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बलिया स्पेशल

खुल गया बलिया में पासपोर्ट आफ़िस, नहीं जाना होगा वाराणसी, सांसद ने किया उद्घाटन

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बलिया से सांसद भरत सिंह की पहल पर सरकार ने मुख्य डाकघर में पासपोर्ट कार्यालय बनवाने की व्यवस्था  बहाल कर दी गई । सोमवार को सांसद भरत सिंह ने बलिया के प्रधान डाकघर में स्थापित पासपोर्ट कार्यालय का फीता काटकर उद्घाटन किया।

इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने  कहा कि जिले के लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा। सिंह ने कहा कि बलिया के लोगों को पासपोर्ट की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

इस मुद्दे पर विदेश मंत्रीजी से बलिया में पासपोर्ट आफिस के स्थापना करने की बात रखी। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट बनाने के लिये केंद्र सरकार ने सरलीकरण के साथ सुविधाजनक भी कर दिया है ।

पहले पासपोर्ट बनवाना काफी कठिन काम था तथा उसके लिए अनावश्यक धन भी खर्च होता था, पर वर्तमान मोदी सरकार ने इसे आसान   और सुविधाजनक बना दिया है।  बता दें की सांसद ने सार्थक पहल करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलकर पासपोर्ट कार्यालय खोलने की सिफारिश की थी।

 

वही अब पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया अब आसान कर दी गई  है. विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट नियमों में कई बड़े बदलाव किये हैं.  अब तक पासपोर्ट बनवाने के लिए मंत्रालय ने बर्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य कर रखा था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

जानकारी के अनुसार, अब तक 26 जनवरी, 1989 या उसके बाद जन्म लिए लोगों के लिए बर्थ सर्टिफिकेट देना अनिवार्य था, लेकिन अब नगर निगम के रजिस्ट्रार, जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार या सर्टिफाइड अथॉरिटी से बनवाया गया बर्थ सर्टिफिकेट मान्य होगा.

यही नहीं, किसी शैक्षणिक संस्था की तरफ से जारी किया गया ट्रांसफर या स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट भी पूरी तरह से मान्य होगा.

पैन कार्ड, आधार कार्ड या ई-आधार, ड्राइविगं लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड भी पासपोर्ट बनाने के लिए मान्य होंगे.

इसके अलावा माता-पिता का विवरण देना आवश्यक नहीं है. इसकी जगह आप अभिभावक या साधु-संत आध्यात्मिक गुरू का नाम दे सकते हैं.

ध्यान देने वाली बात यह है कि पासपोर्ट फॉर्म में कॉलम की संख्या को भी मंत्रालय ने 15 से घटाकर 9 कर दिया है. इसमेंA, C, D, E, J और K को हटा दिया गया है.

वहीं, अब तक आपको पासपोर्ट के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट, नोटरी आदि से सत्यापन (अटेस्टेशन) करना होता था, लेकिन अब आपको केवल पेपर पर सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा.

