निकाय चुनाव
‘दुनिया की कोई ताकत सुभासपा प्रत्याशी को नहीं हरा सकती, सपा के लिए मुसलमान सिर्फ वोट बैंक’

बलिया के सिकंदरपुर में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के तत्वाधान में कार्यकर्ता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने निकाय चुनाव के लिए सिकंदरपुर नगर पंचायत से अध्यक्ष पद के लिए शेख अहमद अली उर्फ संजय भाई की पत्नी सायरा बानो को पार्टी की तरफ से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया और विरोधियों को चुनौती भी दी। कहा कि दुनिया की कोई ताकत सुभासपा प्रत्याशी को हरा नहीं सकती।
अपने दम पर लड़ेंगे चुनाव – इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि सुभासपा अपने दम पर पूर्वांचल ही नही, अपितु पश्चिम के बहुतायत सीटों पर दमखम से चुनाव लड़ने का काम करेगी। कार्यकर्ताओं की वजह से ही गरीब, वंचित व शोषित वर्ग की आवाज को बेबाक अंदाज में सड़क से सदन तक उठाने की शक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि चाहे शिक्षा की बात हो या पुलिस कर्मचारियों की, शिक्षक भर्ती में धांधली का शिकार हुए नौजवानों की, स बकी बातों को सदन में उठाने वाला एक मात्र ओमप्रकाश राजभर है। हमारी लड़ाई है कि गरीबों का इलाज देश में फ्री होना चाहिए। पूरा प्रदेश बिजली के बिल से परेशान हैं। घरेलू बिजली के बिल को माफ करने की लड़ाई भी सुभासपा ही लड़ती आई है।
सपा के लिए मुसलमान सिर्फ वोट बैंक – सुभासपा अध्यक्ष ने सपा प्रमुख पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सुभासपा के दम पर 111 विधायक जितने वाले को नगर निकाय चुनाव में औकात पता चल जाएगी। विस चुनाव के बाद अखिलेश ने मुझे तलाक दे दिया, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि मैनपुरी चुनाव में डिंपल यादव की जीत अखिलेश की वजह से नहीं मिली। यह माननीय मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि है। रामपुर हार का टिकरा सपा प्रमुख पर फोड़ते हुए कहा कि सपा के लोगों ने मिलकर आजम खां के करीबी आसिम रजा को चुनाव हरा दिया। सपा के लिए मुसलमान सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गया है।






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निकाय चुनाव: बेलथरा रोड नगर पंचयात के वोटर लिस्ट में किसने फर्जीवाड़ा करवाया ?

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है. तमाम सियासी दल मैराथन स्तर पर तैयारियों में जुटे हुए हैं. संभावित दावेदार क्षेत्र और मतदाताओं के चक्कर काट रहे हैं. इन सब के बीच बलिया के बेलथरा रोड नगर पंचायत से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. बेलथरा रोड नगर पंचायत की मतदाता सूची में छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं. दावा है कि निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता ने BLO संग मिलकर वोटर्स लिस्ट में घालमेल कर दिया है.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानि सुभासपा. ओम प्रकाश राजभर की पार्टी है. बेलथरा रोड नगर पंचायत से अध्यक्ष पद के लिए सुभासपा के संभावित दावेदार मनीष कुमार जायसवाल हैं. मनीष कुमार जायसवाल ने क्षेत्र की मतदाता सूची पर बड़े सवालिया निशान खड़े किए हैं. एक ऑडियो क्लिप सामने लाते हुए उन्होंने आरोप लगाया है कि नगर पंचायत अध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता ने वोटर लिस्ट में फर्जी तरीके से हजारों की संख्या में नए नाम शामिल करवाए हैं. ऐसे नाम जो दिनेश कुमार गुप्ता के समर्थक हैं और निकाय चुनाव में उन्हें वोट देंगे.
मनीष कुमार जायसवाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया है. उच्च न्यायालय के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल के. आर. सिंह ने इस बाबत राज्य निर्वाचन कमिश्नर, जिला चुनाव अधिकारी यानि बलिया के DM, उप चुनाव अधिकारी यानि बेलथरा रोड के SDM और बेलथरा रोड नगर पंचायत के BLO को एक आदेश भी जारी किया है. अदालत ने इन चारों अधिकारियों से मामले की जानकारी मांगी है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई हो सके. कोर्ट ने ये आदेश 29 नवंबर को ही जारी किया था. हालांकि फिलहाल इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है.
क्या हैं आरोप ?
बेलथरा रोड नगर पंचायत की सीट है. यहां नगर पंचायत अध्यक्ष पद की सीट अनारक्षित है यानि सामान्य है. चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले वोटर लिस्ट पर सवाल उठ गए. सुभासपा के मनीष कुमार जायसवाल ने आरोप लगाया है कि फर्जी तरीके से मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी की गई है. ये फर्जीवाड़ा निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता के दबाव में BLO ने किया है, ऐसा आरोप लगा है.
दावा है कि 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नगर पंचायत बेलथरा रोड में मतदाताओं की संख्या 16,198 थी. लेकिन अब मतदाताओं की संख्या 18,038 हो गई है. ऐसे में 1840 नए मतदाताओं के नाम लिस्ट में जोड़े गए हैं. जबकि नए मतदाताओं की संख्या करीब 2 हजार है. जो कि अलग से जोड़ी गई है. ऐसे में आरोप है कि 1840 वोट गलत तरीके से जोड़े गए हैं. ताकि चुनाव को प्रभावित किया जा सके.
आरोप लगाने वाले मनीष कुमार जायसवाल ने जिलाधिकारी से मांग की है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच हो. ताकि चुनाव प्रभावित ना हो. हालांकि देखने वाली बात होगी कि क्या इस मामले को प्रशासन गंभीरता से लेता है? साथ ही अगर जांच होती है तो देखने वाली बात होगी इन आरोपों में कितना दम है और चुनाव पर इसका क्या कुछ प्रभाव पड़ता है?
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बेल्थरा रोड: नगर पंचायत चुनाव जीतने के लिए बीजेपी का मास्टर प्लान ये है?

