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बलिया- निवर्तमान बीएसए शिव नारायण सिंह की विदाई, शिक्षकों ने की जमकर तारीफ

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बलिया के निवर्तमान बेसिक शिक्षा अधिकारी शिव नारायण सिंह का तबादला जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, प्रयागराज में वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर हो गया है। ऐसे में कार्यालय के कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों ने विदाई दी। साथ ही निवर्तमान बीएसए के काम की भी जमकर ताराफी की। शिक्षकों ने इस शुभकामना एवं विश्वास के साथ बीएसए को विदाई दी कि वे जिस पद व संस्थान में कार्यरत रहेंगे उसे वो अपने सतत् प्रयत्नों द्वारा नित नई ऊँचाइयों पर ले जाकर अपने पद को गौरवान्वित करने की कोशिश करेंगे।

69 हजार शिक्षक भर्ती संघ के संरक्षक अकीलुर्रहमान खां ने निवर्तमान बीएसए के कार्यशैली की जमकर सराहना की। कहा कि नवनियुक्त शिक्षकों के हृदय में बीएसए सर का एक विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। निवर्तमान बीएसए ने नवनियुक्त शिक्षकों की अनेक समस्याओं का समाधान किया। कोरोना के फैलते संक्रमण की वजह से सभी विभागों के कार्यालय बंद हो जाने की वजह से शिक्षकों की नियुक्ति के 6 माह के उपरांत भी प्रमाण पत्रों का सत्यापन अधर में लटक गया था जिससे वेतन निर्गत न होने के कारण आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए बीएसए ने शासन स्तर के उच्च पदाधिकारियों तक पहुँचाने का काम किया।

साथ ही बताया कि शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन में भी निवर्तमान बीएसए की अभूतपूर्व भूमिका रही। बीएसए की कोशिशों से ही तमाम संबंधित विश्वविद्यालयों को न केवल सत्यापन के लिए पत्र भेजे बल्कि सत्यापन के कामों में विलम्ब होने पर लगातार स्मरण पत्र भी भेजे गए जिससे शीघ्रातिशीघ्र प्रमाण-पत्रों का सत्यापन सम्भव हो सका। खां ने बताया कि समस्याएं केवल इतनी ही नहीं थी, 6 माह तक के लम्बित पड़े अवशेष वेतन को भी बीएसए ने संज्ञान लेते हुए इसे अविलम्ब भुगतान के लिए निरंतर कोशिश की जिसका परिणाम है कि बेसिक विभाग के इतिहास में पहली बार अवशेष वेतन का भुगतान बिना किसी पक्षपात के सम्भव हो सका।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला संयोजक राजेश सिंह ने बताया कि निवर्तमान बीएसए शिव नारायण सिंह ने अपने 3 साल के कार्यकाल में न केवल भ्रष्टाचार मुक्त कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित किया बल्कि शिक्षकों के शिक्षण संबंधित कौशलों के विकास के लिए कोशिश की और बेसिक विभाग को नित नई ऊँचाइयों तक ले जाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया है। निवर्तमान बीएसए के ताबदले से बेसिक विभाग, बलिया में हमेशा एक ऊर्जावान, प्रेरणादायी, प्रबुद्ध व्यक्तित्व की कमी महसूस होती रहेगी। आदरणीय बीएसए के अविस्मरणीय योगदान के कारण ही बेसिक विभाग बलिया में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव हो सका है |

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बलिया में गंगा नदी में नहाते समय डूबा युवक, मौत

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बलिया में गंगा नदी में नहाते समय युवक हादसे का शिकार हो गया। युवक गंगा नदी में नहाने गया था, इसी दौरान उसका पैर फिसला और वो नदी में डूब गया। गहरे पानी में डूबने से युवक की मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक, पूरा मामला जिले में हल्दी थाना के चैनछपरा गंगा घाट का है। जहां सोमवार की सुबह ओझवलिया निवासी गोलू पासवान अपने बड़े भाई अर्जुन पासवान के दो पुत्र बलवीर और कान्हा का मुण्डन संस्कार में शामिल होने के लिए गंगाघाट पर गया था।

स्नान करने के बाद गोलू पूजा करने के लिए लोटे में गंगा जल लाने दोबारा नदी में गया। इस दौरान नदी में उतरते ही उसका पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चला गया। जिसके कारण गंगा में डूबने से उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद घाट पर अफरा तफरी मच गई। मृतक के परिवार जनों का रो रो कर बुरा हाल है।

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बलिया भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष ने पत्र लिखकर लगाई न्याय की गुहार, ये है मामला

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बलिया के बेलथरा रोड के भारतीय जनता पार्टी के नेता और युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अभिजीत सिंह रमन ने कथित रूप से पिटाई की घटना के बाद पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। भाजपा नेता की पिटाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था । इस मामले पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ़ नामजद FIR दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अभिजीत सिंह रमन ने पत्र के जरिए आरोप लगाए हैं कि कुछ लोगों ने उनके साथ बुरी तरह मारपीट की। पहले उन्हें घर से बुलाया गया और फिर जमकर पीटा। इस मामले की शिकायत उन्होंने पत्र लिखकर पुलिस से की है।

बीजेपी नेता ने पत्र में लिखा कि 13 अप्रैल को रात में उनके मोबाइल पर एक फोन आया। घटना स्थल पर पहुंचने के बाद एक साथ कई लोग मिलकर आए और किसी बात को लेकर बहस करने लगे, फिर बिना कोई कारण बताए मारना-पीटना शुरू कर दिया।  भाजपा नेता ने पत्र पर लिखा कि आरोपियों ने मेरी सोने की चैन गले से छीन ली और मेरी गाड़ी के पीछे का शीशा तोड़ दिया और मेरी गाड़ी की चाबी भी ले गए। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि आरोपी पहले से पीटने और छिनैती की नियत से प्लानिंग कर मेरे साथ धोखा किए हैं। जिसका मुकदमा उसी रात उपरोक्त दर्ज है। भाजपा नेता ने पुलिस पर भी लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं।

बताया जा रहा है कि भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अभिजीत सिंह रमन की कुछ लोगों से चुनावी रंजिश चल रही है। आरोप है कि उन लोगों ने अभिजीत सिंह रमन के साथ पहले भी बदसलूकी की थी।

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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट

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लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.

ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:

सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.

यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.

‘सनातन’ की सियासत:

साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.

साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.

2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.

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