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जयंती विशेष: ‘चंद्रशेखर को और मौके मिलते तो वो सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में होते’

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देश के 11वें प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर का जन्म 17 अप्रैल 1927 को बलिया जिले में इब्राहिम पट्टी गांव में हुआ था.
आज पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी नेता चंद्रशेखर के 96 वें जन्मदिन पर राष्‍ट्र ने उन्‍हें याद किया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ में सामयिक इतिहास ने न्याय नहीं किया. लगभग डेढ़ साल पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का संस्मरण आया था जिसमें उन्होंने लिखा था अगर चंद्रशेखर को और मौका मिला होता तो वो देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में से एक साबित हुए होते.

जब वेंकटरमन भारत के राष्ट्रपति थे और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने भी कहा कि चंद्रशेखर के पास अगर बहुमत होता तो बेहतर होता. क्योंकि एक तरफ वो अयोध्या में हल निकालने की कोशिश कर रहे थे तो दूसरी तरफ सिख समस्या को सुलझाने की कोशिशों में लगे थे. कश्मीर में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे थे. असम में चुनाव कराए गए.

सिर्फ चार महीने की सरकार इतने बड़े काम लेकर निर्णायक रूप से आगे बढ़ रही थी और यही कांग्रेस को अखर रहा था. चंद्रशेखर सफलता की ओर और ज्यादा न बढ़ें इसलिए कांग्रेस ने सरकार को गिरा दिया. जबकि इस वादे के साथ चंद्रशेखर शपथ ली थी कि कम से कम एक साल तक सरकार को चलने दिया जाएगा.

कांग्रेस के डरने के पीछे भी अहम कारण थे. दरअसल चंद्रशेखर का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था. एक प्रसंग है.

चंद्रशेखर ने ऑपरेशन ब्लूस्टार को कहा था हिमालयन ब्लंडर

जब देश में ऑपरेशन ब्लूस्टार हुआ तो वह अकेले राजनेता थे जिन्होंने कहा था कि ये हिमालयन ब्लंडर है. देश को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी. उन्होंने ऐसा कहने के पीछे कारण भी बताया. दरअसल वो इमरजेंसी के दौरान लंबे समय तक पटियाला जेल में बंद रखे गए, वो भी तन्हाई में.

कम लोगों को पता होगा कि तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने जॉर्ज फर्नांडिस के बाद अगर किसी को सबसे लंबे समय तक जेल में रखा था तो वो चंद्रशेखर ही थे. उन्होंने बताया था कि इसी दौरान उन्होंने सिख इतिहास और पंजाब का इतिहास पढ़ा. और उसी इतिहास के अनुभव पर वो बोले कि मैं कह रहा हूं कि स्वर्ण मंदिर में हुई कार्रवाई का बहुत खराब असर पड़ने वाला है. दुर्भाग्य से कुछ दिनों बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो गई. उसके बाद देशभर में दंगे हुए.

इसके बाद खास तौर पर अरुण नेहरू ने कमान संभाली कि कैसे चंद्रशेखर को चुनाव हराना है. वो बलिया भी गए और कुछ अपने चुनिंदा पुलिस अधिकारियों के जरिए इस बात का भी इंतजाम कराया कि चंद्रशेखरजी को हराया जाए. जब लोकसभा चुनावों की घोषणा हो गई तो चंद्रशेखर बलिया गए. वो ट्रेन से स्टेशन पर जैसे ही उतरे तो अचानक कांग्रेसियों की प्रायोजित भीड़ ने उन्हें घेरकर नारे लगाने शुरू कर दिए कि बलिया के भिंडरावाले वापस जाओ और भिंडरावाले की थैली लाए हैं चुनाव में हराएंगे. चंद्रशेखर उतरे और वहीं पर खड़े हो गए तो नारा लगाने वाले सारे लोग स्तब्ध हो गए.

उन्होंने जो कहा वो आज के राजनेताओं के लिए एक सबक है. उन्होंने कहा, ‘भारत और पंजाब का इतिहास मैंने पढ़ा है और हां, मैने कहा है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार भारत के इतिहास में हिमालयन ब्लंडर है. मैंने ये देशहित के लिए कहा है. चुनाव तो आते-जाते रहते हैं. और मैं तो इतिहास का मामूली कॉमा या फुल स्टॉप भी नहीं हूं. दुनिया में बड़े-बड़े लोग आएंगे-जाएंगे लेकिन जो सच हो वो बोलना चाहिए. जिन लोगों को मेरी ये बात खराब लगे मुझे उन लोगों के वोट नहीं चाहिए. चुनाव जीतने के लिए मैं अपने मत नहीं बदलता.’

