उत्तर प्रदेश
बलिया पहुंच प्रियंका गांधी के रोड शो मैं उमड़ा जनसैलाब, कही ये बात !

बलिया। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज बलिया पहुंची। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में बांसडीह और फेफना विधानसभा में रोड शो किया और जनता से कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील की।प्रियंका गांधी ने सहतवार, बांसडीह और फेफना, रतसड़ में प्रियंका ने रोड शो किया।
इस रोड़ शो के दौरान पार्टी के पदाधिकारियों के साथ भारी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। वहीं प्रियंका के रोड़ शो को जनता का भी समर्थन मिला। प्रियंका को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर दौड़ पड़े। इस भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी।प्रियंका गांधी बलिया के बांसडीह पहुंची।
उन्होंने जूनियर हाईस्कूल के मैदान में हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद वाहन से वह सीधे सप्तऋषि द्वार होते हुए अंबेडकर चौक पहुंची। अंबडेकर प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कांग्रेस प्रत्याशी पुनीत पाठक के लिए रोड शो शुरु किया। वहीं बेलथरा रोड से कांग्रेसी की प्रत्याशी गीता गोयल भी प्रियंका गांधी की गाड़ी पर सवार थी । वहीं गीता गोयल के समर्थक और काँग्रेस के कार्यकर्ता भारी संख्या में बेलथरा विधानसभा से भी पहुचे थे। प्रियंका का रोड शो जो सप्तऋषि द्वार से कोतवाली होते हुए जूनियर हाईस्कूल के मैदान में जाकर समाप्त हुआ। इस चुनाव में पहली बार बलिया की धरती पर प्रियंका गांधी के देखने के लिए भारी संख्या में लोग उमड़े।
उन्होंने कई जगह लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा बुलंद किया और कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील की।बता दें कि बलिया में छटवे चरण में तीन मार्च को चुनाव हैं। ऐसे में बलिया की सातों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा सभी राजनैतिक पार्टियां चुनावी मैदान में है। आज पीएम मोदी ने भी हैबतपुर में जनसभा को संबोधित किया।
उत्तर प्रदेश
बलिया के पत्रकारों की गिरफ्तारी पर बोले डिप्टी सीएम, जांच चल रही है, जल्द न्याय होगा

बलिया पेपर लीक केस में पत्रकारों की गिरफ्तारी के मामले में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि बलिया में पत्रकारों की गिरफ्तारी की जांच कराई जा रही है। इस मामले में जल्द ही न्याय होगा।डिप्टी सीएम डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी में शामिल हुए थे। जहां सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि बलिया का पूरा प्रकरण संज्ञान में है और उसकी जांच कराई जा रही है।
जो निर्दोष हैं उन पर कार्रवाई नहीं होगी। इसके अलावा उन्होंने कई मुद्दों पर मीडिया से चर्चा की।बलिया में चल रहे अवैध खनन के सवाल पर कहा कि अभी इसकी जानकारी नहीं है। इस मामले में बलिया प्रशासन से जवाब लिया जाएगा। डिप्टी सीएम ने आईएमए हाल में अपने भाषण के दौरान ने बगैर नाम लिए सपा विधायक शहजिल इस्लाम पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि गुंडों, माफियाओं और अपराधियों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। सरकार उन पर कार्रवाई कर रही है तो कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। फिर भी सारे अवैध कब्जों पर कार्रवाई होगी।उन्होंने कहा कि हम सरकार में है तो कानून- व्यवस्था बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।
आगे कहा कि चुनाव से पहले ऐसा वातावरण बनाया गया जैसे सपा सत्ता में आ रही है लेकिन भाजपा की सरकार आई। झूठा वातावरण बनाने से उन्होंने कुछ सीट जरुर अधिक ले ली लेकिन सरकार हमारी ही आई।इस दौरान भाजपा आईटी सेल के महानगर संयोजक विशाल गुप्ता और बंटी ठाकुर ने डिप्टी सीएम को ज्ञापन देकर बरेली के किसी चौराहे पर बड़ी और भव्य भोलेनाथ की प्रतिमा स्थापित कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि बरेली को नाथ नगरी कहा जाता है। हजारों कांवड़िए आते हैं, ऐसे में यहां प्रतिमा की स्थापना की मांग जनमानस की है।
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EXCLUSIVE: अमित शाह से मुलाकात पर झूठ बोल रहे ओम प्रकाश राजभर, इस दिन पहुंचे थे दिल्ली!

