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बलिया: अब नहीं रुलाएंगे NH-31 के गड्ढे , सांसद और मंत्री की कोशिश से जगी उम्मीद
बलिया शहर में सतीशचंद्र महाविद्यालय के पास लगभग छह सौ मीटर की लंबाई में एनएच-31 गड्ढों से पटी पड़ी है। इसे बनवाने के लिए बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और प्रदेश सरकार में ग्राम्य विकास मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने हाथ आगे बढ़ाया है। बुधवार यानी आज सड़क बनवाने के लिए ट्रकों से गिट्टी गिराई गई है। दैनिक जागरण की खबर के अनुसार शाम तक दो हाइवा और आठ ट्राली गिट्टी गिराई गई।
राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा है कि “सड़क पर गड्ढा होने के कारण शहर के लोगों को समस्या हो रही है। इसलिए सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ मिलकर मैंने खुद ही सड़क मरम्मत कराने का निश्चय किया है। इस काम के लिए हम दोनों ने सात लाख का बजट दिया है। सड़क मरम्मत का काम एनएचआइ को ही सौंपा गया है।”
सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला की इस पहल से इलाके के लोगों में खुशी देखने को मिल रही है। लंबे समय बाद इस उजड़ी हुई सड़क से मुक्ति मिलने की उम्मीद है। हालांकि यह काम कब तक पूरा होता है यह देखने वाली बात होगी।
हालांकि एनएच-31 के गाजीपुर से बलिया तक मरम्मत के काम में अभी और देरी हो सकती है। बलिया की जनता को अभी लंबे समय तक राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के गड्ढे सताने वाले हैं। क्योंकि एनएच-31 के मरम्मत का टेंडर लेने वाली जयपुर कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने खेल कर दिया है। कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर के सुस्त कार्य ने प्रशासन के नाक में दम भर दिया है। कंपनी की कार्यशैली से नाराज होकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआइ) ने टेंडर निरस्त करने की संस्तुति की है। एनएच-31 की मरम्मत का जिम्मा अब किसी अन्य कंपनी को सौंपी जाएगी।
एनएचआइ ने कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी का अनुबंध खत्म करने के लिए दिल्ली स्थित संस्तुति प्राधिकरण मुख्यालय में फाइल भेज दी है। कंपनी को दस फीसदी अनुबंध राशि जब्त करने की चेतावनी भी दी गई है। एनएचआइ फिलहाल एनएच-31 के मरम्मत के लिए नए सिरे से दस्तावेज तैयार कर रहा है। खबरों के मुताबिक इस काम के लिए तीन फेज का टेंडर डाक्यूमेंट तैयार किया गया है।
बता दें कि बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली एनएच-31 का गाजीपुर से लेकर बलिया के मांझी घाट तक मरम्मत किया जाना था। इस काम के लिए बीते साल जून के महीने में एक सौ दो करोड़ का टेंडर दिया गया था। टेंडर लिया जयपुर के कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर नाम की कंपनी ने। उस वक्त कंपनी ने कहा था कि एनएच-31 के मरम्मत का काम गाजीपुर और बलिया दोनों ओर से शुरू की जाएगी। ताकि तय समय के भीतर काम पूरा हो सके। कार्य पूर्ण करने की अवधि एक साल थी। इस लिहाज से बीते जून में ही एनएच-31 के मरम्मत का काम पूरा हो जाना चाहिए था।
शुरूआती दिनों में बलिया में बैरिया से मांझी घाट तक काम शुरू की गई। लेकिन आधा-अधूरा काम करके ही छोड़ दिया गया। जिसके चलते दस दिनों के भीतर ही इस हिस्से में किया गया मरम्मत भी बेकार चला गया। दो हफ्तों में ही सड़क उधड़ गई। एनएचआइ ने कई बार काम में हो रहे लेटलतीफी को लेकर कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को नोटिस भेजा। कंपनी ने पहले तो कोरोना का बहाना बनाया। उसके बाद काम में ढिला-सीली शुरू कर दी। जिससे खिन्न होकर एनएचआइ ने अब कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है।
बहरहाल एनएच-31 के गाजीपुर से बलिया के मांझी घाट तक मरम्मत का काम किसी अन्य कंपनी को सौंपी जाएगी। हालांकि इस वजह से प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ने वाली है। साथ ही कार्य पूरा होने में अब और भी देरी होने की पूरी संभावना है। तब तक बलिया की जनता को इन गड्ढों से निपटते रहना होगा। लेकिन इस लापरवाही की कीमत अब कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को भी चुकानी पड़ सकती है। क्योंकि विभाग इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी में है।
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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम
बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।
बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।
इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट
लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.
ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:
सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.
यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.
‘सनातन’ की सियासत:
साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.
साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.
2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.
2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.
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