चंद्रशेखर ने इंदिरा से कहा था पूरे करें वादे 

ऐसे और भी बहुत सारे प्रसंग है. बलिया के मामूली परिवार से निकले चंद्रशेखर देश की राजनीति में जब तक रहे निर्णायक रूप से उन्होंने अपनी जगह बनाई. इंदिरा गांधी की इच्छा के खिलाफ 1972 में शिमला में उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी का चुनाव जीता. फिर इंदिरा गांधी को उनकी लोकप्रियता देखकर उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी में रखना पड़ा. और वो पहली आवाज थे जिन्होंने इंदिरा गांधी को चेताया कि हमने जो वायदे किए 71 के चुनाव में, जीतने के बाद पहले हमें उनको पूरा करना चाहिए.

ये ऐतिहासिक तथ्य है कि इंदिरा गांधी के बाद उन दिनों कांग्रेस में जो नेता चुनाव प्रचार की दृष्टि से जो सबसे पॉपुलर नेता थे तो वो चंद्रशेखर ही थे. इसीलिए इंदिरा गांधी ने चंद्रशेखर से कहा कि आप राज्यसभा में ही रहिए क्योंकि आप चुनाव लड़ेंगे तो लड़ाएगा कौन?

जब चुनाव में भारी कामयाबी मिल गई तो चंद्रशेखर ने इंदिरा गांधी से कहा कि आप वायदों को पूरा कीजिए नहीं तो देश में असंतोष होगा. जब बिहार आंदोलन खड़ा हुआ तो चंद्रशेखर ने कहा कि जयप्रकाश जी को मलीन न करें आप. वह ऋषितुल्य नेता हैं. उन्होंने देश से कुछ लिया नहीं है, दिया ही है. अगर राजसत्ता संतसत्ता से टकराएगी तो आगे नहीं बढ़ पाएगी. ये उन्होंने एडिटोरियल लिखा और कांग्रेस वर्किंग कमेटी जो उन दिनों नरौरा में मिल रही थी उसके बीच बहस का विषय रहा. वहां पर उसको लेकर काफी चर्चा हुई.

चंद्रशेखर ने की थी जेपी और इंदिरा में समझौता कराने की कोशिश 

उन्हीं दिनों मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डीपी मिश्र, जो कांग्रेस के चाणक्य कहे जाते थे, उन्होंने चंद्रशेखर को देखा तो बाकी कांग्रेसियों से कहा कि इस आदमी से सावधान रहना क्योंकि इसे कुछ चाहिए नहीं. ये खरी बातें करता है. और चंद्रशेखर से कहा जिसकी पीठ पर कोई बोझ न हो वो ही तुम्हारी तरह हो सकता है. तुम बेलौस बोल रहे हो. लोग ध्यान नहीं देंगे तो इतिहास पलट जाएगा.

फिर उनकी बात सही साबित हुई. चंद्रशेखर के कहे अनुसार बिहार आंदोलन बढ़ता गया. उनकी कोशिश थी कि इंदिरा और जेपी में समझौता हो लेकिन इंदिरा गांधी के आस-पास ऐसे लोग थे जिन्होंने ऐसा नहीं होने दिया. फिर आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से हटी.

व्यक्तिगत राग द्वेष से दूर रहने वाले राजनेता

एक और अंतिम प्रसंग है. कांग्रेस जब सत्ता से हट गई तो इंदिरा गांधी ने तो बहुत कोशिश की कि चंद्रशेखर फिर से कांग्रेस में आ जाएं लेकिन फिर चंद्रशेखर जी ने मना कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं किस तरह वापस आऊं. मैंने तो कांग्रेस नहीं छोड़ी थी. मेरे वापस आने का मतलब होगा कि मैं गलत था. लेकिन जब वो चुनाव जीत कर आए तो इंदिरा गांधी के लिए उनके मन में कोई मैल नहीं था.’

जब मोरारजी की सरकार में जब चरण सिंह ने यह तय किया कि इंदिरा का सरकारी आवास खाली कराया जाए तो चंद्रशेखर ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा ये गलत काम नहीं होना चाहिए. वो इंदिरा गांधी से मिले और उन्हें आश्वस्त किया.

वो व्यक्तिगत राग द्वेष से दूर रहने वाले राजनेता थे. देश के बारे में सोचा करते थे. इसलिए लोग उन्हें सुनते भी थे. जब वो संसद में खड़े होते थे बोलने के लिए पक्ष-विपक्ष के सभी लोग उन्हें आदर के साथ सुनते थे. चंद्रशेखर जी का जाना इस देश की राजनीति से साहस की विदाई है. वैसा कोई नेता अभी दिखाई नहीं देता जो पद और राजनीति की चिंता छोड़कर सच कह सके.

