बलिया स्पेशल
खुल गया बलिया में पासपोर्ट आफ़िस, नहीं जाना होगा वाराणसी, सांसद ने किया उद्घाटन
बलिया से सांसद भरत सिंह की पहल पर सरकार ने मुख्य डाकघर में पासपोर्ट कार्यालय बनवाने की व्यवस्था बहाल कर दी गई । सोमवार को सांसद भरत सिंह ने बलिया के प्रधान डाकघर में स्थापित पासपोर्ट कार्यालय का फीता काटकर उद्घाटन किया।
इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिले के लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा। सिंह ने कहा कि बलिया के लोगों को पासपोर्ट की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
इस मुद्दे पर विदेश मंत्रीजी से बलिया में पासपोर्ट आफिस के स्थापना करने की बात रखी। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट बनाने के लिये केंद्र सरकार ने सरलीकरण के साथ सुविधाजनक भी कर दिया है ।
पहले पासपोर्ट बनवाना काफी कठिन काम था तथा उसके लिए अनावश्यक धन भी खर्च होता था, पर वर्तमान मोदी सरकार ने इसे आसान और सुविधाजनक बना दिया है। बता दें की सांसद ने सार्थक पहल करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलकर पासपोर्ट कार्यालय खोलने की सिफारिश की थी।
वही अब पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया अब आसान कर दी गई है. विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट नियमों में कई बड़े बदलाव किये हैं. अब तक पासपोर्ट बनवाने के लिए मंत्रालय ने बर्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य कर रखा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
जानकारी के अनुसार, अब तक 26 जनवरी, 1989 या उसके बाद जन्म लिए लोगों के लिए बर्थ सर्टिफिकेट देना अनिवार्य था, लेकिन अब नगर निगम के रजिस्ट्रार, जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार या सर्टिफाइड अथॉरिटी से बनवाया गया बर्थ सर्टिफिकेट मान्य होगा.
यही नहीं, किसी शैक्षणिक संस्था की तरफ से जारी किया गया ट्रांसफर या स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट भी पूरी तरह से मान्य होगा.
पैन कार्ड, आधार कार्ड या ई-आधार, ड्राइविगं लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड भी पासपोर्ट बनाने के लिए मान्य होंगे.
इसके अलावा माता-पिता का विवरण देना आवश्यक नहीं है. इसकी जगह आप अभिभावक या साधु-संत आध्यात्मिक गुरू का नाम दे सकते हैं.
ध्यान देने वाली बात यह है कि पासपोर्ट फॉर्म में कॉलम की संख्या को भी मंत्रालय ने 15 से घटाकर 9 कर दिया है. इसमेंA, C, D, E, J और K को हटा दिया गया है.
वहीं, अब तक आपको पासपोर्ट के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट, नोटरी आदि से सत्यापन (अटेस्टेशन) करना होता था, लेकिन अब आपको केवल पेपर पर सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा.
पासपोर्ट ऑनलाइन बनाने के लिए ये करें…
1. पासपोर्ट सेवा (Passport Seva) की वेबसाइट पर जाएं।
2. नए यूज़र वाले बॉक्स पर क्लिक करें। यह आपको रजिस्ट्रेशन पेज पर ले जाएगा।
3. अब Passport Seva की वेबसाइट जाएं। आप जिस शहर में रह रहे हैं उसका पासपोर्ट ऑफिस सेलेक्ट करें। यह भी सुनिश्चित करें कि आपने अपना नाम वैसे ही लिखा है जैसे कि आपके डॉक्यूमेंट पर मौजूद है। फॉर्म का बाकी हिस्सा बेहद ही आसान है। यह किसी और वेबसाइट पर साइन अप करने से अलग नहीं।
4. जब काम पूरा हो जाए तब Register पर क्लिक करें।
5. अब जब आपने अपना अकाउंट क्रिएट कर लिया है तो Passport Seva की वेबसाइट पर वापस जाएं।
6. हरे रंग वाले Login बटन पर क्लिक करें।
7. अपना ईमेल आईडी लिखें और Continue पर क्लिक करें।
8. अपना ईमेल, पासवर्ड और इमेज में बने कैरेक्टर्स को टाइप करें। इसके बाद Login पर क्लिक करें।
9. Apply for Fresh Passport/Reissue of Passport पर क्लिक करें।
10. आपके पास दो विकल्प हैं। आप फॉर्म को डाउनलोड करके उसे भरकर फिर वापस वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं, या फिर इसे ऑनलाइन ही भरा जा सकता है। हमारा सुझाव होगा कि आप फॉर्म को ऑनलाइन ही भरें। ऐसा करके आप समय बचा पाएंगे।
अगर आप फॉर्म डाउनलोड करके भरना चाहते हैं तो आप Click here to download the soft copy of the form पर क्लिक करें। यह Alternative 1 पेज पर पहले सबहेडिंग में मौजूद रहता है।
