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उत्तर प्रदेश

सपा-बसपा की दोस्ती के ये हैं असल हीरो

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बसपा  ने उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सपा  को समर्थन देने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद सपा बसपा में चली आ रही 23 साल की दुश्मनी दोस्ती में बदल गई। यही नहीं जैसे ही यह बात सार्वजनिक हुई उसके बाद काशीराम और मुलायम सिंह के साथ वाली एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो गई। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती हैं। माना जा रहा है कि सपा बसपा ने उपचुनाव में साथ आकर आगे की रणनीति तय कर दी है।

बता दें कि 6 दिन की लंबी बातचीत के बाद यह दुश्मनी दोस्ती में तब्दील हुई है। जाानकारी के मुताबिक 1 मार्च को मायावती ने फूलपुर और गोरखपुर के बसपा कोऑर्डिनेटर को फोन किया और वहां की जनता का मूड जानने की कोशिश की। इसके बाद 2 मार्च को बसपा कोऑर्डिनेटर ने ऐसे उम्मीदवार को सपोर्ट करने का ऐलान किया जो इन सीटों पर भाजपा को हरा सके। वहीं 3 मार्च को सपा प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट करके सपा-बसपा गठबंधन की जानकारी दी।

4 मार्च को बसपा कोऑर्डिनेटरर्स ने सपा नेताओं की मौजूदगी में सपा उम्मीदवारों को सपोर्ट करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हम ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं जो बीजेपी को हरा सके। इसके बाद 4 मार्च को ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गठबंधन को झूठा गठबंधन करार दिया।

बता दें कि दोनों पार्टियों के मेल-मिलाप की यह सरसराहट 27 तारीख को ही शुरू हो गई थी। इस दोस्ती को बढ़ाने में समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोयल यादव और बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने मुख्य भूमिका निभाई। इन दोनों नेताओं ने ही आपस में बात करके इस गठबंधन की नींव रखी थी। इधर राम गोयल यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से तो उधर सतीश चंद्र मिश्रा ने बसपा सुप्रीमो मायावती से सिग्नल मिलने के बाद बात को आगे बढ़ाया।

दूसरे राउंड में यह बात साफ हुई कि राज्यसभा चुनाव में सपा अपने अतिरिक्त वोट बसपा प्रत्याशी को देगी। बदले में विधान परिषद चुनाव में बसपा अपने वोट सपा उम्मीदवार को देगी। इससे सपा के साथ ही बसपा का एक-एक सदस्य राज्यसभा के लिए चुना जाएगा। यह सब तय होने के बाद दोनों ही पार्टियों ने फूलपुर और गोरखपुर की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की। सपा एमएलसी उदयवीर सिंह ने जीरो ग्राउंड पर पहुंचकर आम लोग क्या चाहते हैं इसकी पड़ताल की। इसके बाद दोनों ही पार्टियों ने इस उपचुनाव में साथ आने का ऐलान कर दिया।

बता दें कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को बसपा के समर्थन देने की घोषणा के बाद फूलपुर उपचुनाव के सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं। यहां करीब तीन लाख वोट बसपा के माने जाते हैं। बसपा के तटस्थ रहने पर उसके वोटों में सभी दल सेंध लगाते, लेकिन बसपा सुप्रीमो के आह्वान के बाद अब इन्हें बांटना आसान नहीं होगा। सपा अपने परंपरागत मुस्लिम, यादव और अन्य पिछड़ी जातियों के वोटों के साथ बसपा के वोटों को अपने खाते में जोड़ने के लिए जोर लगाएगी। ऐसे में अब तक मोदी लहर पर सरपट दौड़ रही भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि बसपा सुप्रीमो ने इस घोषणा के साथ 2019 के लिए भी नए सियासी समीकरण की नींव रख दी है। फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 19 लाख 37 हजार से अधिक मतदाता हैं। इनमें पटेल, ब्राह्मण, मुसलमान और दलित मतदाताओं की संख्या तकरीबन तीन-तीन लाख है।

वहीं यादव मतदाता तकरीबन ढाई लाख तथा अन्य पिछड़ों की संख्या डेढ़ लाख के करीब हैं। कायस्थों की संख्या भी करीब दो लाख है। हालांकि, पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सभी जातीय समीकरण टूट गए थे और भाजपा उम्मीदवार ने बड़ी जीत हासिल की थी लेकिन उपचुनाव में सभी दल जातीय समीकरण को साधने की कोशिश में है।

