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आखिर किस बीमारी की वजह से बनाया गया चारमीनार, किसने और कब बनाया…

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दोस्तों अपने हिंदुस्तान की मशहूर इमारतों पर जब हम नजर डालते हैं तो हमारे मुंह से तारीफ के अलावा कुछ नहीं निकलता . हमारे पास इन इमारतों की इतनी बेशुमार दौलत है कि पूरी दुनिया इस पर आहे भर्ती है . इन्हीं बेशुमार ईमारतों में से एक इमारत का नाम है चारमीनार . दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम चारमीनार पर चर्चा करेंगे चारमीनार कैसे और कब और किसने बनाया ? हैदराबाद की शान और जान चारमीनार की तामीर 1591 में मूसी नदी के तट पर की गई थी . यह भारत की नामचीन इमारतों में शामिल है जिस पर हमारे देश भारत को और भारतवासियों को नाज है .

यह इमारत भारतीय ऐतिहासिक कारनामो का भी एक नमूना है इस पर उर्दू लफ्ज़ से लिखा हुआ चारमीनार बहुत जचता है . चार खूबसूरत मीनारों का दिलकश मंज़र है यह हैदराबाद की शान ही नहीं लोगों की दिलों की जान बन चुका है . चारमीनार को कुतुब शाही राजवंश के पांचवें शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने बनवाया था . जिसके बनने की कहानी बहुत रोचक है .

चारमीनार बनने की वजह कुतुब शाह की एक दुआ थी जो उस वक्त प्लेग नाम की एक बीमारी फैलने पर उन्होंने की थी बीमारी से मुक्ति मिलने पर उन्होंने एक मस्जिद का वादा किया था कहा जाता है कि उन्होंने इसी वादे को पूरा करने के लिए चारमीनार की तामीर कराई . चारमीनार के इर्द-गिर्द बाजारें जगमगाती हैं यहां का लाड बाजार खरीद फरोख्त के लिए मशहूर है .

वहां के बाजार पर्यटकों को लुभाते हैं यह जगह खासकर आभूषणों के खरीद-फरोख्त के लिए जानी जाती है . हम बात करें अगर चार मीनार के निर्माण की तो इसका निर्माण ग्रेनाइट चूना पत्थर और संगमरमर के मिश्रण से हुआ है . हम चारमीनार को फोर टावर के नाम से भी जानते हैं जोकि उर्दू शब्द चारमीनार से बनाया गया है झुकी मीनार के उत्तर में 4 कमान और 4 दरवाजे हैं यह वर्गाकार बनाई गई है .

चारमीनार हर तरफ से 20 मीटर यानी कि 66 फुट लंबी है . इसके बढ़ाने का एक मकसद गोल्कोंडा को हैदराबाद में मिलाने का था . चारमीनार की हर मीनारों पर अट्ठारह सौ नवासी में बनाई गई एक घड़ी लगी हुई है . मीनार की सबसे आखिरी मंज़िल पर जाने के लिए आपको 149 सीढियां चढ़नी पड़ेगी . चारमीनार के बीचो बीच एक छोटा सा फव्वारा जानी तालाब की शक्ल बनी हुई है जहां नमाज पढ़ने से पहले लोग वुज़ू के लिए इस्तेमाल करते हैं . चारमीनार के बाएं तरफ लाड बाज़ार और दाईं तरफ एक शानदार मक्का मस्जिद है . नीचे दी हुई वीडियो में देखें सारा नजारा :

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बलिया:

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बलिया के चितबड़ागांव के जमुना राम मेमोरियल स्कूल में विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों को जागरूक किया जाता है। इसी कड़ी में आज स्कूल में एक दिवसीय कराटे ट्रेनिंग कैम्प और कलर बेल्ट टेस्ट का आयोजन किया गया। ये आयोजन द शोतोकान स्पोर्ट्स कराटे फेडरेशन उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में हुआ। इस मौके पर फेडरेशन उत्तर प्रदेश के महासचिव सेंसई एलबी रावत नेशनल रेफ्री कराटे इण्डिया ऑर्गनाइजेशन की उपस्थिति रही।

इस बेल्ट टेस्ट में कराटे की अलग अलग तकनीकों के बारे में बताया गया, इसमें येल्लो बेल्ट, ओम प्रकाश शर्मा, रजनीश गुप्ता, वेद गुप्ता, अमृतेश सिंह, शिव प्रकाश, प्रियल तिवारी, देवाशीष भूषण, अनुपमाराय, रणबीर कुमार, अनूप यादव, संध्या कुमारी पास हुए।

इसके अलावा ऑरेंज बेल्ट एन्डरीव बघेल, तनय यादव,अनमोल गुप्ता, श्रेयशी सिंह, जयवीर सिंह, ग्रीन बेल्ट स्मृति पाठक, अमित विक्रम मिश्रा, ब्लू बेल्ट अंकित यादव हुए पास हुए खिलाड़ियों कों विद्यालय के प्रधानाचार्य ऐब्री बघेल और विद्यालय के प्रबंध निदेशक तुषार नन्द सभी पास हुए।

इस दौरान विद्यालय के प्रबंधक डॉक्टर धर्मात्मा नन्द जी ने बताया कि बालिकाओं को कराटे एवं सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग लेना बहुत जरुरी है, इससे वे खुद को आत्मनिर्भर बना सकती है। इस मौक़े पर विद्यालय के कराटे कोच सुनील यादव ने महासचिव एल बी रावत का स्वागत अभिनन्दन किया। इस मौके अपर वरिष्ठ खेल प्रशिक्षक सरदार मुहम्मद अफजल, आनन्द मिश्रा, अरविन्द चौबे आदि उपस्थित रहे।

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