अभी-अभी तो उत्तर प्रदेश में सियासी तुफान थमा था। विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद सूबे की सियासी फिज़ा में थोड़ी शांति थी। लेकिन राजनीतिक गलियारे में मौन छा जाए, तो वो उत्तर प्रदेश कैसा? लंतरानियों को किनारे रखकर मुद्दे पर आते हैं। शनिवार की दोपहरी चढ़ ही रही थी कि दिल्ली से एक ख़बर आई जिसने लखनऊ को झटका सा दे दिया। ख़बर आई कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर भारतीय जनता पार्टी के साथ दोबारा गठबंधन कर सकते हैं। बात ये भी चली कि ओम प्रकाश राजभर और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात भी हुई है।
सूत्रों के हवाले से ये ख़बर आई कि ओम प्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद एक बार फिर गुट बदलने के फिराक में हैं। कयासें लगाई जा रही हैं कि ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर अपने पुराने साझेदार भाजपा से हाथ मिलाने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए दिल्ली में ओम प्रकाश राजभर और भाजपा के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की बातें भी सामने आईं। इन बड़े नेताओं में खुद अमित शाह भी शामिल हैं।
ख़बर चली तो ओम प्रकाश राजभर का बयान भी सामने आया। मीडिया से ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि ये ख़बर निराधार है। उन्होंने कहा कि “सुभासपा और सपा का गठबंधन है और आगे भी रहेगा। हम 2022 चुनाव के नतीजों को लेकर समीक्षा कर रहे हैं। साथ ही 2024 के चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।” ओम प्रकाश राजभर ने यह भी कहा कि “हम सपा के साथ मिलकर ही 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।”
तो क्या दिल्ली में ओम प्रकाश राजभर और अमित शाह की मुलाकात हुई थी? क्या सपा गठबंधन की हार के बाद सचमुच ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर भाजपा की टोली में शामिल होने जा रहे हैं? भले ही ओम प्रकाश राजभर ने सिर्फ एक बयान में अमित शाह के साथ मुलाकात की ख़बर को खारिज कर दिया। लेकिन कहावत पुरानी है और प्रैक्टिकल भी। बगैर आग लगे कहीं धुआं तो उठता नहीं है।
17 मार्च को दिल्ली पहुंचे थे ओम प्रकाश राजभर:
ओम प्रकाश राजभर ने ज़ी मीडिया और कई अन्य चैनलों से कहा है कि “मैं पिछले 10 दिनों से लखनऊ में हूं। मैं दिल्ली नहीं गया था।” लेकिन गत गुरुवार यानी 17 मार्च के दिन ओम प्रकाश राजभर दिल्ली में थे। नई दिल्ली के शांगरी-ला इरोज होटल में ओम प्रकाश राजभर को देखा गया था।
शांगरी-ला इरोज होटल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “ओम प्रकाश राजभर दोपहर 12 और साढ़े 12 बजे के बीच होटल आए थे। साथ में उनके बेटे अरविन्द राजभर भी थे हालांकि वो ज्यादा देर ठहरे नहीं थे। वो कुछ देर ठहरे हुए थे और फिर चले गए।” हमने होटल से आधिकारिक तौर पर 17 तारीख को दोपहर में आए लोगों की जानकारी मांगी। लेकिन जाहिर तौर पर निजता और होटल की नीतियों की वजह से जानकारी आधिकारिक तौर पर नहीं मिल सकी।
ऐसे में ओम प्रकाश राजभर का ये बयान गलत मालूम होता है कि वो पिछले 10 दिनों से लखनऊ में ही हैं और दिल्ली नहीं गए हैं। ओम प्रकाश राजभर ने ज़ी मीडिया के साथ बातचीत में कहा है कि “अमित शाह से मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई है। लेकिन समाज का हित होगा तो अमित शाह से जरूर मिलेंगे।” ये बयान ओम प्रकाश राजभर की भावी रणनीति को ओर इशारा कर रही है।
