Connect with us

बलिया स्पेशल

बलिया: भाजपा के लिए आसान नहीं होगा घोसी लोकसभा सीट को बचाना

Published

on

बलिया। फिलवक्त लोकसभा चुनाव की घोषणा तो नहीं हुई है। वहीं राजनीति ​गलियारों में चर्चा है कि मार्च के प्रथम सप्ताह मे लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। लेकिन सभी दल अभी से ही चुनावी जीत की गुणा-गणित में लग गये है। राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि जो भी हो इस बार का लोकसभा चुनाव 2014 की तरह नहीं होगा। 2014 मे तो जो भी भाजपा के सिम्बल से चुनाव लड़ा। सीधे लोकसभा में पहुंच गया । लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशियों को लोहे के चने चबाने पडेंगे । कारण कि उत्तर प्रदेश में सपा- बसपा गठबंधन, भाजपा गठबंधन को कड़ी चुनौती देता नजर आ रहा है।

शायद यही कारण है कि भाजपा हाईकमान उन सांसदो की जगह नया प्रत्याशी देने पर विचार कर रहा है। जिनका परफॉर्मेंस ठीक नहीं है । पुराने सांसदों की जगह नये प्रत्याशी उतारने की बात मीडिया मे आती रहती है । इसी कड़ी में 70 घोसी लोकसभा क्षेत्र मे भाजपा के तरफ से जो नाम खासे चर्चा मे है। वह है दारा सिंह चौहान का। जो पूर्व मे यहां से बसपा के सांसद भी रह चुके हैं । पिछला चुनाव बसपा से लडकर दुसरे नम्बर पर रहे है तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार मे कैविनेट मंत्री भी है । इनके बारे ये भी चर्चा है कि भाजपा इस बार दारा सिंह चौहान को आजमा सकती है , क्योंकि घोसी लोकसभा चौहान बाहुल्य क्षेत्र है । इसी के आधार पर बसपा भी अपने पूर्व सांसद बाल कृष्ण चौहान को आगे कर सकती है। जो भी हो भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं दिख रही है ।

सूत्रो के अनुसार भाजपा हाईकमान ने प्रत्याशियों के बदलाव के लिए जो मानक तय किये है। उसमे खास बात यह है कि जिन सांसदो ने पार्टी के कार्यक्रमों में असहयोग किया है तथा साढे. चार साल के कार्यकाल में क्षेत्र की जनता की अनदेखी की है। ऐसे सांसद ज्यादे निशाने पर है । कुछ दिन पहले भाजपा के जिला प्रभारी चिरंजीवी चौरसिया से बलिया जनपद से समबन्धित लोकसभा सीटो पर जब इस प्रतिनिधि ने चर्चा की तो उन्होंने जहाँ बलिया के साँसद भरत सिंह के परफॉर्मेंस को ठीक होने की हामी भरी। वहीं घोसी लोकसभा की जब बात की गयी तो टाल-मटोल करते नजर आये।

जो भी हो इस बार घोसी लोकसभा की लडाई भाजपा के लिए आसान नहीं दिख रही है क्योंकि यहाँ भाजपा विरोधी तीन प्रमुख दल बसपा, सपा और कौमी एकता दल एक साथ जो हो गये है ।

राजनैतिक समीक्षक व पत्रकार जयराम अनुरागी बताते है कि पिछली बार यहां से भाजपा के हरिनारायण राजभर चुनाव जीते थे। जिन्हें 3,79,797 मत मिले थे । दुसरे नम्बर पर बसपा के दारा सिंह चौहान थे। जिन्हें 2,33,782 मत मिले थे । इस तरह हरि नारायण राजभर 1,46, 015 मत से चुनावी बाजी मार ले गये थे । इस बार समीकरण बहुत बदल सा गया है। भाजपा के विरुद्ध जो प्रमुख दल एक हुए हैं , उसमे से पिछले चुनाव का बसपा का 2,33,782, कौमी एकता दल का 1,66,443 और सपा का 1,65,887 मत जोड दिया जाये तो कुल मत 5,66, 887 हो जा रहा है। जो भाजपा के जीते हुए प्रत्याशी हरि नारायण राजभर से 1,86,315 मत अधिक हो जा रहा है। जिसकी भरपाई होते नहीं दिख रहा है ।

