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बलिया- जिला पंचायत का ऐसा प्रत्याशी जो साइकिल से कर रहा प्रचार, आंदोलन के लिए 7 बार जा चुके हैं जेल !

बलिया डेस्क : पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण लिस्ट जारी होने के साथ ही प्रत्याशियों द्वारा दावेदारी पेश किए जाने का सिलसिला शुरु हो गया है। इसी क्रम में समाजसेवी अरशद हिन्दुस्तानी ने बेल्थरा रोड के सीयर ब्लॉक वार्ड 25 से ज़िला पंचायत सदस्य के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।
अरशद हिन्दुस्तानी ने बलिया ख़बर से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी। हिन्दुस्तानी का दावा है कि वह आम आदमी पार्टी के समर्थित उमीदवार हैं और आप के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। वहीँ हमने इस बात की पुष्टि के लिए आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार से भी बात की, उन्होंने बताया कि जिले के सभी वार्ड से हम अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे।
सीयर ब्लॉक वार्ड 25 से अरशद हिन्दुस्तानी हमारे उम्मीदवार हैं, फ़िलहाल हमने अबतक 17 उम्मीदवारों का चयन किया है। जल्द ही बाकी बचे वार्ड से भी उम्मीदवारों के नामों का एलान किया जाएगा।
अरशद हिन्दुस्तानी बताते हैं कि उनके चुनाव का मक़सद शिक्षा व्यवस्था में सुधार और इलाके का विकास है। अरशद तीन सालों से शिक्षा एक समान की अपनी मांग को लेकर देशभर में जनजागरण कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वो चुनाव जीतते हैं तो इस दिशा में हर संभव प्रयास करेंगे।
बेल्थरा रोड के बांसपार बहोरवॉ के रहने वाले अरशद आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी प्राथमिकता पैसा कमाना नहीं बल्कि समाजसेवा करना है। एक समान शिक्षा के तहत जनजागरण करने को लेकर वो अबतक 7 बार गिरफ्तार किए जा चुके हैं। वो इसके लिए साइकिल और पैदल यात्रा भी कर चुके हैं। अरशद आर्थिक से इतने कमज़ोर हैं कि चुनाव प्रचार के लिए उनके पास एक गाड़ी तक नहीं है।
वो साइकिल से ही प्रचार करने निकलते हैं। वो समाजसेवा के साथ ही कविता का भी शौक़ रखते हैं। इसके लिए वो मुंबई के ऑल इंडिया मुशायरे में हिस्सा भी ले चुके हैं। अरशद का कहना है कि वो अपनी कविताओं के ज़रिए दुनिया को भाईचारे का पैग़ाम देना चाहते हैं।
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बलिया वासियों को सौगात, NH-31 का काम लगभग पूरा, सांसद ने जताया आभार

बलिया। जर्जर नेशनल हाइवे-31 से परेशान बलियावासियों को राहत मिलने जा रही है। NH-31 का काम लगभग पूरा हो चुका है। जिसको लेकर बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह ने ट्वीट कर अपनी खुशी जाहिर की। निमार्ण को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ ही निर्माण कंपनी को भी धन्यवाद दिया।
मा० केंद्रीय मंत्री श्री @nitin_gadkari जी एवं NH -31 के पुननिर्माण में लगे NHAI की पूरी टीम और कार्यदायी संस्था #MCC महादेव को भी धन्यवाद….. @narendramodi @AmitShah @JPNadda @myogiadityanath @NHAI_Official @BJP4UP pic.twitter.com/cTnFDXWn7S
— Virendra Singh Mast (@virendramastmp) May 17, 2022
सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने ट्वीट कर लिखा कि बलिया लोकसभा में सड़क और रेल मार्ग बेहतर हो प्रदेश और देश के मुख्य मार्ग से बलिया को जोड़ कर प्रगति के पथ पर ले जाया जा रहा है। उसी क्रम में NH -31 जो विगत एक दशक से खराब था। बलिया वासियों को बहुत कष्ट झेलना पड़ा था। जिन्हें अब राहत मिल रही है। साथ ही लिखा कि भविष्य में जल्द ही ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस का भी निर्माण चालू होगा।
बता दें NH-31की जर्जर स्थिति से लोग बहुत परेशान थे। यहां तक कि आये दिन हादसे भी होते रहते थे। मामले में लापरवाही सामने आने पर निर्माण कंपनी को भी बदला गया था। हालांकि अब लोगों को राहत मिलती नजर आ रही है।
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बलिया- एक्शन में स्वास्थ्य विभाग, 5 महीने से गायब डॉक्टर पर होगी कार्रवाई !

