बलिया में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कल्पलता पांडेय इन दिनों चर्चाओं में हैं। विश्वविद्यालय में जातिवाद का खेल देखने को मिला है। चन्द्रशेखर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर अनियमितता का मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य श्रेणी के 16 पदों में से 13 पदों पर ब्राहाम्ण और शेष बचे 3 पदो पर भूमिहार समाज के सम्पन्न अभ्यार्थियों को नियुक्ति की गई है।
16 पदों में से 13 पदों पर ब्राहम्ण– बता दे कि असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति की पहली सूची 14 अगस्त 2022 और दूसरी सूची 29 अगस्त 2022 को जारी की गई। पहली सूची में सामान्य संवर्ग पर अंग्रेजी विषय के 2 पदों में से एक पद पर ब्राह्मण और 1 पद पर भूमिहार, वाणिज्य विषय में 2 पद में से दोनों पर ब्राह्मण, समाजकार्य में 1 पद पर भूमिहार और 1 ई डब्ल्यूएस कोटा के तहत पद पर ब्राहाण, गृह विज्ञान में 1 पद और 1 ई.डब्ल्यू एस कोटा दोनों पदों पर ब्राहम्ण जाति के धनाढ्य वर्ग के अभ्यार्थियों को चयनित किया।
यानि 8 पदों में से 6 पद पर ब्राह्मण और शेष 2 पदों पर भूमिहार अभ्यार्थी चयनित हुए। दूसरी सूची में हिंदी विषय के दोनों असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर ब्राह्मण, राजनीति विज्ञान के दो पदों में से एक पद प एमकेर ब्राहमण एक पद पर भूमिहार, समाजशास्त्र के दोनों पदों पर ब्राहम्ण और अर्थशास्त्र के दोनों पदों पर ब्राम्हण जाति के ही अभ्यार्थियों को नियुक्ति दी। 16 पदों में से 13 पदों पर एक ही जाति के लोगों की नियुक्ति की।
चतावनी पर तानाशाही रवैया!– वहीं इस नियुक्ति पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए 28 जुलाई 2022 को राजभवन में एक शिकायत ऋतु त्रिपाठी ने भी की थी। जिसके कारण एक पत्र 6 अगस्त 2022 को राजभवन से सहायक सचिव ने कुलपति को भेजा। नियुक्ति में अनियमितता न करने की चेतावनी भी दी। जबकि इसके पहले भी पारदर्शिता के साथ नियुक्ति करने और आवश्यक साक्ष्य पत्रों को भी अपने बेबसाइट पर प्रस्तुत करने के लिए पत्र जारी किया गया था। लेकिन पिछले 15 दिनों से ज्यादा हो जाने पर भी जननायक विश्वविद्यालय ने अपनी नियुक्ति की पारदर्शिता को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पत्र न तो अपने बेबसाइट पर प्रस्तुत किया है और न ही ऋतु त्रिपाठी के अनियमितता के आरोप पर ही किसी प्रकार का आधिकारिक जवाब दिया। बल्कि दूसरी सूची में भी जातिवाद का उदाहरण देते हुए तानाशाही दिखाई।
अब सामान्य संवर्ग से जुड़े अन्य जातियों के अभ्यर्थी दबे जुबान यह सवाल प्रदेश के कुलाधिपति यानि राज्यपाल महोदया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से पूछ रहे है कि क्या प्रदेश के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर यानि सहायक आचार्य बनने के लिए कुलपति के जाति का सम्पन्न अभ्यर्थी होना आवश्यक है ? अगर यह जरूरी हो तो इस लोकतांत्रिक देश में बनी इन शिक्षा के मंदिरों में अध्यापक बनने के लिए निकलने वाले विज्ञापनों में यह अनिवार्य कर दिया जाए। इस पूरे मामले पर जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।
जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया में जनरल और EWS (आर्थिक रूप से कमजोर) वर्ग में कुल 16 नियुक्तियां बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई है जिसका विषयवार जातीय विवरण इस प्रकार है
ब्राह्मण वर्ग से 13 और भूमिहार ब्राह्मण वर्ग से 3
विषय –
हिंदी
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