पासपोर्ट ऑनलाइन बनाने के लिए ये करें…

पासपोर्ट बनवाना पहले बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। पासपोर्ट बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटना तो मानो आम था, लेकिन अब आपको ऐसा नहीं करना पड़ेगा क्योंकि ये सुविधाएं अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
 सबसे पहले पासपोर्ट सेवा वेबसाइट पर जाए। यहां पर अप्लाई वाले बॉक्स के अंतर्गत दिए गए रजिस्टर नाऊ में क्लिक करें। अब पॉसपोर्ट सेवा वेबसाइट में अपना अकाउंट बनाने के लिए दिया गया फॉर्म भरें। आपको फॉर्म भरते वक्त उसी शहर के पॉसपोर्ट ऑफिस को सिलेक्ट करना हैं जहां आप रह रहे हैं।
साथ ही यह भी ध्यान दें कि आप वैसा ही नाम रजिस्टर करें जैसा कि आपके अन्य दस्तावेजों में दिया गया है। फॉर्म को पूरा भरने के बाद रजिस्टर पर क्लिक करें। अब आपका अकाउंट बन गया है। पासपोर्ट सेवा वेबसाइट पर लौटिए। यहां पर आपको हरा रंग का लॉगिन का बटन दिखेगा। इस बटन पर क्लिक करें।
इसमें अपना ई-मेल एड्रेस डालें और कन्टीन्यू पर क्लिक करें। आपके अकाउंट के लॉगिन होने के बाद पॉसपोर्ट के लिए एप्लाई कर सकते हैं। लॉगिन करने के बाद दिया गया फॉर्म भरें। फॉर्म पूरा भरने के बाद आगे लगी हुई रेडियो बटन पर क्लिक करें और अपॉइन्टमेंट सेड्यूल करें।
ऑनलाइन पेमेंट पर जाए और निर्धारित फीस जमा करें। इसके बाद स्क्रीन पर आपके शहर के पासपोर्ट सेवा केंद्रों की सूची दिखाई देगी। इसमें जल्दी मिलने के लिए वाली अपॉइन्टमेंट की तारीख व समय दिया गया होगा। इन्हीं में से किसी एक को सिलेक्ट करें और इमेज के कैरेक्टर अंकित करते हुए पे पर क्लिक करें और अपनी अपॉइन्टमेंट फिक्स करें।
इसके बाद यह आपको पेमेंट गेटवे पर ले जाएगा जहां पर आप दी गई राशि अपने कार्ड व नेट बैंकिंग के माध्यम से पे कर सकेंगे। अब आपको एक पेज दिखेगा जिसमें आपकी पासपोर्ट सेवा केंद्र में अपॉइन्टमेंट से संबंधित सभी जानकारी की डिटेल दी गई होगी।
इस पेज का प्रिंट ले लें। इसके बाद दिए गए समय में आपको पासपोर्ट सेवा केंद्र जाना होगा। अगर आपके पास पूरे कागजात होंगे तो पीएसके जाने के 2 घंटे बाद आप फ्री हो जाएंगे। उसके बाद पुलिस वेरीफिकेशन होने के बाद आप अपना पासपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं।
जानें ऑनलाइन फॉर्म भरने के तरीके 

1. पासपोर्ट सेवा (Passport Seva) की वेबसाइट पर जाएं।

2. नए यूज़र वाले बॉक्स पर क्लिक करें। यह आपको रजिस्ट्रेशन पेज पर ले जाएगा।

3. अब Passport Seva की वेबसाइट जाएं। आप जिस शहर में रह रहे हैं उसका पासपोर्ट ऑफिस सेलेक्ट करें। यह भी सुनिश्चित करें कि आपने अपना नाम वैसे ही लिखा है जैसे कि आपके डॉक्यूमेंट पर मौजूद है। फॉर्म का बाकी हिस्सा बेहद ही आसान है। यह किसी और वेबसाइट पर साइन अप करने से अलग नहीं।

4. जब काम पूरा हो जाए तब Register पर क्लिक करें।

5. अब जब आपने अपना अकाउंट क्रिएट कर लिया है तो Passport Seva की वेबसाइट पर वापस जाएं।

6. हरे रंग वाले Login बटन पर क्लिक करें।

7. अपना ईमेल आईडी लिखें और Continue पर क्लिक करें।

8. अपना ईमेल, पासवर्ड और इमेज में बने कैरेक्टर्स को टाइप करें। इसके बाद Login पर क्लिक करें।

9. Apply for Fresh Passport/Reissue of Passport पर क्लिक करें।

10. आपके पास दो विकल्प हैं। आप फॉर्म को डाउनलोड करके उसे भरकर फिर वापस वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं, या फिर इसे ऑनलाइन ही भरा जा सकता है। हमारा सुझाव होगा कि आप फॉर्म को ऑनलाइन ही भरें। ऐसा करके आप समय बचा पाएंगे।

अगर आप फॉर्म डाउनलोड करके भरना चाहते हैं तो आप Click here to download the soft copy of the form पर क्लिक करें। यह Alternative 1 पेज पर पहले सबहेडिंग में मौजूद रहता है।

