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बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने लोकसभा में उठाया जिले के जल निकासी का मुद्दा
संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। देशभर के सांसद लोकसभा और राज्यसभा में अपने क्षेत्रों की समस्या उठा रहे हैं और भारत सरकार से निदान की मांग कर रहे हैं। एक मुद्दा बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भी उठाया है। बलिया से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने लोकसभा में जल निकासी और पानी में डूबे किसानों के फसल के मुआवजे के मामले पर भारत सरकार का ध्यान खींचा है। उन्होंने मांग की है कि भारत सरकार जिले के उन किसानों को मुआवजा दे जिनकी फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं।
बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त शुक्रवार को लोकसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि “पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के कारण बहुत से किसानों के फसल का भारी नुकसान हुआ है। किसानों ने मिर्चा, मक्का और धान की खेती की थी। मक्का और धान काटकर रखा गया था। लेकिन बारिश के पानी में फसल सड़ गया। मिर्चा की बुआई हुई थी लेकिन पानी आ गया और सड़ गया।” उन्होंने आगे कहा कि “मैं भारत सरकार से मांग करता हूं कि पड़ताल करके किसानों को उचित मुआवजा मिले।”
आज लोकसभा में – जनपद बलिया में जल निकासी की समस्या और भारी बारिश के कारण खेत मे लगे पानी की वजह से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत से किसान भाइयों का फसल नुकसान हुआ है इसके लिए उनको उचित मुआवजा मिले और बलिया में जल निकासी की समस्या का समाधान हो इसके लिए भारत सरकार के निवेदन किया। pic.twitter.com/ksQpeSXkii
— Virendra Singh Mast (@virendramastmp) December 3, 2021
जल निकासी की समस्या बताते हुए सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि “हमारे यहां पानी की प्रचुरता की वजह से एक बहुत बड़ा सुरहाताल है। जो कि एशिया का सबसे बड़ा ताल है। जिसमें चंद्रशेखर जी के नाम पर एक विश्वविद्यालय बना हुआ है और एक शहीद स्मारक भी है। विश्वविद्यालय में पूरी तरह से पानी भर गया है। मैं भारत सरकार से मांग करता हूं कि संबंधित मंत्रालय के जरिए पानी के निकासी के लिए कोई स्थायी व्यवस्था की जाए। शहर विकास मंत्रालय में ये योजना है।
बारिश और बाढ़ का पानी शहर में आकर फंसा हुआ है। जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। वीरेंद्र सिंह मस्त ने सदन के माध्यम से मांग की है कि शहर विकास मंत्रालय इसे लेकर गंभीरता से काम करे। उन्होंने कहा कि “बलिया में भारी मात्रा में पानी के कारण डीएम, एसपी के बंगले भी डूब गए हैं। शहर विकास मंत्रालय बलिया शहर में पानी की कोई स्थायी व्यवस्था करे।”
गौरतलब है कि बाढ़ और बारिश का पानी शहर में घुस जाता है लेकिन पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है। चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में लंबे समय से पानी लगे होने के कारण सभी कार्य ठप पड़े रहते हैं। प्रवेश के दौरान छात्र-छात्राओं का विश्वविद्यालय में जा पाना भी दुश्वार हो जाता है। यहां तक कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी नाव से भीतर प्रवेश करने को मजबूर हो जाते हैं। लंबे वक्त तक बारिश का पानी जमा होने के वजह से ढेंगू जैसी बीमारियां भी फैलने लगती हैं।
जल निकासी के व्यवस्था के लिए बलिया शहर के लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से अब तक इस मुसीबत पर ध्यान नहीं दिया गया है। अब यही बात भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने लोकसभा के पटल पर उठाई है। देखना होगा कि क्या इसके बाद सरकार की ओर इस समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम
बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।
बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।
इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट
लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.
ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:
सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.
यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.
‘सनातन’ की सियासत:
साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.
साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.
2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.
2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.
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