उत्तर प्रदेश
नौकरी की जगह पकौड़ा बेचने की सलाह दे रही मोदी सरकार: मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मायवती ने लोकसभा चुनाव को लेकर चल रही पार्टी की तैयारियों की समीक्षा करने के साथ दिशा-निर्देश भी दिए. मायावती ने जारी बयान में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार संसद में विपक्ष की आवाज दबाने के साथ-साथ संसद के बाहर भी तमाम हथकंडे अपनाकर अपनी कमियां छिपाने का प्रयास कर रही है. सरकार की नीतियां शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी मुहैया कराने के बजाय उन्हें चाय व पकौड़ा बेचने के लिए मजबूर करने वाली हैं.
प्रदेश में हिंसा, भय व आतंक का माहौल है. बीजेपी द्वारा बीजेपी का जंगलराज कायम हो गया है. महंगाई, बेरोजगारी बेकाबू है जिससे भाजपा नेताओं को मुंह छिपाए घूमना पड़ रहा है. सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री को यूपी की चिंता नहीं सताती है, उनका ज्यादा समय विपक्ष को कोसने में बीत रहा है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी को लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का आह्वान किया है. उन्होंने सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करने के लिए सर्वसमाज को पार्टी से जोड़ने की मुहिम को तेज कर जनाधार बढ़ाने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि न तो वह कांग्रेस से डरीं और न ही भाजपा के हथकंडों से हार मानने वाली हैं.
मायावती ने कहा कि भाजपा के लोग खुद को कानून से ऊपर मानकर अपने आपराधिक मुकदमों को वापस कराने की होड़ में लगे हैं. यह कानून के राज से खुला खिलवाड़ नहीं तो क्या है?
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CM योगी का आदेश, बलिया में वेंटिलेटर, L-3 बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए

बलिया । कोरोना से लोगों के बचाव को लेकर उप्र की योगी सरकार अलर्ट मोड़ पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए सूबे में किए गए चिकित्सा प्रबंधों की रोज समीक्षा कर रहे हैं।
राज्य में रोजाना कितने लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं और उनके इलाज के लिए जिलों में क्या क्या कदम उठाये जा रहे है तथा प्रदेश में प्रतिदिन कितने लोगों ने टीकाकरण कराया, मुख्यमंत्री इसकी भी समीक्षा रोज कर रहे हैं।
जनपद बलिया में वेंटिलेटर व HFNC को फंक्शनल किया जाए तथा एल-3 बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए: #UPCM श्री @myogiadityanath जी
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) April 11, 2021
वहीं बलिया को लेकर सीएम योगी खास निर्देश दिया है सीएम ऑफिस के आफिसियाल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि बलिया में वेंटिलेटर व HFNC को फंक्शनल किया जाए तथा एल-3 बेड्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। बात दें की बलिया में कोरोना के रोज औसतन 100 मरीज मिल रहे हैं , इसी को देखते हुए स्वास्थ विभाग को अलर्ट किया गया है ।
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आरक्षण को लेकर असली पिक्चर अभी बाकी, नई सूची को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

दिल्ली डेस्क : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर पिक्चर अभी बाकी है. नई आरक्षण सूची जारी होते ही इसका मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हाई कोर्ट के वकील अमित कुमार भदौरिया के मुवक्किल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें लखनऊ हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पंचायत चुनाव में 2021 के आरक्षण फॉर्मूले को खारिज करते हुए 2015 के चक्रानुक्रम के आधार पर नए सिरे से सीटों के आवंटन व आरक्षण का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने साफ किया था कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए जारी की गई नई आरक्षण प्रणाली नहीं चलेगी बल्कि 2015 को आधार मानकर ही आरक्षण सूची जारी की जाए. अदालत ने राज्य सरकार को आरक्षण की कार्रवाई 27 मार्च तक पूरी करने को कहा था. हाईकोर्ट ने चुनाव की प्रक्रिया 25 मई तक पूरी कराने का आदेश भी दिया था.
उत्तर प्रदेश
पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किया जाए

लखनऊ। पंचायत चुनावों में आरक्षण पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने स्वयं कहा कि वह वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। वहीं इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक त्रिस्तरीय चुनाव संपन्न कराने के लिए भी आदेश पारित किए हैं।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।
याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किय अजाना उचित नहीं होगा। 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।
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