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आखों देखी: नारद राय के पर्चा दाखिला में दिखा, सपा का दौर लौटा तो कैसे चलेगी गाड़ी!

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बलिया में राजनीतिक सरगर्मी अब बढ़ने लगी है। यह विधानसभा 2022 के चुनाव के पर्चा दाखिला की आखिरी तिथि के ठीक पहले का दिन है। बैनरों के बिना चौराहे अब और अधिक दिख रहे हैं। जिला मुख्यालय यानी कलेक्ट्रेट के बाहर करीब 2 बजे का समय है। लोकतंत्र के माहपर्व नाम से चर्चित विधानसभा चुनाव में पर्चा दाखिला नामक  रस्म अदायगी के लिए अचानक से समर्थकों का एक हूजूम उमड़ रहा है। भीड़ से अचानक आवाज़ उठती है, ‘के… ह….नारद…अरे, के…ह….नारद’। नारद राय के नाम का हल्ला उठता है और सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट के ठीक बाहर इकट्ठा होने लगते हैं।काले रंग की मर्सडीज़ की खुली छत पर सपा के 361 बलिया नगर विधानसभा के उम्मीदवार नारद राय का काफिला अब कलेक्ट्रेट से लगभग पचास मीटर दूर है। जी, गोरख पांडेय इसी समय के लिए कह गए हैं, ‘हाथी से आई, घोड़ा से आई,अंग्रेजी बाजा बजाई’ नारेबाजी के ठीक बीच समर्थकों में से किसी एक ने उन्हें सपा का झंडा पकड़ा दिया। तभी अचानक से दूसरे हाथ में कोई शुभचिंतक सपा के गठबंधन के साथी सुहेलदेव पार्टी का झंडा पकड़ गया। इतने सब के बाद जब ड्राइविंग सीट पर नज़र पड़ी तो दिखा गाड़ी चला रहे हैं अंबिका चौधरी। अंबिका चौधरी वो हैं जो अपना विधानसभा चुनाव हारे तो भी राजस्व मंत्रालय संभालते रहे। और 2017 में जब अखिलेश यादव की सपा ने टिकट नहीं दिया तो बसपा से चुनाव लड़े।

ठीक यही नारद राय के साथ हुआ। फिलहाल का हाल ये है कि अंबिका चौधरी के पुत्र जिला पंचायत अध्यक्ष हैं और उनकी सीट फेफना से सपा के उम्मीदवार हैं संग्रााम सिंह यादव। अंबिका चौधरी- संग्राम सिंह यादव के बीच के इस त्याग रूपी समझौते की कहनी फिर कभी, फिलहाल जिला कलेक्ट्रेट पर पर्चा दाखिला के गहमागहमी के बीच स्टेयरिंग थामें अंबिका चौधरी और नारद राय की उपस्थिति ने बताया कि सपा का दौर लौटा तो गाड़ी कैसे चलेगी। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं की मंच पर उपस्थिति थी। आगे पंक्तियों में अंबिका चौधरी, सनातन पांडेय, व्यास जी गोेड समेंत सपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कई नेता बैठे थे। मंच पर स्वागत आदि के बाद नारद राय ने भाषण देने के लिए मंच लिया। यहां एक बाद ध्यान रखने की है।

छात्र संघ की ट्रेनिंग। नारद राय ने अपने कुल 9 मिनट के भाषण में हरेक तीसरी बात पर ताली बजवाई और हरेक बात से लोगों को जोड़ा। अपने वक्तव्य में एन एच 31 की अव्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘बिहार से तिलकहरू त दूर एनएच पर फेफना में सांड़ लगंड़ा के चल रहे ’। लोगों को अपनी बात में जोड़ते- जोड़ते भाजपा प्रत्याशी दयाशंकर सिंह के बयान के जवाब में यहां तक कह दिया कि ‘बलिया को बंबई नहीं बनने देंगे क्योंकि बंबई सही जगह नहीं है “। खैर इस मतलबी जमाने को तुकबंदी का जमाना भी नहीं कह सकते। लेकिन इस तरह के बलिया से बंबई का तुक मिला कर एक बे सिर पैर की बात पर एक उम्मीदवार के प्रत्युत्तर के बाद जो मंच से नारद राय ने किया वो कुछ नया था। बंबई पर टिप्पणी करते-करते नारद राय अचानक माइक से एक कदम बाएं गए और लगभग चीख कर अपने पैरों में ताव भरा और कहा, ‘ मंत्री जी बंबईया चाल चलते हैं।ऐइजा(यहां पर) त ताल ठोंक के चले के बा’। मुंबई पर नारद राय की यह टिप्पणी और फिर जनता का एक बेतरतीब शोर में उसका समर्थन बताता है कि आमजनमानस में मुंबई की छवि क्या है। सर पर लाल पगड़ी और गले में पीला दुपट्टा डाले, नारद राय ने अपने वक्तव्य से लोगों को जोड़ा। लोगों में सुभासपा के भी लोग थे। अचानक किनारे से मंच के पास कोई आता दिखा। पता चला बिल्थरारोड से गठबंधन के उम्मीदवार हँसु राम हैं। उनका स्वागत और मंच से उद्बोधन जैसे हुआ, ये थोड़ा अनौपचारिक था। वो किनारे से मंच पर चढ़े तभी नारद राय अपना भाषण समाप्त कर उनका स्वागत कर चुके थे। उन्होंने लगभग उसी मिनट अंबिका चौधरी को दो शब्द के लिए आमंत्रित भी कर लिया था।

मगर चुनाव हारने के बाद भी मंत्री रहने वाले अंबिका चौधरी ने बहुत शालीन लिहाज में हँसु राम को मंच पर बुलाया और समय के हवाला पा उन्होंने कुल एक मीनट तीस सेकेंड में अपनी बात समाप्त कर दी।  यहां बस एक बात कि वो समाज जो हक-हिस्सेदारी और बराबरी की लड़ाई लड़ रहा और खुद में राजनीतिक हस्तक्षेप की सबसे बड़ी गुंजाइश देखता है उसे अपने नेताओं से किस तरह के गर्वता बोध की उम्मीद है ये जानना चाहिए। क्या सपा-सुभासपा के गठबंधन में जिसकी जितनी भागेदारी- उतनी उसकी हिस्सेदारी का नारा कम कम प्रयोग में लाना है या कोई अंडर करेंट है जो आत्मविश्वास से भरा हुआ है। 

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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