उत्तर प्रदेश में इन दिनों उपचुनाव की चर्चाएं तेज हैं. मैनपुरी, रामपुर और खतौली में होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. लेकिन नेपथ्य में निकाय चुनाव की जमीन तैयार हो रही है. निकाय चुनाव को लेकर 29 नवंबर यानी कल का अपडेट ये है कि सीटों की आरक्षण सूची मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने पेश किया जा चुका है. सीएम योगी से हरी झंडी मिलने के बाद आरक्षण सूची जारी होने की संभावना है. बहरहाल, निकाय चुनाव स्पेशल में यहां हम बात करेंगे बलिया ज़िले के बेल्थरा रोड नगर पंचायत की. जहां जीत के लिए के लिए बीजेपी ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है. तो दूसरी पार्टियां भी राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद में जुटी हैं.
बेल्थरा रोड से फिल्हाल दिनेश कुमार गुप्ता नगर पंचायत अध्यक्ष हैं. एक बार फिर दिनेश कुमार गुप्ता चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. दिनेश कुमार गुप्ता भाजपा से पीछली बार नगर पंचायत अध्यक्ष बने थे. उनके सामने प्रवीण नारायण गुप्ता, लखी गुप्ता, भगवती राजभर,
मनीष जायसवाल, कालिका प्रसाद गुप्ता, अवधेश यादव, शेख ऐजाजुद्दीन दावेदारी करते दिख सकते हैं.
बात करें बेल्थरा रोड नगर पंचायत की जनसंख्या की. यहां करीब 20 हजार से ज्यादा की आबादी रहती है. इसमें करीब 73 फीसदी जनसंख्या हिंदु समुदाय की है. तो वहीं करीब 26 फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग हैं. मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या हिंदुओं की अपेक्षा जरूर कम है. लेकिन हर बार इस वर्ग के मतदाता हार-जीत के बीच खड़े होते हैं. सियासी भाषा में कहें तो किंग मेकर की भूमिका निभाते हैं.
भाजपा का मास्टर प्लान:
बलिया ज़िला पूर्वांचल का हिस्सा है. निकाय चुनाव को जब 2024 लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाता है तो इसकी अहमियत बढ़ जाता है. हालांकि निकाय चुनाव को लेकर भाजपा ने अब तक उम्मीदवारों के पत्ते नहीं खोले हैं. सूत्र भाजपा के एक आंतरिक सर्वे के हवाले से बताते हैं कि बलिया और खासकर बेल्थरा रोड की लड़ाई इस बार भाजपा के लिए आसान नहीं है. स्थानीय स्तर पर पार्टी की गुटबाजी, एंटी इनकम्बेंसी, बड़ी संख्या में बगावत ने भाजपा की राहों में कांटे बिछा दिए हैं.
बीते महीने यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी बलिया के दौरे पर आए थे. इसके अलावा यूपी सरकार में मंत्री दानिश आजाद अंसारी कई बार बलिया के दौरे पर आ चुके हैं. पसमांदा मुसलमानों को रिझाने के लिए दानिश आजाद अंसारी को आगे किया जा रहा है. दानिश आजाद अंसारी का गृह जिला भी बलिया ही है. भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर पार्टी किसी मुसलमान प्रत्याशी को बैकडोर से मैदान में उतार या सपोर्ट कर सकती है. ताकि मुख्य प्रत्याशी की जीत के लिए मुस्लिम वोट के समीकरण को साधा जा सके.हालांकि मुस्लिम मतदाताओं के प्रभाव को कम करने के लिए भाजपा बलिया की कुछ और सीटों पर यहीं रणनीति अपनाने वाली है. वजह साफ स्थानीय स्तर पर पार्टी के नेतृ्त्व से मुस्लमान समुदाय के मतदाताओं में नाराज़गी है. देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा समेत दूसरे दल बेल्थरा रोड से किन प्रत्याशी पर दांव लगाते हैं. साथ ही भाजपा स्थानीय स्तर के आक्रोश और सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए क्या रणनीति अपनाती है?
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दो चरणों में होंगे निकाय चुनाव, दिसंबर के पहले सप्ताह में जारी हो सकती है अधिसूचना!