बलिया में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक्शन मोड में नजर आ रहा है। जहां अब 5 महीने से गायब डॉक्टर निशांत के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई है। जिनका ट्रांसफर सोनवानी सीएचसी से सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए किया गया था, लेकिन वह सोनबरसा में अपना स्थानांतरण पत्र देने के बाद काम पर नहीं गए। ऐसे में CMO डा. नीरज कुमार पांडेय ने उनके विरूद्ध कार्रवाई का अनुरोध किया है। जिसके लिए उन्होंने विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है।
शिकायत के बाद जांच में खुलासा- दरअसल चिकित्सकों की मनमानी के कारण सीएचसी सोनबरसा की स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ गई है। लोगों की शिकायत पर सीएमओ की जांच में मामला पकड़ में आया। सीएमओे ने तीन अन्य चिकित्सकों का भी तीन दिन पहले स्थानांतरण किया है। बताया कि व्यवस्था को ठीक करने के लिए लापरवाह लोगों की समीक्षा की जा रही है। चिकित्सा क्षेत्र में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी
3 साल से एक जगह पर जमे कर्मचारी हटेंगे- वहीं शासन ने ग्रुप-ग (तृतीय श्रेणी) के कर्मचारियों का हर 3 साल में पटल-क्षेत्र में परिवर्तन करने का निर्देश दिया है। यह परिवर्तन 30 जून तक अनिवार्य रूप से करने को कहा गया है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में बड़े बदलाव की तैयारी है। सीएमओ ने बताया कि 3 साल से एक ही पटल देख रहे संवेदनशील या लोक व्यवहार की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा कर बदलाव की किया जाएगा।
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बलिया के बड़े भवनों में नहीं है आग से बचाव के इंतजाम, स्कूलों- अस्पतालों में सुरक्षा उपकरण नदारद

बलियाः गर्मी के मौसम में आगजनी की घटनाओं में इजाफा हो जाता है। कभी-कभार आग इतनी भयानक हो जाती है कि दमकल की गाड़ियां भी आग बुझाने में नाकाम साबित होती है। ऐसे में जरुरी है कि संस्थानों में आग से बचाव की व्यवस्थाएं हों। लेकिन जिले के सरकारी व व्यवसायिक भवनों में आग से बचने के इंतजाम न के बराबर हैं।यहां तक कि स्कूल-कॉलेजों में भी आगजनी से बचने सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। होटल-लॉज, निजी व सरकारी अस्पतालों के भी यही हाल हैं। सभी भवनों में शासन के द्वारा जारी मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
लापरवाही का आलम भी यह है कि मानकों का पालन न करने वाले भवनों को संबंधित विभाग व जिम्मेदार अधिकारियों ने एनओसी भी जारी कर दिया है। जबकि एनओसी देने के पहले अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम को भवनों का भौतिक सत्यापन करना चाहिए, आग से बचाव के उपकरण लगें हैं या नहीं, सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं, इन सभी बातों पर निरीक्षण के बाद ही एनओसी देने का प्रावधान हैं लेकिन विभागीय अधिकारी भवनों का बिना सत्यापन करे ही एनओसी जारी कर रहे हैं।