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बसपा विधायक उमाशंकर सिंह समेत 5 विधायक बनें जननायक चंद्रशेखर यूनिवर्सिटी के सदस्य

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बलिया के 2 विधायकों समेत 5 विधायकों को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का सदस्य नामित किया गया है। जिले के 2 विधायकों में जिले के बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई भाजपा की केतकी सिंह और रसड़ा विधानसभा से तीसरी बार विधायक चुने गए बसपा के उमाशंकर सिंह शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के लिए कुल पांच विधायकों को नामित किया है। यह सदस्य संगत अधिनियम के तहत सदन द्वारा विधिवत निर्वाचित माने जाएंगे। इसकी अधिसूचना शनिवार को जारी कर दी गई।

प्रमुख सचिव द्वारा जारी किए गए आदेश में केतकी सिंह और उमाशंकर सिंह के अलावा आजमगढ़ की गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए सपा के नफीस अहमद और देवरिया जिले से विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी और सुरेंद्र चौरसिया को विश्वविद्यालय की सभा का सदस्य नामित किया गया है।

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आज बलिया आएंगे सपा मुखिया अखिलेश यादव, यहां देखें मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम

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बलिया में 27 मई को यानि आज समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बलिया में आ रहे हैं। वे ढ़ड़सरा थाना पकड़ी में छात्र नेता स्वर्गीय हेमन्त यादव को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद रसड़ा अन्तर्गत अजीजपुर गांव में समाजवादी पार्टी युवाजन सभा के निवर्तमान अध्यक्ष अरविन्द गिरी के स्वर्गीय पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

कार्यक्रम के अनुसार, सपा प्रमुख दोपहर बाद 1 बजकर 40 मिनट पर पकड़ी क्षेत्र के धड़सरा गांव में हेलीकॉप्टर से पहुंचेंगे। वहां से छात्रनेता स्व. हेमंत यादव को श्रद्धांजलि देंगे और परिजनों से मुलाकात करेंगे। यहां से 2 बजकर 10 मिनट पर रवाना होकर ढाई बजे रसड़ा क्षेत्र के खड़सरा अजीजपुर गांव पहुंचेंगे। यहां पूर्व सीएम समाजवादी युवजन सभा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरविंद गिरि के पिता को श्रद्धांजलि देंगे। यहां वे तीन बजे तक रहेंगे। इसके बाद सपा अध्यक्ष दोपहर 3 बजे लखनऊ के लिए प्रस्थान करेंगे।

20 मई को बलिया में दौरे पर आना था
बता दें कि इससे पहले अखिलेश यादव को 20 मई को बलिया दौरे पर आना था। लेकिन उनकी ताई के अचानक निधन के कारण उन्हें दौरा रद्द करना पड़ा था।

अखिलेश यादव की ताई और पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव की दादी समंद्रा देवी (84) का निधन 20 मई को हुआ था। उस समय बलिया दौरे पर निकलने को तैयार अखिलेश यादव को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने सूचना मिलते ही सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। इसके बाद अखिलेश ताई के अंतिम संस्‍कार में शामिल होने के लिए सैफई पहुंचे थे।

 

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उत्तर प्रदेश

कर्नाटक के नतीजों पर जेडीयू के अवलेश सिंह बोले- नैरेटिव बनाने से चुनाव में कुछ नहीं होगा

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बलिया। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर जेडीयू के प्रदेश महासचिव अवलेश सिंह  ने बयान दिया है. उन्होंने इसे लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला है.

अवलेश सिंह ने कहा की कांग्रेस की जीत ये साबित करती है कि नैरेटिव बनाने से चुनाव में कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा,  कर्नाटक का परिणाम देश के कई मायने में निर्णायक है.

यह उन लोगों को एक जोरदार और स्पष्ट संदेश दे रहा है, जो मुद्रास्फीति, मूल्यवृद्धि, बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए केवल नैरेटिव सेट करने, धार्मिक गुंडागर्दी करने और समाज में विभाजन पैदा करने में विश्वास करते हैं.”

“कांग्रेस पार्टी को जनादेश देने के लिए हम कर्नाटक के लोगों को धन्यवाद देते हैं. कर्नाटक के लोगों ने जिस तरह से फैसला किया है. यह देश के बाकी हिस्सों के लिए एक अच्छा संदेश है.”

 

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