11. अगर आप ऑनलाइन फॉर्म भरना चाहते हैं तो आप Click here to fill the application form online वाले ऑप्शन पर क्लिक करें। यह Alternative 2 पेज के अंदर मौजूद रहता है। हम अब भी आपको इस विकल्प को चुनने का सुझाव देंगे, क्योंकि यह पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने का सबसे आसान तरीका है।

12. अगले पेज पर आपको नए पासपोर्ट या री-इश्यू, सामान्य या तत्काल, 38 पन्ने या 60 पन्ने के बीच चुनना होगा। अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से विकल्प चुनें और इसके बाद Next पेज पर क्लिक करें।

13. आपको अगले पेज में निजी जानकारियां देनी होगीं। इस बात का ध्यान रहे कि आप जो जानकारी दे रहे हैं वो आपके पास मौजूद डॉक्यूमेंट से पूरी तरह से मेल खाती हों। अगर आपको कोई शंका है तो आप इस ऑफिसियल इंस्ट्रक्शन बुकलेट को जांच सकते हैं। फॉर्म भर लेने के बाद निचले हिस्से में दायीं तरफ बने Submit Application बटन पर क्लिक करें।

14. फॉर्म भर लेने के बाद एक बार फिर उस वेबपेज पर वापस जाएं जिसका जिक्र 9वें नंबर के स्टेप में किया गया है।

15. View Saved/Submitted Applications पर क्लिक करें।

16. आप उस एप्लिकेशन को देख पाएंगे जिसे थोड़ी देर पहले सब्मिट किया था। इसके बगल में बने रेडियो बटन पर क्लिक करें। इसके बाद Pay and Schedule Appointment पर क्लिक करें।

17.Online Payment को सेलेक्ट करें और Next पर क्लिक करें।

अब आपके शहर में मौजूद पासपोर्ट सेवा केंद्र की सूची स्क्रीन पर आएगी। इसमें एप्वाइंटमेंट के लिए सबसे नजदीक की तारीख और वक्त का भी जिक्र होगा।

18. PSK Location के बगल में बने ड्रॉप डाउन मेन्यू में से अपनी सुविधा अनुसार एक विकल्प का चुनाव कर लें।

19. इसके बाद इमेज में बने कैरेक्टर्स को टाइप करें। इसके बाद Next पर क्लिक करें।

20. Pay and Book Appointment पर क्लिक करें।

21. यह आपको पेमेंट गेटवे पेज पर ले जाएगा। जैसे ही आपका पेमेंट पूरा हो जाएगा, आप एक बार फिर Passport Seva की वेबसाइट पर पहुंच जाएंगे।

22. अब आप एक पेज देख पाएंगे जिसपर Appointment Confirmation लिखा होगा। इस पेज पर Passport Seva Kendra (PSK) से मिले एप्वाइंटमेंट का पूरा डिटेल मौजूद होगा।

23. Print Application Receipt पर क्लिक करें। अगले पेज पर आप अपने एप्लिकेशन का डिटेल्ड व्यू देख पाएंगे। एक बार फिर Print Application Receipt पर क्लिक करें।

24. अगले पेज पर आप रिसिप्ट का प्रीव्यू देख पाएंगे। एक बार फिर Print Application Receipt पर क्लिक करें। ऐसा करने के बाद आप अपने एप्वाइंटमेंट कंफर्मेशन का प्रिंट आउट ले पाएंगे।

25. आपको पासपोर्ट सेवा केंद्र पर एंट्री के लिए इस रिसिप्ट के प्रिंट आउट की जरूरत पडे़गी।

अब आप निर्धारित समय पर पासपोर्ट सेवा केंद्र पर पहुंच जाएं। हम अपने अनुभव से बता रहे हैं कि अगर आपके पास सारे डाक्यूमेंट मौजूद हैं तो आपको दो घंटे से ज्यादा का वक्त नहीं लगना चाहिए। पुलिस वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद ही आपको आपका पासपोर्ट मिलेगा। इस दौरान आप अपने एप्लिकेशन का स्टेटस यहां जांच सकते हैं।

