बलिया। आज पूरा देश करगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित कर रहा है। भारत के वीर जवानों ने हर युद्द में भारतभूमि की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया। 26 जुलाई को हर साल करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारत के जाबांज सैनिकों ने पाकिस्तानियों के कब्जे से भारत के क्षेत्र को छुड़ाया था। इस युद्ध में सैनिकों ने जिस गौरव और शौर्य का प्रदर्शन किया उसे देश आज भी याद कर रहा है। इस युद्ध में बलिया के लाल ने अपना अहम योगदान दिया। बलिया के ओमप्रकाश सिंह के पुत्र फौजी रमेश कुमार सिंह उर्फ गुड्डू ने करगिल युद्ध में वीरता से मोर्चा संभाला था।
उनकी वीरता की कहानियां आज भी जनपद की हर गलियों में सुनी कही जाती है। रमेश कुमार ने 25 फरवरी 1993 को सेना ज्वाइन की और फरवरी 2021 में सेना से रिटायर हो गए। लेकिन इन सालों के बीच में उन्होंने करगिल युद्ध, गोधरा कांड तथा ताज होटल मुंबई कांड में आपरेशन मिशन के तहत मोर्चा संभाले रखा। उनकी पहली पोस्टिंग नौसेरा और लास्ट पोस्टिंग सियाचीन ग्लैशियर में रही। नौसेरा जम्मू कश्मीर में वह डटे रहे। दुश्मनों पर निगाह बनाए रखे। रमेश सिंह ने बॉर्डर पर देश का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने ग्लैशियर में तिंरगा भी फहराया। अपनी सेना में ड्यूटी के दौरान रमेश सिंह ने हर मोर्चे पर देश की रक्षा के लिए योगदान दिया।
अब वह रिटायर होने के बाद बलिया में अपने परिवार के साथ हैं। सेना के बाद भी उन्होंने जनसेवा का काम नहीं छोड़ा वह अभी उप्र पूर्व सैनिक संगठन के प्रभारी भी है। रमेश सिंह गुड्डू के लिए वतन से बड़ा कुछ नहीं। वह हमेशा अपने वतन के लिए लड़ते रहे और देश की रक्षा करते रहे। उन्होंने बलिया का मान-सम्मान भी बढ़ाया और 27 साल की सेना की नौकरी में उन्हें सेना के बड़े अधिकारियों का आर्शीवाद भी मिला। वतन के लिए जीने वाले रमेश सिंह को लोग बहुत सम्मान से देखते हैं और उन्हें आदर्श मानते हैं।
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