रेवती, वहीं देवरिया के भाटपार , पिंडी , सलेमपुर में आयोजीत हो चुका है। दयाल फाउंडेशन की तरफ से बताया गया है कि आगामी नवम्बर माह में बांसडीह , नगरा समेत कई इलाकों में कैंप आयोजित किया जाएगा।
देश
‘इण्डिया’ गठबंधन में दलित लीडरशीप वाले चेहरे गायब!
जयराम अनुरागी
लोकसभा 2024 के चुनाव को लेकर देश के दो प्रमुख गठबंधन एनडीए और इण्डिया अभी से अपना – अपना कुनबा बढ़ाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दिये है। केन्द्र में सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपने नये- नये साथियों की तलाश कर अपनी संख्या 38 तक कर ली है। वहीं दुसरी तरफ देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने 23 जून को पटना में एवं 17 व 18 जुलाई को कर्नाटक में बैठक कर 26 दलों की ” इण्डिया ” नामक गठबंधन बनाकर सतारुढ़ भाजपा की नींद उड़ा दी है।इसके बावजूद भी विपक्ष के लिए भाजपा को रोकने की राह आसान नहीं दिख रही है , क्योंकि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी वाले दलित लीडरशीप वाले राजनैतिक दलो के चेहरे पटना एवं कर्नाटक की बैठक से गायब थे । दलित समुदाय से आने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे उस बैठक में जरुर थे , लेकिन वह दलितों के प्रतिनिधि न होकर कांग्रेस के प्रतिनिधि थे।
देश की कुल 542 लोकसभा सीटों मे से 84 सींटे अनुसूचित जाति और 47 सींटे अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित है और देश की 160 सीटों पर दलित मत सीधे निर्णायक भूमिका में है । इतनी बड़ी आबादी का ” इण्डिया ” गठबंधन में कोई प्रतिनिधि नहीं है, जो एक गम्भीर मामला है। देखा जाये तो समाजवादी पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल , जनता दल ( यूनाईटेड) ,सीपीएम , टीएमसी , जनता दल ( सेक्युलर) , टीडीपी , टीआरएस, एनसीपी , अकाली दल , आम आदमी पार्टी और एआईडीएमके में दलित समाज का कोई ऐसा नहीं दिख रहा है , जिनकी राष्ट्रीय राजनीति में कोई चर्चा होती हो । विपक्षी दलों की इस दलित विरोधी मानसिकता के चलते देश के दलित असमंजस में दिख रहे है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किसके साथ रहना है।
अब तक विपक्ष में जो राजनैतिक परिस्थितियां बनी है उसमें दलित चेहरे वैसे ही गायब है , जैसे 2020 के बिहार विधानसभा और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से गायब थे। यही कारण है कि बिहार में तेजस्वी यादव और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनते – बनते रह गये थे। यदि उस समय बिहार में तेजस्वी यादव हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ( हम) के जीतनराम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी( वीआइपी) के मुकेश साहनी तथा उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव आजाद समाज पार्टी ( कांशीराम) के प्रमुख चन्द्रशेखर आज़ाद को साथ ले लिए होते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते । बिहार और उत्तर प्रदेश में दलितों की उठेक्षा कोई नयी बात नहीं है। बिहार में रामबिलास पासवान की भी वहां के तथाकथित पिछड़ो के मसीहा लगातार उपेक्षा करते रहे है। यही कारण है कि रामबिलास पासवान अपना अस्तित्व बचाने के लिए न चाहते हुए भी भाजपा गठबंधन में शामिल होने को मजबुर होते रहे है। वही गलती आज विपक्ष के नेता कर रहे है , जो विपक्षी एकजुटता के लिए कहीं से भी शुभ नहीं है।
सबको पता है कि बहुजन समाज पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी हैऔर इसका जनाधार कमोवेश देश के तेरह राज्यों में है। इसकी मुखिया सुश्री मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चार – चार बार मुख्यमंत्री भी रह चुकी है। अपनी लगातार उपेक्षा देख बसपा सुप्रीमो अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। यदि समय रहते विपक्षी नेताओं ने मायावती से सम्पर्क साधा होता तो शायद ये विपक्षी खेमे में आ सकती थी । इनके बाद देश में दलित युवाओं के आइकान बन चुके आजाद समाज पार्टी( कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आज़ाद है , जिनके नाम पर देश के दलित नौजवान अपनी जान छिड़कते है , जिन्हें टाइम पत्रिका ने फरवरी 2021 में 100 उभरते नेताओं की अपनी वार्षिक सूची में शामिल किया है। हालांकि इनके पास कोई सांसद और विधायक नहीं है , लेकिन ये देश के करोड़ो दलितों को किसी के साथ जोड़ने की कूबत रखते है। अभी हाल ही में 21 जुलाई को जंतर – मंतर पर लाखों की भीड़ जुटाकर अपनी ताकत को दिखा चुके है ।
इन दोनों दलित नेताओें के बाद देश में दलितों के लिए एक और बड़ा नाम है प्रकाश राव अम्बेडकर का , जो भारतीय संविधान के जनक भारत रत्न बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर के प्रपौत्र है और ये देश के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रह चुके है। देश के करोड़ो दलित इनके लिए भी अपनी जान छिड़कते हैं । ये फिलहाल भारतीय बहुजन महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष है। यदि विपक्ष इन तीनों दलित नेताओं को अपने साथ जोड़ने में सफल हो जाते है तो विपक्ष की 2024 की राह बहुत हद तक आसान हो सकती है। इसके लिए विपक्ष के नेताओं को अपना दिल थोड़ा बड़ा करना होगा ।
इन दोनों बैठको में कई दलो से एक ही परिवार के कई – कई सदस्य शामिल हुए थे , लेकिन इसके आयोजकों ने विपक्ष के किसी दलित लीडरशीप वाले नेता को शामिल करना ऊचित नहीं समझा । दलित चिंतक लक्ष्मण सिंह भारती का कहना है कि आजादी के 75 साल बीतने के बावजूद आज भी दलितों के प्रति मानसिकता में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। गांव के दलितों के साथ अलग भेदभाव , दलित ब्यूरोक्रेट के साथ अलग भेदभाव और दलित राजनेताओं के साथ अलग तरह का भेदभाव आज भी जारी है। केवल उसका स्वरुप बदला है। यदि विपक्ष के नेता वास्तव में भाजपा गठबंधन को शिकस्त देना चाहते है तो उसमें दलित हेडेड लीडरशीप को ससम्मान शामिल करना चाहिए । यदि हो सके तो विपक्ष के तरफ से किसी दलित प्रधानमंत्री की घोषणा भी करनी चाहिए । यदि ऐसा होता है तो देश के दलित 1977 के बाद दुसरी बार दलित प्रधानमंत्री बनते देख इण्डिया गठबंधन के साथ तेजी से जुड़ सकते है , जिसका लाभ राष्टीय स्तर पर विपक्ष को मिल सकता है ।
लेखक – दलित सामाजिक संगठनों के प्रादेशिक नेटवर्क ” दलित एक्शन सिविल सोसाइटी उत्तर प्रदेश ” के अध्यक्ष है तथा ” डा० अम्बेडकर फेलोशिप सम्मान 2002 ” राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं पत्रकार है ।
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