बलिया स्पेशल
बलिया में हैं लोकसभा की तीन सीटें, जानें इन सीटों पर किस पार्टी का रहा है दबदबा
निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव की तिथि का ऐलान कर दिया है। शहर के साथ ही जिले में लगे होर्डिंग-पोस्टर व बैनर आदि को हटाने का काम रविवार की शाम को ही शुरू हो गया। जिले के कुल 23 लाख 58 हजार 606 मतदाता बलिया, सलेमपुर व घोसी लोकसभा सीटों के लिए फैसला करेंगे। यहां के सात विधानसभा क्षेत्रों में से तीन बैरिया, बलिया नगर व फेफना के मतदाता बलिया लोकसभा, बांसडीह, बिल्थरारोड व सिकंदरपुर के मतदाता सलेमपुर लोकसभा सीट के लिए जबकि रसड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता घोसी लोकसभा सीट के लिए वोट डालेंगे। बलिया जिले के लिहाज से बांसडीह विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता हैं। जबकि बलिया लोकसभा क्षेत्र के लिहाज से सबसे अधिक वोटरों की संख्या मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) की है।
बलिया लोस : मुहम्मदाबाद में सर्वाधिक मतदाता
बलिया लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें बलिया जिले की तीन व गाजीपुर की दो विधानसभाएं हैं। सबसे अधिक मतदाता गाजीपुर के हिस्से की मुहम्मदाबाद विस क्षेत्र में हैं, जबकि सबसे कम मतदाता फेफना विधानसभा क्षेत्र में हैं। बलिया लोकसभा सीट के कुल 1070 मतदान केन्द्रों पर 17 लाख 92 हजार 420 मतदाता वोट डालेंगे। इनमें 9 लाख 84 हजार 465 तथा 8 लाख 7 हजार 892 महिला मतदाता हैं।
बलिया लोकसभा की स्थिति
विस सीट मतदान केन्द्र पुरूष महिला कुल मतदाता
फेफना 195 171492 142761 314253
बलिया नगर 171 198422 160099 358525
बैरिया 189 189836 154321 344179
जहूराबाद 259 206690 171367 378067
मुहम्मदाबाद 256 218025 179344 397396
सलेमपुर लोस : 1333 मतदान केन्द्रों पर पड़ेंगे वोट
सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में जिले की तीन विधानसभाएं बांसडीह, बिल्थरारोड (सुरक्षित) व सिकंदरपुर के अलावा देवरिया जिले की दो भाटपाररानी व सलेमपुर विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता वोट डालेंगे। इस लोकसभा क्षेत्र में इस बार कुल 1333 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। यहां कुल 19 लाख 70 हजार 664 मतदाताओं में से 10 लाख 75 हजार 480 पुरूष व 8 लाख 95 हजार 113 महिला मतदाता हैं।
सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र की स्थिति
विस सीट मतदान केन्द्र पुरूष महिला कुल मतदाता
भाटपाररानी 253 172353 143661 316030
सलेमपुर 222 169020 143955 312985
बेल्थरारोड 228 181862 150853 332717
सिकंदरपुर 198 159006 129856 288863
बांसडीह 217 208313 175392 383735
योग 1333 107548 895113 1970664
रसड़ा के वोटर चुनेंगे घोसी का प्रतिनिधि
जिले की सात विधानसभा सीटों में से एकमात्र रसड़ा के मतदाता घोसी लोकसभा सीट के लिए अपना वोट डालेंगे। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 215 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। यहां कुल 3 लाख 36 हजार 334 मतदाताओं में से 1 लाख 84 हजार 926 पुरूष व 1 लाख 51 हजार 396 महिला वोटर हैं।
बलिया जिले में मतदाताओं की संख्या :
कुल मतदाता : 23 लाख 58 हजार 606
पुरूष : 12 लाख 93 हजार 860
महिला : 10 लाख 64 हजार 676
अन्य : 70
युवा मतदाता (18 से 19 वर्ष) : 13 हजार 437
नाम जुड़े : 57 हजार 299
नाम कटे : 39 हजार 166
वर्ष 2014 में कुल मतदाता: 22 लाख 21 हजार 951
अधिसूचना के साथ ही नामांकन 22 अप्रैल से
जिले की सात विधानसभा सीटें तीन लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हैं। बैरिया, बलिया नगर व फेफना बलिया लोस सीट का हिस्सा हैं, जबकि बांसडीह, सिकंदरपुर व बिल्थरारोड विस क्षेत्र के मतदाता सलेमपुर लोकसभा सीट के लिए मतदान करते हैं। जिले की एकमात्र रसड़ा विधानसभा क्षेत्र घोसी संसदीय सीट का हिस्सा है। इन तीनों लोकसभा सीटों के लिए अधिसूचना 22 अप्रैल से जारी होगी। यानि उसी दिन से नामांकन शुरू हो जाएगा। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि आदर्श आचार संहिता निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही लागू हो गयी है और यह निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त होने तक रहेगी।
