बलिया । आय, जाति व निवास प्रमाणपत्र बनाने की ऑनलाइन व्यवस्था बलिया में ठप्प पड़ गई है। यहां लोग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए महीनों से भटक रहे हैं। हालात यह हैं कि आवेदन देने के बाद लेखपाल, कानूनगो और तहसील कार्यालय तक फाइलें घूमती रहती हैं पर सर्टिफिकेट तैयार नही होता।
कई ऐसे छात्र हैं जो प्रमाणपत्र नहीं बनने से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शामिल नहीं हो पा रहे हैं। जनपद के बिल्थरारोड, रसड़ा, सिंकदरपुर, बांसडीह, बैरिया सब जगह ऑनलाइन व्यवस्था ठप्प पड़ी है। बिल्थरारोड में भारी संख्या में आवेदक प्रमाणपत्र बनवाने भटक रहे हैं। कई लोग ऑनलाइन आवेदन कर प्रमाणपत्र के लिए लेखपाल और तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, फिर भी लोगों को प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है।
रसड़ा में भी स्थानीय तहसील से ऑनलाइन आय, जाति व निवास बनवाने के लिए युवाओं समेत अन्य लोगों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है। कई लोग हैं जिन्हें सरकारी नौकरी, प्रतियोगी परीक्षाओं समेत अन्य जरुरी कामों के लिए अर्जेंट में प्रमाण पत्र चाहिए। लेकिन जनसेवा केंद्रों से ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी प्रमाणपत्र जारी होने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग रहा है।
प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन तो कुछ ही मिनटों में हो जाता है लेकिन इसके बाद तहसील के अफसरों व लेखपालों की ओर से प्रमाण पत्रों को जारी करने में कम से कम एक सप्ताह, से लेकर दस दिन भी लग रहे हैं। सरकारी विभाग की कछुआ चाल से लोग काफी परेशान हैं। सिकंदरपुर में भी यही स्थिति है। जिन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा के लिए प्रमाणपत्र चाहिए वह पढ़ाई छोड़ कर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
बैरिया की बात करें तो आय, निवास, जाति प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में जिले में नंबर वन तहसील है। लेकिन जमीनी हकीकत देखी जाए तो आज भी दर्जनों की संख्या में जाति प्रमाण पत्र दफ्तरों की फाइलों में ही अटके हैं। सबसे अधिक मामले गोंड जाति से सम्बंधित हैं। गोंड जाति के लोगों का कहना हैं कि हाईकोर्ट व शासन से भी गोंड बिरादरी को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश जारी कर दिया है। लेकिन तहसील प्रशासन सभी आदेश को नजरअंदाज कर रहा है। नायब तहसीलदार बैरिया रजत सिंह ने बताया कि जाति निवास व आय प्रमाण पत्र जारी करने में बैरिया तहसील जिले में नम्बर एक पर है। एक सप्ताह के भीतर हम उक्त प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं।
बांसडीह के हाल भी कुछ ऐसे ही हैं। यहां प्रमाणपत्र बनने में एक से डेढ़ माह का समय लग रहा है। कुलमिलाकर बलिया में जाति, निवास प्रमाणपत्र बनाने की ऑनलाइन व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। और सरकारी विभाग कछुआ चाल से अपना काम कर रहे हैं जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है।
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