दिल्ली की सियासी गलियारों पर निगाह रखने वाले और भाजपा के आलाकमान पर पैनी नजर रखने वाले पत्रकारों का कहना है कि मुलाकात की ख़बर सही है। हालांकि अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है इसलिए इसे मीडिया में आने से बचाया जा रहा है। लेकिन एक बार फिर ओम प्रकाश राजभर दल-बल के साथ गठजोड़ बदलने की राह तलाश रहे हैं। इस दिशा में उन्होंने पहला कदम भी बढ़ा दिया है।
(फाइल फोटो साभार: सोशल मीडिया)
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ई बलिया है बाबू, जिसकी राजनीति में बहुत घुमाव है, ना भरोसा हो तो सदर सीट पर चल रही ये कहानी पढ़ लीजिए

खांटी चाय की चर्चा वाली भाषा में उत्तर प्रदेश का चुनाव अब चढ़ चुका है। वजह ये है कि लगभग सभी पार्टियों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। यानी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अब टिकट मिलने के साथ कई लोगों का पत्ता कट भी चुका है। अब जिनको टिकट नहीं मिला है वो नाराज़ हैं। तो एक तरफ तैयारियों का जोर है तो दूसरी ओर रस्साकस्सी का। यूं तो प्रदेश के कई जिलों का चुनाव बेहद दिलचस्प और सुर्खियों भरा है। लेकिन हम बलिया खबर हैं। यानी दुनिया की हर प्रपंच को बलिया की निगाह से देखने के लिए प्रतिबद्ध। तो बात बलिया की राजनीति की होगी।
बलिया और सियासत। इससे ज्यादा मजेदार कॉकटेल तो दुनिया भर में शायद ही कोई होगा। अब जबकि चुनाव का मौसम है ये कॉम्बिनेशन कुछ ज्यादा ही चटपटा हो चुका है। मुद्दे पर आते हैं। बलिया में सात विधानसभा सीटें हैं। सदर, बांसडीह, फेफना, रसड़ा, बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर, और बैरिया। सत्तारूढ़ भाजपा ने सभी सातों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सदर सीट से दयाशंकर सिंह, बांसडीह से केतकी सिंह, बैरिया से आनंद स्वरूप शुक्ला, फेफना से उपेंद्र तिवारी, सिकंदरपुर से संजय यादव, बेलथरा से छट्ठु राम और रसड़ा से बब्बन राजभर भाजपा गठबंधन की ओर से मैदान में हैं।
हालांकि लड़ाई तो हर सीट पर तलवार की धार पर चल रही है। यानी जरा इधर-उधर हुआ नहीं कि पूरा खेल पलट जाए। लेकिन बलिया सदर, बांसडीह, फेफना और बैरिया की चुनावी भिड़ंत दिलचस्प है। चलिए थोड़ा विस्तार में जाते हैं। हाल जैसा पूरे यूपी में है वही बलिया में भी है। यानी एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर भाजपा और सपा के बीच ही सीधी लड़ाई है। अब ये एक सीट कौन सी है? इस सवाल को छेड़कर यहां मुद्दा घुमाना ठीक नहीं। तो आते हैं सदर सीट पर।
बलिया सदर से विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला की सीट बदल दी गई है। सदर की सीट पर उतारा गया है दयाशंकर सिंह को। जानते तो होंगे ही स्वाति सिंह के पति हैं दयाशंकर सिंह। बलिया के चौक-चौराहों पर एक लाइन वाली सीधी चर्चा थी की आनंद स्वरूप शुक्ला का या तो टिकट कटेगा या फिर सीट बदली जाएगी। भाजपा के सर्वे में भी पार्टी आलाकमान ने साफ देखा कि क्षेत्र में आनंद स्वरूप शुक्ला के प्रति नाराज़गी है।
