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बलिया स्वच्छ सर्वेक्षण- रसड़ा की रैंकिंग बढ़ी, बांसडीह और बेल्थरारोड में सुधार फिर भी फिसड्डी

बलिया । स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 का परिणाम आ चुका है। अलग-अलग श्रेणियों में वाराणसी से लेकर इंदौर तक को स्वच्छता के लिए पुरस्कार दिया गया है। उत्तर प्रदेश को 2020 की ही तरह इस बार भी निराशा हाथ लगी है। बल्कि जिले की रैंकिंग पिछले साल की तुलना में पांच पायदान नीचे ही खिसक गई है। लेकिन जनपद के एक अन्य नगरपालिका और नगर पंचायतों ने जिले की कुछ लाज रखी है।
रसड़ा नगरपालिका और नगर पंचायत- रेवती, बैरिया, सहतवार, सिकंदरपुर, चितबड़ागांव ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 की अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। 25 लाख से 50 लाख तक जनसंख्या वाले दो सौ शहरों में रसड़ा नगरपालिका को 154 वां स्थान हासिल हुआ है। ये रैंकिंग रसड़ा के खस्ताहाल की कहानी बयां कर रहा है। लेकिन बीते साल की रैंकिंग की तुलना में रसड़ा ने काफी सुधार किया है।
25 लाख से 50 लाख तक की आबादी वाले शहरों की ही श्रेणी में रेवती नगर पंचायत को 33 वीं रैंक मिली है। साल 2020 में रेवती नगर पंचायत 89 वें और 2019 में 426 वें पायदान पर थी। बैरिया नगर पंचायत 2020 के सर्वेक्षण में 421 वीं स्थान पर थी। लेकिन 2021 में इसे 117 वीं रैंक मिली है। बताते चलें कि 2019 में जब सर्वेक्षण हुआ था तब बैरिया 894 वीं रैंक पर थी। इस तरह देखा जाए तो बैरिया में तेजी से तस्वीर बदलते हुए पाई जा रही है।
25 हजार से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी 720 शहर हैं। इनमें बलिया की सहतवार नगर पंचायत 170 वीं पायदान पर है। 2020 के मुकाबले सहतवार की रैंकिंग में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। चितबड़ागांव नगर पंचायत को 301 वीं, बांसडीह को 325 वीं और बेल्थरारोड को 323 वीं रैंक मिली है।
गौरतलब है कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 में नियमित रूप कूड़ा इकट्ठा करने और उसके निस्तारण के समुचित प्रबंध को लेकर विशेष ध्यान दिया गया है। नगरपालिका की ओर से घर-घर कचरा लेने यानी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के प्रदर्शन से रैंकिंग पर असर पड़ा है। बलिया में ये दोनों ही व्यवस्थाएं बिस्तर पकड़े हुए हैं। नगरपालिका की लापरवाही और शहर भर में जहां-तहां फैले कूड़ा की शिकायतें आमतौर पर होती रहती हैं। जिसका असर स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 की रैंकिंग में देखने को भी मिला है।
हालांकि रसड़ा नगरपालिका और जिले की नगर पंचायतों के प्रदर्शन में काफी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। जो कि एक अच्छा संकेत है। सवाल ये है कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के नतीजे सामने आने के बाद बलिया नगरपालिका अपनी व्यवस्था में क्या बदलाव लाएगा?


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बलिया में सरकारी एंबुलेंस सेवा खस्ताहाल, जिलेभर के मरीज परेशान

बलिया की एंबुलेंस सेवा खस्ताहाल है। मरीज की स्थिति चाहे सामान्य हो या गंभीर, एंबुलेंस न तो समय पर पहुंचती है और न ही समय पर अस्पताल पहुंचाती हैं। हालत गंभीर होने पर मरीजों को निजी साधन से अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है। ऐसे में जिलेभर में मरीज परेशान हैं।
बता दें कि जिले में मरीजों की सुविधा के लिए निशुल्क एंबुलेंस सेवा संचालित की जा रही है। इसके लिए 76 एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं। इनमें 38 एंबुलेंस 102 नंबर और 38 एंबुलेंस 108 नंबर की है। इन एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम 11 मिनट तय किया गया है। यानि कि जब मरीज फोन करे तो 11 मिनट में ही एंबुलेंस पहुंचना चाहिए। लेकिन इन नियमों का पालन नहीं हो रहा। 11 मिनट की बजाए एंबुलेंस आधे से एक घंटे से देर से पहुंच रही है। चालक दूर होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
हालत बिगड़ने पर मरीज को निजी साधन से अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। कई बार समय से न पहुंचने के कारण एंबुलेंस में ही प्रसव हो जाते हैं। कई एंबुलेंस तो मरम्मत व रखरखाव के अभाव में खस्ताहाल हो गई हैं। जिला अस्पताल में कुछ एंबुलेंस को इधर-उधर खड़ा कर छोड़ दिया गया है। धूप, बारिश में वे खुले में सड़ रही हैं। सीएमओ आवास पर कई एंबुलेंस कबाड़ हो चुकी हैं। उनके अधिकांश पार्ट्स गायब हैं या खराब हो चुके हैं।
एम्बुलेंस प्रभारी प्रभाकर यादव ने बताया कि जिला अस्पताल से करीब 12 से 14 मरीज वाराणसी के लिए रेफर होते हैं। वहां 108 एंबुलेंस जाकर 12 घंटे तक फंस जाती है। मरीजों के लिए पास के हनुमानगंज में पांच एंबुलेंस रहती है जिन्हें तत्काल भेज दिया जाता है। वहीं सीएमओ डॉक्टर जयंत कुमार का कहना है कि कई बार हमने देरी से पहुंचने की बात को बैठकों में कहा है। रिस्पांस टाइम का पालन हो, इसके लिए सेवा प्रदाता को पत्र भेजा गया है। हर हाल में समय का पालन होना चाहिए।
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बलियाः जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट का कारनामा, मरीज को खड़ा कर ही लगा दिया इंजेक्शन