हालांकि कि पिछले चुनाव मे कौमी एकता दल का सुहेलदेव भाजपा से गठबंधन था। इसके बावजूद भी भाजपा प्रत्याशी के राजभर होने के चलते राजभर समुदाय का अधिकांश मत भाजपा को ही मिला था। इस बार भी सुहेलदेव भासपा अभी तक भाजपा की सहयोगी पार्टी के रुप मे साथ तो है। आगे क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है।ऐसी सिथति मे राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि घोसी लोकसभा मे फिलहाल भाजपा के लिए दिल्ली दूर दिख रही है। अन्तिम घडी मे कोई चमत्कार हो जाये तो कुछ कहा नहीं जा सकता है ।

Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

featured

बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

Published

on

आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

Continue Reading

featured

बलिया में नक्सलियों के 11 ठिकानों पर NIA ने मारा छापा

Published

on

बलिया में एनआईए ने नक्सलियों के 11 ठिकानों पर शनिवार को छापा मारा, जहां से तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। एनआईए ने यह कार्रवाई पिछले साल यूपी एटीएस द्वारा बलिया में पकड़े गए पांच नक्सलियों पर दर्ज केस को टेकओवर करने के बाद की है।

बता दें कि यूपीएटीएस ने 15 अगस्त, 2023 को बलिया से नक्सली संगठनों में नई भर्तियां करने में जुटी तारा देवी के साथ लल्लू राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत राजभर व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया था। आरोपितों के कब्जे से नाइन एमएम पिस्टल भी बरामद हुई थी। जांच में सामने आया है कि तारा देवी को बिहार से बलिया भेजा गया था। वह वर्ष 2005 में नक्सलियों से जुड़ी थी और बिहार में हुई बहुचर्चित मधुबन बैंक डकैती में भी शामिल थी।

इसके अलावा लल्लू राम उर्फ अरुन राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राममूरत तथा विनोद साहनी की गिरफ्तारी हुई थी। ये सभी बिहार के बड़े नक्सली कमांडरों के संपर्क में थे।

एनआईए की अब तक की जांच के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत उत्तरी क्षेत्र अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि भाकपा (माओवादी) के नेता, कार्यकर्ताओं और इससे सहानुभूति रखने वाले, ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इस क्षेत्र में संगठन की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

Continue Reading

बलिया स्पेशल

बीजेपी प्रत्याशी की जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ी भीड़, रवीन्द्र कुशवाहा बोले- तीसरी बार मोदी बनेंगे पीएम

Published

on

बलिया। सलेमपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद और वर्तमान प्रत्याशी रवीन्द्र कुशवाहा को फिर से टिकट मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता जगह- जगह स्वागत कर रहे हैं। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को स्वागत और जन आशीर्वाद यात्रा मनियर से प्रारंभ होकर बांसडीह पहुंची। बांसडीह स्थित सप्तऋऋषि चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया।

स्वागत में उमड़े जनसैलाब ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। साथ ही सांसद के ऊपर पुष्प वर्षा किया। तत्पश्चात सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने कचहरी स्थित मां दुर्गा के दरबार में पहुंच कर पूजा अर्चना किया। जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे सांसद रवीन्द्र कुशवाहा का विधायक केतकी सिंह के नेतृत्व में बांसडीह चौराहे पर कार्यकर्ताओं ने स्वागत

किया। इस दौरान सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने अपने पांच वर्षों की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि पूरा देश प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर गर्व कर रहा है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये प्रधानमंत्री अग्रसर है। अबकी बार 400 से ऊपर सीटे जीतकर तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। विधायक केतकी सिंह ने कहा कि सलेमपुर क्षेत्र से पुनः रवीन्द्र कुशवाहा तीसरी बार भारी मतों से विजयी होंगे। भाजपा बांसडीह मंडल अध्यक्ष प्रतुल कुमार ओझा ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को अभिनंदन पत्र और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

 

इस मौके पर बैरिया चेयरमैन प्रतिनिधि शिवकुमार वर्मा मंटन,  पूर्व चेयरमैन संजय कुमार सिंह मुन्ना, चंद्रबली वर्मा, राजू गुप्ता, रमेश कान्त, डब्लू गुप्ता, व्यापार मंडल अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, चंद्रमा गिरी, तेज बहादुर रावत, सिंपी सिंह, शिवम गुप्ता, अजय यादव, अरुण पांडेय, अमित यादव, बिट्टूतिवारी, अभिजीत तिवारी, इरफान अहमद, विवेक उपाध्याय, बलिराम साहनी, राकेश वर्मा, गोपाल जी आदि उपस्थित रहे।

Continue Reading

TRENDING STORIES

error: Content is protected !!