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धार्मिक स्थल समेत अब भी बंद रहेंगी ये चीजें, जानें लॉक डाउन-4 में डीएम की एडवाइजरी

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बलिया डेस्क: लॉकडाउन-4 में किन चीजों का संचालन जारी रहेगा, किस पर रोक रहेगी और बचाव के लिए क्या करना है, इसके सम्बन्ध में जिलाधिकारी एसपी शाही ने सोमवार को विस्तृत एडवाइजरी जारी कर दी है। साथ ही सभी एसडीएम, सीओ, एसओ को अपने क्षेत्र में इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है। डीएम ने बताया कि अब तक 13 कोरोना पॉजिटिव केस होने के नाते जनपद बलिया ऑरेंज जोन में है। जिले के सीमावर्ती जनपद में बक्सर रेड जोन में, जबकि अन्य सभी जनपद अरेंज जोन में हैं।

शासन के निर्देश के क्रम में जारी एडवाइजरी के मुताबिक, जनपद की सीमा में अंतरराज्यीय तथा अंतर्जनपदीय आवागमन पर रोक जारी रहेगी। विशेष परिस्थिति में जिला प्रशासन की अनुमति से जनपद के बाहर तथा गृह विभाग उत्तर प्रदेश शासन की अनुमति से प्रदेश के बाहर आवागमन हो सकता है।

जनपद के सभी शिक्षण संस्थान, होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, जिम, स्विमिंग पुल, असेंबली हॉल, शादी घर बंद रहेंगे। सभी सामाजिक, राजनैतिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम तथा सामूहिक गतिविधियां स्थगित रहेंगी। धार्मिक स्थल के अलावा मिठाई की दुकान, पान गुटखा, चाय पकौड़े की दुकान, ठेला आदि पहले की तरह बंद रहेंगे।

जिलाधिकारी ने बताया कि पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य, नगर पालिका व आवश्यक सेवाओं से संबंधित विभाग पूरी क्षमता के साथ चलेंगे। जबकि अन्य सभी कार्यालय 30 प्रतिशत क्षमता के साथ रोस्टर के आधार पर खोले जाएंगे। हालांकि, जिलाधिकारी ने यह भी कहा है कि जो छूट मिली है, वह कोरोना का प्रसार रोकने की आवश्यक शर्तों का अनुपालन करने की दशा में ही अनुमन्य होगी। उल्लंघन हुआ तो वह छूट स्वतः निष्प्रभावी हो जाएगी।

दोपहिया पर अकेले, चार पहिया पर केवल तीन लोग ही चलेंगे

जिलाधिकारी ने बताया कि आकस्मिक सेवा के अलावा लोगों का आवागमन सुबह 7 से शाम 7 बजे तक ही होगा। इसके बाद रोक रहेगी। व्यक्तिगत वाहन इसी शर्त पर चलेंगे कि दो पहिया वाहन पर केवल चालक, तीन पहिया पर वाहन चालक व अन्य एक व्यक्ति, तथा चार पहिया वाहन पर चालक के अलावा दो व्यक्ति ही जा सकेंगे। जनपद की सीमा के अंदर सार्वजनिक बसों का आवागमन 50 प्रतिशत सीटों की क्षमता के प्रतिबंध के साथ संचालित होगी। परिवहन निगम की बसों पर भी यही व्यवस्था लागू होगी।

नपा व नपं के पहले वाला रोस्टर ही चलेगा

जनपद की नगरपालिका तथा नगर पंचायतों की सीमा में पहले से जारी रोस्टर के अनुसार आवश्यक वस्तुओं तथा दवा की दुकानें खुलेंगी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में सभी प्रकार की एकल दुकानें तथा मेडिकल स्टोर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खोली जा सकेंगी। फुटकर एवं थोक विक्रेताओं तथा ग्राहकों के लिए फेस मास्क अनिवार्य होगा। हर दुकानदार को मास्क, ग्लब्स तथा सेनेटाइजर रखना अनिवार्य होगा।

सोशल डिस्टेंस की शर्त पर खुलेंगी शराब की दुकानें

आबकारी दुकानों का संचालन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक सोशल डिस्टेंस का अनुपालन करते हुए जारी रहेगा। साथ ही दुकान पर साफ-सफाई, हैंड सैनिटाइजर आदि की पर्याप्त व्यवस्था भी होनी चाहिए। देशी मदिरा की फुटकर दुकानों एवं मॉडल शॉप पर शराब पीने की सुविधा नहीं होगी तथा संबंधित दुकान के अंदर भी खानपान की कैंटीन आदि बंद रहेगी।

औद्योगिक इकाइयां व निजी अस्पताल के लिए ये है शर्त

ऐसे निजी हॉस्पिटल, जिन्होंने जनपद में गठित संक्रमण विरोधी समिति के तत्वाधान में ट्रेनिंग किए हैं, वह अपने आकस्मिक सेवाओं का संचालन कर सकेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयां, निर्माण इकाइयां जिनमें उसी परिसर में श्रमिक या कर्मचारी रहते हैं वह चल सकती हैं, बशर्तें प्रत्येक कर्मी मास्क पहना रहे और सोशल डिस्टेंस का अनुपालन करे।

इन सामान्य दिशा-निर्देशों का भी करना होगा पालन

जिलाधिकारी ने सामान्य दिशा निर्देशों की जानकारी देते हुए बताया कि घर से बाहर सभी सार्वजनिक स्थल तथा कार्य स्थलों पर मास्क तथा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन अनिवार्य होगा। 65 वर्ष से ऊपर के वृद्ध व 10 वर्ष से कम उम्र के बालक को घर से बाहर नहीं निकलना है। हर स्मार्ट फोन में आरोग्य सेतु अनिवार्य होगा। यही ऐप व मास्क ही वाहन पास के रूप में माना जाएगा। यही नहीं, यह ऐप नहीं होने को दशा में किस दुकान पर कोई सामान भी नहीं मिलेगा। विवाह व अंतिम संस्कार में 20 लोग ही शामिल होंगे, वह भी सोशल डिस्टेंस का अनुपालन करने की शर्त पर। संदिग्ध तथा लंबी बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों की मृत्यु की दशा में स्थानीय पीएचसी या सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी के संज्ञान में लाकर तथा उसकी लिखित अनुमति के बाद ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित

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बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।

जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।

जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।

बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।

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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज

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बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।

तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

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