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कौन रचेगा इतिहास, किसके सिर सजेगा नगरा का पहला ‘ताज’?
उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का माहौल पूरी तरह बन चुका है. बलिया में भी नगर निकाय चुनाव की चहल-पहल बढ़ती दिख रही है. भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अन्य छोटे दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी अपने पैर जमाने में लगे हुए हैं. ज़िले में नए परिसीमन के बाद अब 10 नगर पंचायत क्षेत्र हैं. लेकिन सभी की निगाहें दो नए-नवेले नगर पंचायतों पर टिकी हुई हैं. नगरा और रतसर कलां. यहां बात नगरा की होगी.
नगरा नगर पंचायत में तीन नगर ग्राम पंचायत आते हैं. नगरा, चचयां और भंडारी. पूरा क्षेत्र दो विधानसभा सीटों के बीच बंटा हुआ है. रसड़ा और बेल्थरा रोड. विधानसभा सीटों का समीकरण ही है जिसने नगरा की चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. खासकर समाजवादी पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी के बीच गठबंधन के बाद समीकरण और भी बदले हुए हैं.
दरअसल रसड़ा से विधायक हैं उमाशंकर सिंह जो बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा से आते हैं. बेल्थरा रोड से हंसू राम हैं विधायक जो सुभासपा के नेता हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा-सुभासपा का गठबंधन था. सीट बंटवारे में बेल्थरा रोड सुभासपा के खाते में गया. हंसू राम उम्मीदवार बने. चुनाव हुआ तो उनकी जीत हुई. लेकिन पिछले कुछ दिनों में सपा और सुभासपा के बीच तलवारें खींची हुई हैं. चुनावी जीत नहीं मिली तो ओपी राजभर लगातार अखिलेश यादव पर तंज करते रहे. अंत में दोनों के बीच गठबंधन टूट गया.
अब नगरा में विधानसभा के मुताबिक सपा का कोई आधार नहीं है. एक तरफ बसपा है और दूसरी तरफ सुभासपा. ये क्षेत्र ऐसा है कि पिछड़ी जातियों के वोट प्रभावी संख्या में हैं. इसलिए सपा के लिए भाजपा से ज्यादा चुनौती बसपा और हंसू राम हैं. हालांकि ये नगर पंचायत चुनाव है. जहां लखनऊ के समीकरण धरे के धरे रह जाते हैं. लोकल मुद्दे इन चुनावों में हमेशा हावी रहते हैं. राशन, नल, नाला इस तरह के मुद्दों का जोर रहता है. साथ ही बड़े नेताओं से ज्यादा असर ग्राम लेवल के नेताओं का दिखता है. क्योंकि 3 गांव में हर कोई किसी का दादा, किसी की दादी, किसी का चाचा तो किसी की चाची निकल ही जाती है.
‘रण’ में दिख सकते हैं ये चेहरे:
इस बार नगर पंचायत चुनाव की टाइमिंग ने इसे बेहद खास बना दिया है. 2022 विधानसभा चुनाव के बीते बहुत दिन नहीं हुए. तो दूसरी ओर 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत दूर नहीं है. पिछले चुनाव में क्षेत्रीय स्तर पर किसने पार्टी के लिए कितना मेहनत किया और आने वाले चुनाव में कौन संगठन को मजबूत कर सकता है? ये दो पिलर सवाल हैं जिसके आधार पर सभी पार्टियां टिकट देंगी.
बता दें कि भाजपा से नगरा नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए देवेन्द्र, देव नारायण प्रजापति देवा भाई, आलोक, राजू सोनी, अनिल, बुच्चन, प्रेम प्रकाश और अरविंद नारायण, पूर्व प्रधान काशीनाथ जायसवाल रेस में शामिल हैं. हालांकि भाजपा किस पर दांव खेलती है ये देखने वाली बात होगी.
सपा से योगेंद्र और रविशंकर तो बसपा से इश्तियाक अहमद , कमलेश व निर्भय प्रकाश टिकट की रेस में शामिल हैं. इसके अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में दिखेंगे. लेकिन ये नाम अब तक खुलकर सामने नहीं आए हैं.
हेल्लो पाठकों: बलिया ख़बर नगर पंचायत चुनाव को लेकर सीरीज चला रहा है. बलिया ज़िले के सभी नगर पंचायतों के समीकरण, चुनावी मुद्दे, चुनावी किस्से, हर एंगल पर स्टोरी पढ़ने को मिलेगी. नेताओं के धमाकेदार इंटरव्यू भी दिखेंगे. तो आइए जुड़ुिए हमारी नगर पंचायत सीरीज से. अगर आपके पास कोई किस्सा हो, कोई मुद्दा हो या कुछ भी नगर पंचायत चुनाव से जुड़ा बताना चाहते हों तो हमें 7827294705 पर मैसेज करें. फेसबुक और ट्विटर पर भी कर सकते हैं मैसेज.
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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम
बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।
बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।
इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट
लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.
ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:
सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.
यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.
‘सनातन’ की सियासत:
साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.
साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.
2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.
2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.
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