बलिया जिला अस्पताल की बदतर व्यवस्थाओं के किस्से आपने सुने होंगे। अब अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोलती एक तस्वीर सामने आई है। जहां फार्मासिस्ट अशोक सिंह ने मरीज को लेटाकर इंजेक्शन लगाने के बजाय खड़ा कराकर ही इंजेक्शन लगा दिया। फार्मासिस्ट की इस लापरवाही से बुजुर्ग मरीज दर्द से कराहता रहा।
बुजुर्ग को खड़े कर इंजेक्शन लगाने की तस्वीर वायरल हुई है। जिसके बाद तमाम सवाल उठ रहे हैं। जब फार्मासिस्ट से पूछा कि आपने इस तरीके से सुई क्यों लगाई, जिस पर अपनी गलती मानने के बजाए वह पत्रकारों को धमकाया। बता दें कि जिला अस्पताल में अक्सर स्टाफ मरीजों की सही से देखभाल नहीं करते और आए दिन इलाज में लापरवाही करते हैं।
इसी बीच रविवार दोपहर चार बजे फार्मासिस्ट अशोक सिंह वार्ड में गए और मरीज को खड़े-खड़े ही इंजेक्शन लगा दिया। वहां मौजूद पत्रकार ने इस लापरवाही को अपने कैमरे में कैद कर लिया। बस फिर क्या, फार्मासिस्ट अशोक सिंह पत्रकारों पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि मेरी मर्जी में कैसे भी इंजेक्शन लगाऊं, आप पत्रकार लोग वीडियो कैसे बनाएं, हम आपकी जिला अस्पताल में इंट्री बंद करवा देंगे। उधर इस संबंध में जब सीएमएस डॉक्टर दिवाकर सिंह से बात की गई तो उन्होंने छुट्टी का हवाला देकर प्रभारी सीएमएस डॉक्टर वीके सिंह के पाले में गेंद डाल दी। वहीं जब पत्रकारों ने डॉक्टर वीके सिंह से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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PM जन विकास योजना का विस्तार, बलिया में इन अल्पसंख्यक क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

बलिया। उत्तरप्रदेश में अल्पसंख्यक वर्ग को मजबूत करने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। जहां अब अल्पसंख्यक समाज को मजबूत और शिक्षित बनाने के लिए चल रही प्रधानमंत्री जन विकास योजना का दायरा भी बढ़ाया गया है। ऐसे में अब बलिया जिले के भी कुछ क्षेत्रों को योजना का लाभ मिलेगा। इस योजना के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास आदि के क्षेत्र में अल्पसंख्यकों को मजबूत बनाने के लिए भौतिक और सामाजिक ढांचे के विकास पर फोकस रहेगा।
25 फीसदी आबादी पर मिलेगा लाभ- नगरपालिका और नगर पंचायतों में जहां भी अल्पसंख्यकों की आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है, वहां 5 किमी परिधि में सबसे अधिक आवश्यकता वाले विकास कार्यों को कराया जाएगा। सब कुछ ब्लॉक स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट पर होगा। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की देख-रेख में उन कस्बों या गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल मैदान, आंगनबाड़ी केंद्र, सामुदायिक भवन, तकनीकी स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी, छात्रावास आदि के विकास कार्य कराए जाएंगे। अल्पसंख्यक आबादी की गणना साल 2011 की जनगणना के अनुसार होगी
इन क्षेत्रों को मिलेगी विकास की संजीवनी- बलिया जिले में सदर तहसील, सिकंदरपुर, रसड़ा और बिल्थरारोड में अल्पसंख्यक समाज को विकास की संजीवनी मिल सकती है। क्योंकि इन क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों की आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है।
हर जिले में होगा विकास- अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी दिव्य दुर्गेश सिन्हा ने बताया कि पहले भारत सरकार अल्पसंख्यक युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए MSDP यानि मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट के तहत अल्पसंख्यक बाहुल्य नगर, कस्बा और गांवों में बहुक्षेत्रीय विकास करती थी। उसमें जिला शामिल नहीं था । इस वजह से यहां के अल्पसंख्यक समाज को लाभ नहीं मिल पाया। अब इसका विस्तार कर दिया गया है। ब्लॉक स्तरीय रिपोर्ट के आधार पर कार्ययोजना बनाकर विकास कार्य होंगे।
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