यूपी में इस बार नगरीय निकाय चुनाव दो चरणों में कराए जा सकते हैं। गुजरात चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग दिसंबर के पहले सप्ताह में अधिसूचना जारी कर सकता है। दोनों चरणों के निकाय चुनाव दिसंबर में खत्म कर जनवरी के प्रथम सप्ताह में परिणाम घोषित करने की तैयारी है। इस बार करीब सवा चार करोड़ मतदाता 763 नगरीय निकायों के लिए अपने प्रतिनिधि चुनेंगे।
यूं तो राज्य निर्वाचन आयोग को नगरीय निकाय चुनाव कराने के लिए डेढ़ माह यानी 45 दिन की जरूरत होती है, किंतु विशेष परिस्थितियों में आयोग ने 35-36 दिनों में भी चुनाव करा लेता है। पांच वर्ष पहले 2017 में भी आयोग ने 27 अक्टूबर को चुनाव की अधिसूचना जारी कर तीन चरणों में मतदान 22, 26 व 29 नवंबर को कराए गए थे।
मत की गिनती एक दिसंबर को हुई थी। यानी 2017 में भी आयोग ने केवल 36 दिनों में चुनाव संपन्न कराया था। इस बार भी आयोग को चुनाव कराने के लिए बहुत कम समय मिल रहा है। निकायों के गठन, परिसीमन व सीमा विस्तार के काम में सरकार को बहुत समय लग गया। अब सरकार मेयर, चेयरमैन व वार्डों के आरक्षण के काम में लगी है।
इस काम में करीब एक सप्ताह का समय और लगना तय है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग के पास 20 नवंबर के बाद ही आरक्षण के बाद निकायों की सूची पहुंचेगी। चूंकि मुख्यमंत्री सहित प्रदेश सरकार के मंत्री गुजरात चुनाव में व्यस्त हो जाएंगे। गुजरात मैं एक और पांच दिसंबर को मतदान होना है। इसके अलावा नवंबर में ही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए निवेशकों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री व सरकार के मंत्रियों को विदेश भी जाना है। सूत्रों के अनुसार गुजरात में तीन दिसंबर की शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा, ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग इसके बाद कभी भी निकाय की अधिसूचना जारी कर सकता है।आयोग ने फिलहाल दो व तीन दोनों ही चरणों के चुनाव कार्यक्रम तैयार करवाया है, किंतु समय कम बचने के कारण सबसे अधिक संभावना दो चरणों में चुनाव कराने की बन रही है, क्योंकि जनवरी के पहले सप्ताह तक निकाय का गठन हो जाना चाहिए। फिलहाल आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में लगा हुआ है। वर्ष 2017 में 3.32 करोड़ मतदाता थे जबकि इस वर्ष करीब एक करोड़ मतदाता बढ़ने की उम्मीद है। 18 नवंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन के बाद मतदाताओं की असल संख्या का पता चल सकेगा।
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