यही वजह है कि अब गांव देहात ही नहीं बल्कि शहरों में भी बगैर सुरक्षा उपकरणों के ही स्कूल-कॉलेज व अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इन भवनों में आग से बचाव के इंतजाम नदारद हैं। इन्हीं लापरवाहियों की वजह से आग की घटनाएं बड़े हादसे का कारण बनती हैं। मानकों के अनुसार सरकारी, गैर सरकारी भवनों में स्प्रिरंकलर सिस्टम बनाना चाहिए। इसमें एक फव्वारा होता है, जो आग लगने की स्थिति में ऑटोमैटिक पानी फेंकने लगता है।
सबसे बुरा हाल बलिया के सरकारी जिला अस्पताल का है। यहां हर रोज हजारों मरीज अपना इलाज करवाने आते हैं, कई मरीज भर्ती रहते हैं। लेकिन इतने बड़े अस्पताल में आग से बचने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल के नए भवन में स्प्रिरंकलर सिस्टम (फायर हाइड्रेंट) स्थापित किया गया है। इसमें भी नियमित पानी नहीं भरने के चलते शोपीस ही बना रहता है। अग्निशमन विभाग के अफसरों की मानें तो किसी भी एसी कमरे में आग लगने पर तेजी से फैलने का खतरा होता है। शहर के कई अस्पताल ऐसे हैं जहां आपतकालीन स्थितियों में बाहर निकलने के लिए इमरजेंसी एग्जिट की व्यवस्था तक नहीं हैं।
इस संबंध में सीएफओ डीपी सिंह यादव का कहना है कि फायर सुरक्षा नहीं करने वाले संस्थानों व विभागों को समय-समय पर नोटिस भेजा जाता है। इसकी सूची बनाकर जिलाधिकारी व मुख्यालय को भेजी जाती है। इसके अलावा आगजनी रोकने नगरपालिका के इंतजाम भी नाकाफी हैं। नगरपालिका के द्वारा शहर के अलग अलग स्थानों पर करीब 31 हाइड्रेंट लगाए गए थे, लेकिन इनमें से 8 खराब स्थिति में पड़े हैं।
पुराना पोस्ट ऑफिस, विशुनीपुर मस्जिद, एससी कॉलेज, जापलिनगंज नया चौक, आर्य समाज रोड व सतनीसराय में स्थित हाइड्रेंट मिट्टी के नीचे दब चुके हैं। अग्निशमन विभाग के अफसरों का कहना है कि इमरजेंसी में शहर के हाइड्रेंटों की जरूरत पड़ती है, लेकिन कई बार पत्र लिखने के बाद भी नगर पालिका की ओर से इस दिशा में पहल नहीं हो सकी है।
वहीं शहर के प्रमुख प्रतिष्ठान तो खुले स्थानों पर हैं, लेकिन कई छोटे व मझोले प्रतिष्ठान सकरी गलियों में हैं, जिससे आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड का वाहन मौके पर नहीं पहुंच पाता है। कई बार यहां आगजनी की घटनाओं में आग बुझाने में परेशानी हुई है। चौक, विशुनीपुर, टाउन हॉल आदि स्थानों पर सकरी गलियों में आभूषणों की दुकानें हैं, जहां हमेशा गैस सिलेंडर मौजूद रहते हैं। हालांकि कई दुकानदारों ने आग से बचने के प्राथमिक उपाय मसलन सीज फायर आदि की व्यवस्था कर रखी है।
बता दें कि शासन व कोर्ट के द्वारा बताए गए मानकों के अनुसार बड़ी बिल्डिंगों में ओवरहेड या अंडरग्राउंड (स्ट्रेटिक) टैंक होने चाहिए। हाइड्रेंट सिस्टम बनाकर हमेशा पर्याप्त पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, चौड़ा रास्ता हो ताकि फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंच सके। भवनों के बाउंड्री वॉल से दोनों ओर रास्ता और भवनों में डबल सीढ़ी होनी चाहिए। लेकिन जिले के सरकारी व निजी भवनों में इन मानकों का पालन नहीं हुआ।
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