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बलिया : फेफना विधायक और मंत्री उपेंद्र तिवारी के हवाई दावों को किसने छापा, किसने छिपाया?

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उत्तर प्रदेश सरकार के युवा कल्याण मंत्री उपेंद्र तिवारी ने गुरुवार को बेतुके बयानों की बौछार कर दी। बलिया जिले के फेफना विधानसभा सीट से भाजपा विधायक उपेंद्र तिवारी उरई के दौरे पर थे। उरई में आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उपेंद्र तिवारी बतौर अतिथि कार्यक्रम में आमंत्रित किए गए। कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय पहले से दोगुनी हो गई है।

युवा कल्याण मंत्री उपेंद्र तिवारी ने पेट्रोल-डीजल की महंगाई के सवाल पर कहा कि “अभी उत्तर प्रदेश में डीजल-पेट्रोल की कीमत बहुत कम बढ़ी है।” उपेंद्र तिवारी आगे कहते हैं कि मुट्ठी भर लोग ही चार पहिया गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। 95 फीसदी लोगों को पेट्रोल की जरूरत नहीं है।” उपेंद्र तिवारी यहीं नहीं थमे। उन्होंने तथ्यों को नागवार गुजरने वाला एक और मनगढंत आंकड़ा पटक दिया।

उपेंद्र तिवारी के अनुसार “2014 के बाद की प्रति व्यक्ति आय दोगुने से भी अधिक हो गया है।” लेकिन मसला ये है कि बलिया के फेफना विधायक उपेंद्र तिवारी के इन ख्याली आंकड़ों पर जिले के अखबारों ने क्या रूख अपनाया है? किन अखबारों ने इस खबर को जगह दी है? जिन राष्ट्रीय अखबारों का बलिया संस्करण प्रकाशित होता है उनमें इस खबर को किस लिहाज से छापी गई है?

सबसे पहले बात दैनिक जागरण की। दैनिक जागरण एक राष्ट्रीय अखबार है। तमाम सवालों और आरोपों के बावजूद दैनिक जागरण हिन्दी के सबसे बड़े अखबारों में से एक है। दैनिक जागरण ने अपने बलिया संस्करण के 13वें पृष्ठ पर उपेंद्र तिवारी की खबर को जगह दी है। मंत्री बोले-95 फीसद लोग नहीं करते डीजल और पेट्रोल का प्रयोग” शीर्षक के साथ दैनिक जागरण ने इस खबर को सिर्फ एक कॉलम में समेट दिया है।

हिन्दुस्तान अखबार ने अपने बलिया संस्करण के प्रदेश पृष्ठ पर इस खबर को प्रकाशित किया है। हिन्दुस्तान अखबार ने “अभी बहुत कम हैं पेट्रोल और डीजल की कीमतें” शीर्षक के साथ मंत्री उपेंद्र तिवारी के हवाई दावों की खबर को तीन कॉलम की जगह दी है। हिन्दुस्तान ने अपनी एक खबर में “बेतुके बोल” का बॉक्स लगाकर विधायक के बयानों को छापा है।

अब बात एक और राष्ट्रीय अखबार अमर उजाला की। हिन्दी प्रदेशों में बड़े स्तर पर पढ़े जाने वाले ने मंत्री उपेंद्र तिवारी के इस खबर को जगह देने की मेहनत नहीं की। अमर उजाला के वाराणसी संस्करण में ही बलिया के खबरों को प्रकाशित किया जाता है। अमर उजाला के ताजा वाराणसी संस्करण में कहीं भी यह खबर नहीं दिखती है। प्रदेश सरकार के एक मंत्री और विधायक की ओर से उलजुलूल दावों वाला बयान दिया जाता है लेकिन अमर उजाला उसे प्रकाशित कर जनता के सामने हकीकत पेश की करने की जरूरत नहीं समझता है।

जागरुक एक्सप्रेस नाम के एक अखबार ने इस खबर को प्रकाशित किया है। जागरुक एक्सप्रेस ने उपेंद्र तिवारी की इस खबर को जगह दी है। जागरुक एक्सप्रेस ने कोट शीर्षक लगाते हुए लिखा है कि “95 फीसदी लोग नहीं करते पेट्रोल का उपयोग, मुट्ठी भर ही चलाते हैं चार पहिया गाड़ी: उपेंद्र तिवारी”।

बात अब राष्ट्रीय सहारा अखबार की। राष्ट्रीय सहारा भी अमर उजाला के ही रास्तों पर चला है। इस समाचार पत्र में कहीं भी इस खबर को जगह नहीं मिली है। दैनिक जागरण की तरह किसी पेज के नीचले हिस्से में एक कॉलम का स्थान पर राष्ट्रीय सहारा ने उपेंद्र तिवारी के बयानबाजी को नहीं दी है। हालांकि राष्ट्रीय सहारा ने उत्तर प्रदेश सरकार की चार अलग-अलग पृष्ठों पर बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित किए हैं।

हालांकि विज्ञापन के मामले में अमर उजाला का कोई जोर नहीं। अखबार के पहले पन्ने से लेकर अंतिम पन्ने तक पर विज्ञापन दिखता ही है। लेकिन बात अगर बलिया पृष्ठ की ही की जाए तो कुल 14 बड़े आकार के विज्ञापन देखने को मिलते हैं। छोटे आकार के विज्ञापनों की संख्या 17 है। बता दें कि अमर उजाला के वाराणसी संस्करण में बलिया की खबरें कुल 5 पृष्ठों पर प्रकाशित की गई हैं। पांच ही पृष्ठों पर अमर उजाला ने कुल तीस से ज्यादा विज्ञापन छापे। लेकिन जिले के एक विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री की बेतुकी बयान की हकीकत जनता के सामने नहीं रखी गई।

‘परख सच की’ की थीम लाइन के साथ प्रकाशित होने वाले जनसंदेश टाइम्स ने मंत्री उपेंद्र तिवारी के बयान को सच के तराजू पर परखा या नहीं ये भी जान लीजिए। जनसंदेश टाइम्स ने कहीं प्रकाशित नहीं किया है। अखबार के वाराणसी संस्करण में बलिया के लिए पूरी तरह एक पृष्ठ और एक पृष्ठ मऊ के साथ साझे तौर पर आवंटित किया गया है। लेकिन इनमें कहीं भी उपेंद्र तिवारी की खबर को जगह नहीं दी गई है।

उपेंद्र तिवारी भाजपा के बड़े नेता हैं। फेफना के लोगों के जनप्रतिनिधि हैं। प्रदेश सरकार में एक बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे नेता जब तथ्यों और आंकड़ों से उलट बयान दें तब खबरिया माध्यमों का काम होता है कि जनता के सामने उसे प्रमुखता के साथ प्रकाशित की जाए। जो जनता अपनी जेब जलाकर महंगा पेट्रोल और डीजल भरवा रही है उसे पता चलना चाहिए कि उनके नेता उसे महंगा नहीं मानते हैं। जो जनता आर्थिक दुर्दशा से गुजर रही है उसे यह बात बताई जानी चाहिए कि उनके नेता के अनुसार प्रति व्यक्ति आय अब दोगुनी हो चुकी है।

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बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित

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बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।

जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।

जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।

बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।

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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज

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बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।

तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

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