11. अगर आप ऑनलाइन फॉर्म भरना चाहते हैं तो आप Click here to fill the application form online वाले ऑप्शन पर क्लिक करें। यह Alternative 2 पेज के अंदर मौजूद रहता है। हम अब भी आपको इस विकल्प को चुनने का सुझाव देंगे, क्योंकि यह पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने का सबसे आसान तरीका है।
12. अगले पेज पर आपको नए पासपोर्ट या री-इश्यू, सामान्य या तत्काल, 38 पन्ने या 60 पन्ने के बीच चुनना होगा। अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से विकल्प चुनें और इसके बाद Next पेज पर क्लिक करें।
13. आपको अगले पेज में निजी जानकारियां देनी होगीं। इस बात का ध्यान रहे कि आप जो जानकारी दे रहे हैं वो आपके पास मौजूद डॉक्यूमेंट से पूरी तरह से मेल खाती हों। अगर आपको कोई शंका है तो आप इस ऑफिसियल इंस्ट्रक्शन बुकलेट को जांच सकते हैं। फॉर्म भर लेने के बाद निचले हिस्से में दायीं तरफ बने Submit Application बटन पर क्लिक करें।
14. फॉर्म भर लेने के बाद एक बार फिर उस वेबपेज पर वापस जाएं जिसका जिक्र 9वें नंबर के स्टेप में किया गया है।
15. View Saved/Submitted Applications पर क्लिक करें।
16. आप उस एप्लिकेशन को देख पाएंगे जिसे थोड़ी देर पहले सब्मिट किया था। इसके बगल में बने रेडियो बटन पर क्लिक करें। इसके बाद Pay and Schedule Appointment पर क्लिक करें।
17.Online Payment को सेलेक्ट करें और Next पर क्लिक करें।
अब आपके शहर में मौजूद पासपोर्ट सेवा केंद्र की सूची स्क्रीन पर आएगी। इसमें एप्वाइंटमेंट के लिए सबसे नजदीक की तारीख और वक्त का भी जिक्र होगा।
18. PSK Location के बगल में बने ड्रॉप डाउन मेन्यू में से अपनी सुविधा अनुसार एक विकल्प का चुनाव कर लें।
19. इसके बाद इमेज में बने कैरेक्टर्स को टाइप करें। इसके बाद Next पर क्लिक करें।
20. Pay and Book Appointment पर क्लिक करें।
21. यह आपको पेमेंट गेटवे पेज पर ले जाएगा। जैसे ही आपका पेमेंट पूरा हो जाएगा, आप एक बार फिर Passport Seva की वेबसाइट पर पहुंच जाएंगे।
22. अब आप एक पेज देख पाएंगे जिसपर Appointment Confirmation लिखा होगा। इस पेज पर Passport Seva Kendra (PSK) से मिले एप्वाइंटमेंट का पूरा डिटेल मौजूद होगा।
23. Print Application Receipt पर क्लिक करें। अगले पेज पर आप अपने एप्लिकेशन का डिटेल्ड व्यू देख पाएंगे। एक बार फिर Print Application Receipt पर क्लिक करें।
24. अगले पेज पर आप रिसिप्ट का प्रीव्यू देख पाएंगे। एक बार फिर Print Application Receipt पर क्लिक करें। ऐसा करने के बाद आप अपने एप्वाइंटमेंट कंफर्मेशन का प्रिंट आउट ले पाएंगे।
25. आपको पासपोर्ट सेवा केंद्र पर एंट्री के लिए इस रिसिप्ट के प्रिंट आउट की जरूरत पडे़गी।
अब आप निर्धारित समय पर पासपोर्ट सेवा केंद्र पर पहुंच जाएं। हम अपने अनुभव से बता रहे हैं कि अगर आपके पास सारे डाक्यूमेंट मौजूद हैं तो आपको दो घंटे से ज्यादा का वक्त नहीं लगना चाहिए। पुलिस वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद ही आपको आपका पासपोर्ट मिलेगा। इस दौरान आप अपने एप्लिकेशन का स्टेटस यहां जांच सकते हैं।
featured
बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।
बताया जा रहा है कि सफारी में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।
featured
कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
featured
बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
-
featured2 days ago
कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
-
featured1 week ago
बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
-
featured5 hours ago
बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
-
बलिया2 weeks ago
बलिया: मां की डांट से नाराज़ होकर किशोरी ने खाया ज़हर, अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत
-
बलिया2 weeks ago
बलिया: तेज रफ्तार पिकअप ने बाइक को मारी टक्कर, 1 युवक की मौत, 1 की हालत गम्भीर
-
featured5 days ago
जानें कौन हैं UP बोर्ड 10वीं के बलिया टॉपर, जिन्होंने जिले का नाम किया रोशन!
-
बलिया2 weeks ago
बलिया में अचानक आग का गोला बनी पिकअप गाड़ी, करंट की चपेट में आने से हुआ हादसा
-
बलिया2 weeks ago
बलिया: खेत में सिंचाई के दौरान 2 सगे भाईयों को लगा करंट, एक की मौत