उत्तर प्रदेश समेत देश के हर राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए हर सरकार बढ़ चढ़ कर दावे करती है. लेकिन ज़मीनी स्तर पर देखें तो यह बात अभी दूर की कौड़ी ही लगती है.
बात करते है अमेठी की.जहां महिलाओं को आगे लाने की बातें हर सरकार बढ़चढ़ करती है और महिला आरक्षण के नाम पर ग्राम सभा मे सीटें आरक्षित करके महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास भी किया जाता है. जिससे वो गांव का विकास करके महिला सशक्तिकारण को बढ़ावा दे, लेकिन आज भी प्रदेश मे पुरुषों का वर्चस्व बना हुआ है. अमेठी के जिला मुख्यालय गौरीगंज स्थित रणंजय इंटर कालेज मैदान पर सरकार की योजनाओं को हर व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए ग्राम प्रधानों के सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में अमेठी की 682 ग्राम पंचायतों के प्रधान तो उपस्थित तो हुए लेकिन 300 महिला ग्राम प्रधानों में सिर्फ दो दर्जन ही महिला ग्राम प्रधान ही मौजूद रही. बाकी महिला ग्राम प्रधानों के प्रतिनिधि के रूप में बेटा, पिता या पति उपस्थित हुए. अब ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जब महिला ग्राम प्रधान इस तरह के कार्यक्रमो में नही जाएंगी तो अपनी जनता तक सरकार की योजनाओं को कैसे पहुंचाएगी. वहीं कार्यक्रम के दौरान सैकड़ो ग्राम प्रधान नाराज हो गए.
किसी तरह से मंच पर मौजूद अधिकारियों ने ग्राम प्रधानों को शांत कराया.वहीं जब महिला ग्राम प्रधानों की कम उपस्थिति को लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 336 महिला ग्राम प्रधान है लेकिन पचास प्रतिशत महिलाएं उपस्थित हुई है जबकि असलियत में वहां पर करीब दो दर्जन महिलाएं ही पहुंची थी. इतने अहम कार्यक्रम में ग्राम प्रधान महिलाओं की इतनी कम उपस्थिति उत्तर प्रदेश सरकार के महिला सशक्तिकरण के दावों पर सवाल को अवश्य खड़ा करती
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