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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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बलिया में नक्सलियों के 11 ठिकानों पर NIA ने मारा छापा

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बलिया में एनआईए ने नक्सलियों के 11 ठिकानों पर शनिवार को छापा मारा, जहां से तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। एनआईए ने यह कार्रवाई पिछले साल यूपी एटीएस द्वारा बलिया में पकड़े गए पांच नक्सलियों पर दर्ज केस को टेकओवर करने के बाद की है।

बता दें कि यूपीएटीएस ने 15 अगस्त, 2023 को बलिया से नक्सली संगठनों में नई भर्तियां करने में जुटी तारा देवी के साथ लल्लू राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत राजभर व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया था। आरोपितों के कब्जे से नाइन एमएम पिस्टल भी बरामद हुई थी। जांच में सामने आया है कि तारा देवी को बिहार से बलिया भेजा गया था। वह वर्ष 2005 में नक्सलियों से जुड़ी थी और बिहार में हुई बहुचर्चित मधुबन बैंक डकैती में भी शामिल थी।

इसके अलावा लल्लू राम उर्फ अरुन राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राममूरत तथा विनोद साहनी की गिरफ्तारी हुई थी। ये सभी बिहार के बड़े नक्सली कमांडरों के संपर्क में थे।

एनआईए की अब तक की जांच के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत उत्तरी क्षेत्र अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि भाकपा (माओवादी) के नेता, कार्यकर्ताओं और इससे सहानुभूति रखने वाले, ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इस क्षेत्र में संगठन की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

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बीजेपी प्रत्याशी की जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ी भीड़, रवीन्द्र कुशवाहा बोले- तीसरी बार मोदी बनेंगे पीएम

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बलिया। सलेमपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद और वर्तमान प्रत्याशी रवीन्द्र कुशवाहा को फिर से टिकट मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता जगह- जगह स्वागत कर रहे हैं। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को स्वागत और जन आशीर्वाद यात्रा मनियर से प्रारंभ होकर बांसडीह पहुंची। बांसडीह स्थित सप्तऋऋषि चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया।

स्वागत में उमड़े जनसैलाब ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। साथ ही सांसद के ऊपर पुष्प वर्षा किया। तत्पश्चात सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने कचहरी स्थित मां दुर्गा के दरबार में पहुंच कर पूजा अर्चना किया। जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे सांसद रवीन्द्र कुशवाहा का विधायक केतकी सिंह के नेतृत्व में बांसडीह चौराहे पर कार्यकर्ताओं ने स्वागत

किया। इस दौरान सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने अपने पांच वर्षों की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि पूरा देश प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर गर्व कर रहा है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये प्रधानमंत्री अग्रसर है। अबकी बार 400 से ऊपर सीटे जीतकर तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। विधायक केतकी सिंह ने कहा कि सलेमपुर क्षेत्र से पुनः रवीन्द्र कुशवाहा तीसरी बार भारी मतों से विजयी होंगे। भाजपा बांसडीह मंडल अध्यक्ष प्रतुल कुमार ओझा ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को अभिनंदन पत्र और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

 

इस मौके पर बैरिया चेयरमैन प्रतिनिधि शिवकुमार वर्मा मंटन,  पूर्व चेयरमैन संजय कुमार सिंह मुन्ना, चंद्रबली वर्मा, राजू गुप्ता, रमेश कान्त, डब्लू गुप्ता, व्यापार मंडल अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, चंद्रमा गिरी, तेज बहादुर रावत, सिंपी सिंह, शिवम गुप्ता, अजय यादव, अरुण पांडेय, अमित यादव, बिट्टूतिवारी, अभिजीत तिवारी, इरफान अहमद, विवेक उपाध्याय, बलिराम साहनी, राकेश वर्मा, गोपाल जी आदि उपस्थित रहे।

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