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Ballia News- ग्रांम पंचायत सहायकों की नियुक्ति में उलझे अफसर, मिल रहीं सैकड़ों शिकायतें
बलिया। जिले में ग्रांम पंचायतों सहायकों की नियुक्ति प्रक्रिया में पेंच फंसता नजर आ रहा है। संबंधित विभाग अब तक ग्रांम पंचायतों सहायकों की नियुक्ति नहीं कर पाया है। जिसका कारण अनारक्षित सीटों पर नियुक्ति करना बताया जा रहा है। पंचायत राज विभाग के अफसर नियुक्ति प्रक्रिया में उलझ कर रह गए हैं। अभी तक जनपद में 940 में 579 ग्राम पंचायतों में ही प्रक्रिया पूरी हो सकी है। वहीं 250 शिकायतों के सामने आने के बाद मामला और पेंचीदा बन गया है। अब सत्यापन का काम तेजी से चल रहा है। हालाकि विभाग का दावा है कि जल्द ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।बता दें अनारक्षित सीटों पर नियुक्ति होने से पंचायत राज विभाग की मुश्किल बढ़ गई हैं। शासन ने कोरोना के कारण मृत लोगों को नियुक्ति में वरीयता देने का निर्देश दिया था। इसका अनुपालन करने के बाद मामला फंस गया है। कई अनारक्षित सीटों पर दूसरी जातियों के दावेदारों का चयन कर लिया गया है। शिकायतों में कई लोगों ने मेरिट लिस्ट को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कम नंबर वालों की नियुक्ति कर दी गई है। हालांकि जांच में इनमें अधिकांश शिकायतें निराधार पाई जा रही हैं। कई दावेदारों के शैक्षणिक और अन्य प्रमाण पत्रों के फर्जी होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। शिकायतकर्ताओं ने इसको लेकर भी आपत्ति जताई है। पंचायतराज विभाग अब इनके सत्यापन में जुट गया है।
वहीं कई शिकायतकर्ताओं ने ग्राम प्रधानों पर अपने नाते-रिश्तेदारों को लाभ दिलाने का आरोप लगाया है। इस पर विभाग की दलील है कि खून का रिश्ता होने की दशा में आवेदन रद कर दिया जाएगा। दूसरे राज्यों के बोर्ड के सत्यापन में अड़चन आ रही है। 319 ग्राम पंचायतों में नियुक्ति प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन करना है। सीबीएसई, राजस्थान, नागालैंड सहित अन्य बोर्डों के प्रमाण पत्रों का मिलान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आवेदकों से शिक्षण संस्थानों से दस्तावेजों का सत्यापन कराने की कवायद चल रही है।
मामले में एडीपीआरओ गुलाब का कहन है कि शिकायतों के निस्तारण की प्रक्रिया चल रही है। जो भी अड़चनें आ रही हैं उन्हें शीघ्र दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। पंचायत राज विभाग की कोशिश है कि जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। जिसको लेकर अब काम में भी तेजी लाई जा रही है। हालांकि देखना होगा कि विभाग कब तक नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी करता है। और कब तक सभी ग्रांम पंचायतों में सहायकों की नियुक्ति की जाती है।
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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम
बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।
बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।
इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट
लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.
ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:
सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.
यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.
‘सनातन’ की सियासत:
साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.
साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.
2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.
2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.
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