हुआ भी यही। आनंद स्वरूप शुक्ला की सीट बदल गई। आनंद स्वरूप शुक्ला को बैरिया भेज दिया गया। बैरिया से भाजपा के ही विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया। अब सुरेंद्र सिंह नाराज़ हैं। खैर, इस बात को थोड़ देर के लिए गठरी बांध कर साइड धर दे रहे हैं। दिलचस्प ये है कि सदर सीट पर दयाशंकर सिंह के उतारे जाने को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में ही भीतरखाने नाराज़गी है। कार्यकर्ताओं को ये पैराशूट लैंडिंग लग रहा है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट से अपने पुराने नेता नारद राय को चुनावी दंगल में उतार दिया है। यही वजह है कि सदर की लड़ाई जबरदस्त मोड़ पर पहुंच चुकी है। नारद राय बनाम दयाशंकर सिंह। दो सियासी चतुर सैनिक अपनी-अपनी पार्टी के लिए तिकड़म भिड़ाएंगे।
नारद राय 2002 और 2012 में सपा के टिकट पर विधायक बने थे। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते समाजवादी पार्टी के मंत्री भी रहे। हालांकि सपा के अंदरुनी झगड़े का खामियाजा नारद राय को भी भुगतना पड़ा। 2016 में अखिलेश यादव ने नारद राय को मंत्री पद से हटा दिया। उसके बाद नारद राय ने भी साइकिल की सवारी छोड़कर हाथी पर सवार होने का मन बना लिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में नारद राय सदर सीट से ही मैदान में उतरे लेकिन इस बार उनका चुनाव चिन्ह साइकिल नहीं हाथी था। यानी बसपा की टिकट पर। जाहिर है नारद राय चुनाव हार गए और भाजपा के आनंद स्वरूप शुक्ला यहां से विधायक बने। अब एक बार फिर नारद राय अपनी पुरानी पार्टी में आ चुके हैं। चुनाव भी लड़ रहे हैं। सामने भाजपा के दयाशंकर सिंह हैं।
बलिया की सियासत कितनी सीधी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि जिस वक्त यह आर्टिकल लिखी जा रही थी ठीक उसी वक्त खबर आई कि भाजपा से नाराज चल रहे नागेंद्र पांडे ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है। नागेंद्र पांडेय बलिया सदर से भाजपा से टिकट मांग रहे थे। भाजपा ने दयाशंकर सिंह को टिकट दिया। नागेंद्र पांडेय को यह बात नागवार गुजरी। चर्चा थी कि वह कांग्रेस से हाथ मिला लेंगे। लगभग सब कुछ तय हो चुका था। सियासी गलियारे में यह शोर था कि नागेंद्र पांडेय की बातचीत उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सर्वे-सर्वा प्रियंका गांधी से भी हो चुकी है। लेकिन इसी बीच खबर आ गई कि रसड़ा से बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह ने नागेंद्र पांडेय को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है। अब बसपा ने नागेंद्र पांडेय को सदर सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जिसके बाद सदर की लड़ाई त्रिकोणीय हो चुकी है।
दयाशंकर सिंह उतने ही पके चावल हैं जितने कि नारद राय। दयाशंकर सिंह के सियासी सफर की शुरुआत भी बलिया से ही हुई थी। एकदम पारंपरिक स्टाइल में दयाशंकर सिंह राजनीति में यहां तक पहुंचे हैं। बलियाटिक लोगों में चर्चा कि कांटे की टक्कर है। बहरहाल इस बतकही को यहीं विराम देते हैं। बलिया में 3 मार्च को मतदान होने हैं। 10 मार्च को नतीजे सामने होंगे। तब पता चलेगा कि इस चुनावी महाभारत का सियासी सूरमा कौन साबित हुआ।
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