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जाति है कि जाती नहीं: हेमंत यादव की हत्या, सोशल मीडिया पर फूटा लोगों को गुस्सा !
एक स्कूल की एक कक्षा में एक मास्टर साहब कुछ लड़के-लड़कियों को पढ़ा रहे हैं. बच्चे बड़े हैं. जाति प्रथा पर मास्टर साहब का लेक्चर चल रहा है. क्लास में हर जाति के बच्चे हैं. मास्टर साहब कथित अगड़ी जाति से आते हैं. लेक्चर के बीच दो छात्र हाथ उठाते हैं एक साथ. दोनों के मन में कुछ सवाल हैं. दोनों दो अलग-अलग जातियों से हैं. लेकिन मास्टर उनमें से एक को पहले सवाल पूछने की इजाज़त देते हैं. दूसरा छात्र बाद में सवाल पूछने के लिए उठता तो है. लेकिन सवाल नहीं पूछता है. बल्कि कहता है कि “सर जाति है कि जाती नहीं.”
बलिया में टाउन डिग्री कॉलेज के एक छात्र हेमंत यादव की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई है. हेमंत यादव छात्र संघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. सतीश चंद महाविद्यालय और जापलिंग गंज चौकी से कुछ ही दूरी पर इस वारदात को आरोपियों ने अंजाम दिया. छात्र की हत्या के आरोप में 7 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. दूसरी ओर ट्विटर पर ‘हेमंत यादव को न्याय दो’ लिखकर हैशटैग ट्रेंड कराया जा रहा है.
समाजवादी छात्र सभा (समाजवादी पार्टी का छात्र संगठन) की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेहा यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “छात्र नेता हेमंत यादव की लाठी डंडों से पीटकर हत्या की गई। बलिया पुलिस हत्यारे गुंडों की FIR की कॉपी इसलिए सार्वजनिक नहीं कर रही है क्योंकि मरने वाला “यादव” और मारने वाले “ठाकुर” हैं।ठाकुर मुख्यमंत्री के राज में “ठाकुर माफ़ियाओं” की गुंडागर्दी पर बुलडोजर कब चलेगा?”
छात्र नेता हेमंत यादव की लाठी डंडों से पीटकर हत्या की गई।
बलिया पुलिस हत्यारे गुंडों की FIR की कॉपी इसलिए सार्वजनकि नहीं कर रही है क्योंकि मरने वाला "यादव" और मारने वाले "ठाकुर" हैं।
ठाकुर मुख्यमंत्री के राज में "ठाकुर माफ़ियाओं" की गुंडागर्दी पर बुलडोजर कब चलेगा?
— Neha Yadav (@NehaYadavBHU) April 11, 2023
हेमंत यादव की हत्या में जाति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. ट्विटर पर आलोक नाम के एक यूजर ने लिखा है कि “न्याय और मौत यहां जाति देखकर मिलता है। और कारवाई भी। यहां जातीय आधार पर आर्थिक मदद पीड़ित परिवार को वन क्लास में सरकारी नौकरी दी जाती हैं। अफसोस मेरे भाई…!!”
न्याय और मौत यहां जाति देखकर मिलता है।
और कारवाई भी ।यहां जातीय आधार पर आर्थिक मदद पीड़ित परिवार को वन क्लास में सरकारी नौकरी दी जाती हैं ।अफसोस मेरे भाई…!!#हेमंत_यादव_को_न्याय_दो pic.twitter.com/52pLzBxtRJ
— Alok Chikku (@AlokChikku) April 12, 2023
निधि अंबेडकर नाम की एक यूजर ने ट्वीट किया है कि “हेमंत यादव को पूर्ण रूप से इंसाफ मिलना चाहिए, जिस तरीके से लाठी, डंडे से पीटकर निर्मम तरीके से हत्या की गई है, वाकई पुलिस प्रशासन पर सवाल पैदा करती है, कि जंगल राज कायम है,आज हेमन्त यादव,कल आप और हम.”
हेमंत यादव को पूर्ण रूप से इंसाफ मिलना चाहिए,जिस तरीके से लाठी, डंडे से पीटकर निर्मम तरीके से हत्या की गई है, वाकई पुलिस प्रशासन पर सवाल पैदा करती है,की जंगल राज कायम है,आज हेमन्त यादव,कल आप और हम.#हेमंत_यादव_को_न्याय_दो pic.twitter.com/BdwwjBkN1A
— निधि अम्बेडकर (@nidhiambedkar) April 12, 2023
अब तक क्या हुआ ?
गत मंगलवार यानी 11 अप्रैल को टीडी कॉलेज के छात्र हेमंत यादव ग्रेजुएशन तृतीय वर्ष की परीक्षा देने गए हुए थे. परीक्षा देकर लौटते वक़्त आरोप है कि सतीश चंद महाविद्यालय और जापलिंग गंज पुलिस चौकी से कुछ ही दूरी पर कुछ लोगों ने हेमंत पर हमला कर दिया. हमलावर लाठी-डंडों और हॉकी से लैस थे. हेमंत के साथ उनके एक दोस्त आलोक यादव भी मौजूद थे. हमलावरों ने दोनों की जमकर पिटाई की. दोनों की हालत बद से बदतर हो गई. तब हमलावर मौके से फरार हुए.
बुरी तरह घायल दोनों छात्रों को स्थानीय लोगों ने जिला अस्पताल पहुंचाया. लेकिन दोनों की ही हालत गंभीर थी. हेमंत यादव की स्थिति ज्यादा ख़राब थी. जिसे देखते हुए चिकित्सकों ने वाराणसी के लिए रेफर कर दिया. परिजन वाराणसी जाने के बजाए मऊ के किसी निजी अस्पताल में ले गए. जहां इलाज के दौरान हेमंत की मौत हो गई. जबकि उसके दोस्त आलोक की हालत अभी भी गंभीर है.
पुलिस को इस वारदात की सूचना मिली. उधर हेमंत का शव जब ज़िला अस्पताल पहुंचा तो पूरे ज़िले में मातम पसर गया. हेमंत के छात्र आक्रोशित थे. उन्होंने ज़िला अस्पताल पर हंगामा किया और आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की. इस मामले में बलिया पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर ने जापलिंग गंज चौकी के प्रभारी को निलंबित कर दिया. उसके बाद मामले को लेकर बयान जारी किया.
पुलिस ने हेमंत के परिजनों की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया. मामले में पुलिस ने नामजद तथा अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया. पुलिस अधीक्षक ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी के नेतृत्व में तीन टीमों का गठन किया है. वहीं, पूछताछ के लिए 6 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. अब तक इस मामले में 7 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. हालांकि मुख्य अभियुक्त शिप्रांत सिंह गौतम अभी भी फरार है. पुलिस शिप्रांत सिंह गौतम की तलाश में जुटी है.
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बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित
बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।
जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।
बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज
बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।
तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।
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