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दो लोगों की मौत के बाद बलिया शहर में डीएम ने 10 जुलाई तक लॉक डाउन का ऐलान किया

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बलिया : बलिया में आज कोरोना से दो लोगों की मौत होने के बाद जिलाधिकारी ने बलिया  शहर और उससे सटे इलाकों में 10 जुलाई तक लॉक डाउन लगाने का फैसला किया है । बलिया में बढ़ते कोरोना केस को देखते हुए जिलाधिकारी ने ये फैसला लिया है । जिलाधिकारी ने लॉक डाउन को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है साथ ही अनावश्यक रूप से सड़कों पर न निकलने की आम लोगों से अपील भी की है ।

आज दो लोगों की कोरोना से मौत 

गौरतलब है कि बलिया में गुरुवार को 15 नया कोरोना पॉजिटिव केस सामने आया हैं। इसमे से 2  व्यक्ति की मौत हो गई है। जिले में अब कुल मरीजों की संख्या 135 हो गई है।

गुरुवार को आई रिपोर्ट में नगर के मिड्ढी में एक, टैगोर नगर में एक और निराला नगर में एक कोरोना पॉजिटिव मिला है।

जिले में अब तक कुल 147 पॉजिटिव केस थे। इसमे से 99मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। उन्हें होम क्वॉरंटीन रहने की सलाह दी गई है। गुरुवार को आई रिपोर्ट में नगर के मिड्ढी में एक, टैगोर नगर में एक और निराला नगर में एक कोरोना पॉजिटिव मिला है।

सोमवार को हुई दो मौत के बाद जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने बलिया शहर व उसके आसपास के शहरी कस्बों में 10 जुलाई तक लॉकडाउन का निर्णय लिया है। इस दौरान इन इलाकों में धारा 144 पूरी तरह प्रभावी रहेगी। खासतौर पर बाजारों में विशेष सख्ती बरती जाएगी।

गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों के साथ बातचीत में जिलाधिकारी ने बताया कि शहर के अलावा आसपास के शहरी स्वरूप वाले 15 इलाके रामपुर महावल, बहेरी, चंद्रशेखरनगर, माल्देपुर, हैबतपुर, परमन्दापुर, निधरिया, जेपीनगर नई बस्ती, जिराबस्ती, परिखरा, तिखमपुर, बहादुरपुर, अमृतपाली, सरसपाली व ओझा के छपरा में कोरोना का मामला आने की वजह से कंटेनमेंट जोन घोषित हुए हैं। इस तरह देखा गया तो हर आधा किलोमीटर के अंदर कण्टेन्मेंट जोन था। इसी को देखते हुए पूरे बलिया शहर व उसके आसपास के इन 15 इलाकों में लॉकडाउन का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में दवा व आवश्यक सेवाओं को छोड़ सभी दुकानें बंद रहेंगी। जिला पूर्ति कार्यालय और जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में एक-एक कर्मचारियों के पॉजिटिव मिलने के बाद इन कार्यालयों को भी बंद कर सेनेटाइज किया जाएगा। जिलाधिकारी ने लोगों से अपील की है कि घरों में ही रहें, बाहर नहीं निकलें। अगर विशेष परिस्थिति में निकलें भी तो मास्क जरूर पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें।

मास्क नहीं पहनने वालों की खैर नहीं

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जिलाधिकारी ने साफ किया है कि अब बाहर कोई भी बिना मास्क पहने निकला तो उस पर जुर्माना की कार्रवाई तो होगी ही, मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। इसके लिए पुलिस विभाग को निर्देश दे दिया गया है। लोगों से अपील की है कि अपनी सुरक्षा का ख्याल खुद रखें और किसी भी कार्रवाई से बचें।

नियंत्रण हुआ तो ठीक वरना बढ़ सकता है लॉकडाउन का दायरा

जिलाधिकारी श्री हरी प्रताप शाही ने बताया कि फिलहाल 10 जुलाई तक शहर और उसके आसपास के इलाके में लॉकडाउन किया गया है। अगर स्थिति नियंत्रित हुई तो ठीक, अन्यथा सभी नगरीय निकायों में लॉकडाउन किया जाएगा। और हां, जरूरत पड़ने पर पूरे जनपद में लॉकडाउन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगर स्थिति नियंत्रित हुई तो बाजारों में रोस्टर के अनुसार व्यवस्था शुरू की जाएगी। इस बार रोस्टर थोड़ा अलग हटके होगा।

केवल बलिया व इससे सटे इलाकों में 42 मामले

डीएम श्री शाही ने बताया कि केवल बलिया व इससे सटे इलाके में 42 केस सामने आए हैं। इनमें 30 केस ऐसे हैं जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। यानी, वह बाहर से आए हुए नहीं है बल्कि बलिया में ही थे। डीएम ने बताया कि 11 मई तक बलिया में एक भी केस नहीं था, 31 मई तक वह संख्या बढ़कर 50 हो गई और आज 154 केस हो गए हैं। उन्होंने बताया कि केवल जून महीने में 104 केस सामने आए। इसमें भी पिछले दस दिनों में 65 कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। उन्होंने बताया ऐसी आशंका पहले ही जाहिर की जा चुकी थी कि नगरीय क्षेत्र में जब शुरुआत होगी तो स्थिति खतरनाक होगी। बाजार खुलने के बाद लोगों में सावधानी व सतर्कता की भारी कमी दिखी। नतीजा स्थानीय स्तर पर संक्रमण खेलना शुरू हो गया है। ऐसे में उन्होंने लोगों से अब गंभीर होकर सावधान रहने की अपील की है।

एक-एक घर का होगा सर्वे

जिलाधिकारी ने बताया कि 10 जुलाई तक घोषित हुए लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अभियान चलाकर एक-एक घर का सर्वे कराया जाएगा। घर में सबसे बात की जाएगी। घर में अगर वृद्ध या बीमारी से ग्रस्त कोई है तो उनकी पूरी जानकारी ली जाएगी। बताया कि इस बंदी का एक उद्देश्य यह भी है।

नगर में आवागमन पर रोक, मदिरा की दुकान भी बन्द

जिलाधिकारी ने बताया कि इस बंदी के दौरान बलिया नगर में आवागमन पर पूरी तरह रोक रहेगी। सार्वजनिक वाहन जैसे टैक्सी, ई-रिक्शा, जीप, टेंपो आदि 10 जुलाई तक नहीं चलेंगी। उन्होंने बताया कि बलिया शहर व इसके आसपास के नगरीय स्वरूप वाले इलाकों में देशी-विदेशी शराब तथा बीयर की दुकान भी बंद रहेगी। धरना प्रदर्शन, सभा, जुलूस, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम पर भी प्रतिबंध रहेगा।

भीड़भाड़ वाले कार्यालयों के सबकी होगी सैम्पलिंग

डीएम ने बताया, जिन कार्यालयों में ज्यादा लोग आते-जाते हैं ऐसे भीड़भाड़ वाले कार्यालयों के सभी अधिकारियों कर्मचारियों की जांच कराने का निर्णय हुआ है। सीएमओ को निर्देश दिया गया है कि कार्यालयों में तिथि तय कर सबकी सैंपलिंग कराएं। उन्होंने बताया कि स्कूल खोलने का आदेश हुआ है, लेकिन बच्चे नहीं आएंगे। स्कूलों में अध्यापक आएंगे, सैनिटाइजेशन कराया जाएगा और शासकीय कार्य ही होगा।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट

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लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.

ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:

सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.

यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.

‘सनातन’ की सियासत:

साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.

साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.

2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.

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