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बलिया में भीड़ देख गदगद हुए स्वामी प्रसाद मौर्य, कहा- अखिलेश प्रदेश को जंगल राज की तरफ धकेलना चाहते हैं!
बलिया डेस्क : उत्तर प्रदेश के श्रम व सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा है कि योगी सरकार के कानून राज पर सवालिया निशान लगा कर अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश को जंगल राज की तरफ धकेलना चाहते हैं । उन्होंने दावा किया है कि योगी सरकार ने अपने लगभग चार साल के कार्यकाल में पंद्रह लाख लोगों को नौकरी देकर रिकार्ड कायम किया है ।
चार लाख लोगों को रोजगार
श्रम व सेवायोजन मंत्री मौर्य ने आज जिले के बिल्थरारोड में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपने लगभग चार साल के कार्यकाल में पंद्रह लाख लोगों को नौकरी देकर रिकार्ड कायम किया है । उन्होंने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने पांच साल के सरकार में सेवायोजन विभाग के जरिये एक लाख इक्कासी हजार लोगों को नौकरी दी है , जबकि उनके विभाग ने चार साल के कार्यकाल में चार लाख लोगों को रोजगार दे दिया है । इसके अतिरिक्त कौशल विकास व विभिन्न विभागों में पांच लाख व संविदा के तहत छह लाख लोगों को नौकरी दी गई है ।
उन्होंने एक सवाल के जबाब में कहा कि अखिलेश यादव योगी सरकार के कानून राज पर सवालिया निशान लगा रहे हैं । अखिलेश यादव को अपनी सरकार का जंगल राज व गुंडा राज याद आ रहा है । उन्होंने कहा कि योगी सरकार में अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो रही है । अब अपराधी सत्ताधारी लोगों के साथ मंच साझा नही कर सकते । ऐसे में अखिलेश यादव को योगी सरकार के कानून राज से दर्द होना स्वाभाविक है । उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश को जंगल राज की तरफ धकेलना चाहते हैं ।
भावनाओं का सम्मान
उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नसीहत दिया कि वह सभी की भावनाओं का सम्मान करना सीखें । उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी की भावनाओं का सम्मान करना पड़ता है । लोग अपनी भावनाओं के अनुरूप नमस्कार , प्रणाम , जय श्री राम , नमो बुद्धाय आदि बोलते हैं । इस पर किसी को भी एतराज नही करना चाहिए । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल को मोदी सरकार पर प्रहार करने से पूर्व स्वयं अपने दामन में झांक कर देखना चाहिए । उन्होंने कहा कि देश की जनता चुनाव में योग्य व अयोग्य को लेकर फैसला कर चुकी है । जनता ने जिसे योग्य समझा , उसे सत्ता सौंप दी तथा जिसे अयोग्य समझा , उसे सत्ता से बाहर कर दिया ।
विशाल जनसभा को संबोधित
मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बैरिया के पूर्व प्रधान स्वर्गीय शिवदयाल बर्मा की नवीं पुण्यतिथि के मौके पर विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता सरकार का मूल मंत्र है। हम लोग सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास और सब का सम्मान के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में नफरत फैलाने वाले लोगों को इस देश में कभी स्वीकार नहीं किया गया है। यह उद्गार प्रदेश सरकार के कैबिनेट प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निरंतर विकास की ओर अग्रसर है । उन्होंने भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह का नाम लिए बगैर कहा कि बैरिया के विकास में रोड़ा अटकाने वाले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि कुछ लोग इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे। उन्हें धन्यवाद देना चाहिए कि उन्हीं के विरोध के चलते यह कार्यक्रम भव्य हो गया। उन्होंने सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह बड़े नेता हैं हमारी पार्टी में किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं और इनका आशीर्वाद नगर पंचायत बैरिया के अध्यक्ष वह अध्यक्ष प्रतिनिधि को प्राप्त है तो यहां चिंता की कोई बात नहीं है । कोई चाह कर भी बाल बांका नहीं कर सकता है ।
दूसरे के कार्यों में रोड़ा
सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि दूसरे के कार्यों में रोड़ा अटकाने वाले खुद रोड़ा बनकर सड़क पर बिखर जाते हैं,और सड़क पर रोड़ा का क्या हश्र होता है यह तो आप लोग बखूबी जानते हैं। मैं यहां कोरोना काल में विगत पांच छः माह से लागातार रह रहा हूँ और सब कुछ देख रहा हूं, और समझ रहा हूं, समाज में नफरत फैलाकर कोई समाज का भला नहीं कर पाता है । उन्होंने कालू सन्याल व चारू मजूमदार जैसे माओवादी नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि इनका क्या हुआ यह देश जानता है।
मैं नहीं बोलता हूं तो इसका मतलब यह नही कि मैं डरता हूँ।मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बैरिया के विकास कार्यों में बाधा पहुंचाने की हैसियत यहां किसी में नहीं है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सलेमपुर के सांसद रविंद्र कुशवाहा में कहा कि बैरिया का सर्वांगीण विकास होगा।शिवकुमार वर्मा मन्टन और उनकी मां निर्भय होकर विकास कार्य को गति प्रदान करें। कहीं कोई बाधा पहुंचाने की औकात मे नहीं है।
कार्यक्रम को जिला अध्यक्ष जयप्रकाश साहू, कोआपरेटिव बैंक के निदेशक मुक्तेश्वर सिंह, विजय बहादुर सिंह, विनोद शंकर दुबे, तारकेश्वर गोड़, उदय पासवान, मंटू बिंद, चेतन नाथ राम, विजय बहादुर सिंह, उदय पासवान,शिवमंगल वर्मा,राम कुमार वर्मा सहित दर्जनों भाजपा नेताओं ने संबोधित किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष रत्नेश सिंह व संचालन जिला उपाध्यक्ष अमिताभ उपाध्याय ने किया।कार्यक्रम के आयोजक नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि शिव कुमार वर्मा मन्टन ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया वअतिथियों को अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम में भोजपुरी लोकगीत गायक व अभिनेता प्रमोद प्रेमी यादव व संजय शिवम ने निर्गुण, भजन व रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
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बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित
बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।
जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।
बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज
बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।
तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।
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