चंद्रशेखर के पुत्र एवं राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने हमेशा शोषित एवं वंचित तबके के लिए आवाज उठायी और सामाजिक बदलाव की नीतियों को प्राथमिकता दी. देश उनके योगदान को सदा याद रखेगा.
(यह लेख पूर्व में छप चुका है)
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बलिया की बिपाशा चौबे ने पास की SSC CGL की परीक्षा, बनीं एक्साइज इंस्पेक्टर

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बलिया। स्‍टाफ सेलेक्‍शन कमीशन (SSC) ने एसएससी सीजीएल टियर II संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा या CGL 2022 की फाइनल रिजल्ट जारी किया गया है। जिसमें बलिया की बिपाशा चौबे का सिलेक्शन एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर हुआ है।

बलिया की हरपुर बस्ती की रहने वाली बिपाशा चौबे का चयन CGST और एक्साइज इंस्पेक्टर के रूप में हुआ है। बता दें बिपाशा चौबे ने केंद्रीय विद्यालय से इंटरमीडिएट किया है ग्रेजुएशन इलाहबाद यूनिवर्सिटी से पूरा किया है। और एग्जाम की तैयारी उन्होंने अपनी बड़ी बहन के यहां रहकर की थी।

वहीं बिपाशा चौबे ने सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है। उनकी इस सफलता से परिवार के साथ ही क्षेत्र में भी खुशी का माहौल है मिठाई बांटकर खुशियां मनाई जा रही हैं।  

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गाजीपुर- तुर्तीपार मार्ग के लिए 10 करोड़ मंजूर, नवीनीकरण के लिए टेंडर जारी

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बलिया। गाजीपुर और बलिया को जोड़ने वाले गाजीपुर-तुर्तीपार मार्ग की मरम्मत जल्द होने वाली है। जिससे लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मरम्मत के लिए शासन ने PWD को 10.14 करोड़ दिए हैं। विभाग ने 30.606 किलोमीटर मार्ग की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है।

बता दें गाजीपुर-तुर्तीपार मार्ग कठवां मोड़ से कासिमाबाद, रसड़ा, नगरा, बेल्थरारोड होते हुए तुर्तीपार तक जाता है। यह मार्ग गाजीपुर और बलिया को जोड़ता है। इस मार्ग से होकर लोग देवरिया, गोरखपुर और बिहार के सिवान जाते है। मार्ग क्षतिग्रस्त होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।


बलिया वृत्त के PWD अधीक्षण अभियंता, सीपी गुप्ता ने बताया कि गाजीपुर-तुर्तीपार मार्ग के करीब 30 किमी के सामान्य मरम्मत और नवीनीकरण का कार्य होना है। इसके लिए शासन से स्वीकृति मिल गई है। टेंडर की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कार्य शुरू कराया जाएगा।

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बलिया में फर्जी ज्वॉइनिंग लेटर देकर 1.12 लाख ऐंठे, कार्रवाई न होने पर कोर्ट पहुंचा फरियादी

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बलिया के सदर कोतवाली क्षेत्र में फर्जी ज्वॉइनिंग लेटर देकर एक लाख 12 हज़ार रूपये की धोखाधड़ी की गई। सुभाष नगर बनकटा में FCI विभाग में चपरासी पद की नौकरी दिलवाने के नाम पर फर्जी ज्वॉइनिंग लेटर दिया गया। इतना ही नहीं पैसा वापस मांगने पर गाली गलौज की।

वहीं पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की। लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर कोर्ट में आवेदन दिया। कोर्ट के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने जुनेद शाह निवासी साई के तकिया, रतसर, थाना गड़वार के खिलाफ संबंधित धारा में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

ऐसे बनाया शिकार- दरअसल शहर के सुभाष नगर बनकटा निवासी गुलाम ए गौस ने कोर्ट में दिए आवेदन में कहा कि रतसर निवासी जुदेन शाह से उसकी जान पहचान थी। घर आना जाना था। तभी जुलाई 2017 में FCI विभाग में चपरासी पद पर नौकरी दिलवाने के नाम पर फोटो और मार्कशीट ली। FCI की पहचान पत्र सदस्यता शुल्क की रसीद दी, कहा कि नौकरी लग गई है। लखनऊ में ज्वॉइन करना है और अधिकारी को एक लाख रुपये देने के बाद डीपो एलॉट होगा।

फरियादी ने विश्वास कर कर्ज पर रुपया लेकर जुनेद को एक लाख 12 हजार रुपये दे दिया। ज्वॉइनिंग की बात पूछने पर कभी अधिकारी के ट्रॉसफर तो कभी दूसरा बहना बनाने लगा। कुछ समय बाद उसके घर पहुंचकर पैसा मांगने पर गालीगलौज कर धमकी देने लगा। जिसके बाद पुलिस से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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