चुनाव कार्यक्रम एक नजर में :
निर्वाचन अधिसूचना का दिनांक : 22 अप्रैल 2019 (सोमवार)
नामांकन की अंतिम तिथि : 29 अप्रैल 2019 (सोमवार)
नामांकन पत्रों की जांच : 30 अप्रैल 2019 (मंगलवार)
नाम वापसी की अंतिम तिथि : 02 मई 2019 (गुरुवार)
मतदान : 19 मई 2019 (रविवार)
दिव्यांगों की सुविधा का विशेष ख्याल
मतदान के दौरान दिव्यांग मतदाताओं की सुविधा का विशेष ख्याल रखा जाएगा। जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार आयोग का यह प्रयास है कि दिव्यांगों का शत-प्रतिशत मतदान सुनिश्चित कराया जा सके। उन्हें बूथ तक लाने के लिए भी आयोग के निर्देश पर विशेष इंतजाम किए जाएंगे। मतदान केन्द्र तक आने के बाद आवश्यकता के अनुसार ह्वील चेयर के जरिए बूथ तक लाने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा मतदान केन्द्र से दूर घर होने पर किसी वाहन से भी उन्हें बूथ तक लाने का इंतजाम किया जाएगा।
आदर्श आचार संहिता : क्या करें-क्या न करें
-आचार संहिता लगते ही किसी दल या अभ्यर्थी को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जो विभिन्न जातियां व धार्मिक और भाषायी समुदायों के बीच मतभेदों को बढ़ाये, घृणा की भावना उत्पन्न करें या तनाव पैदा करे।
-वोट पाने के लिए जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई नहीं दी जानी चाहिए। मस्जिदों, गिरिजाघरों, मंदिरों या पूजा के अन्य स्थानों का चुनाव प्रचार के लिए मंच के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
-किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को ध्वजदंड बनाने, झंडा टांगने, सूचनाएं चिपकाने, नारे लिखने आदि के लिए किसी व्यक्ति की भूमि, अहाते, दीवार आदि को उनकी अनुमति के बिना उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी।
-चुनाव प्रचार के दौरान प्रचार वाहनों की कोई निर्धारित सीमा नहीं है लेकिन सभी वाहनों को प्रचार में प्रयोग करने के लिए सम्बंधित आरओ, एआरओ से पूर्वानुमति लेनी आवश्यक है। अनुमति परिमिट को सम्बंधित वाहन के विंडो स्क्रीन पर मूलप्रति में लगाना आवश्यक होगा। प्रचार के काफिले में तीन से ज्यादा वाहन एक साथ नहीं चल सकते।
-चुनाव प्रचार के वाहन में पार्टी और प्रत्याशी का एक पोस्टर, बैनर, झंडा, प्लैकार्ड ही लगाया जा सकता है।
-शैक्षणिक संस्थाओं तथा उनके खेल मैदान का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है। उक्त शैक्षणिक संस्थाओं में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त तथा गैर सरकारी सहायता प्राप्त सभी विद्यालय शामिल हैं।
-अस्थायी चुनाव कार्यालय सरकारी अथवा व्यक्तिगत प्रापर्टी पर कब्जा करके किसी धार्मिक स्थल या उसकी परिधि में किसी शैक्षणिक संस्था, अस्पताल तथा मतदान केन्द्र के 200 मीटर की परिधि में नहीं खोला जा सकता। ऐसे कार्यालय पार्टी का सिर्फ एक झंडा और बैनर लगा सकते हैं। बैनर की साइज भी 4 गुणे 8 से ज्यादा नहीं होगी परन्तु अगर स्थानीय कानून में इससे छोटे साइज की बैनर का प्रावधान है तो वह लागू होगा।
-सत्ताधारी दल को चाहिए कि वह सार्वजनिक स्थानों जैसे मैदान आदि पर चुनावी सभाएं करने और हेलीपैडों के इस्तेमाल के लिए अपना एकाधिकार न जमाएं। ऐसे स्थानों का प्रयोग दूसरों दलों व प्रत्याशियों को उन्हीं शर्तों पर करने दिया जाय, जिन शर्तों पर सत्ताधारी दल उनका प्रयोग करता है।
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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बलिया में नक्सलियों के 11 ठिकानों पर NIA ने मारा छापा
बलिया में एनआईए ने नक्सलियों के 11 ठिकानों पर शनिवार को छापा मारा, जहां से तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। एनआईए ने यह कार्रवाई पिछले साल यूपी एटीएस द्वारा बलिया में पकड़े गए पांच नक्सलियों पर दर्ज केस को टेकओवर करने के बाद की है।
बता दें कि यूपीएटीएस ने 15 अगस्त, 2023 को बलिया से नक्सली संगठनों में नई भर्तियां करने में जुटी तारा देवी के साथ लल्लू राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत राजभर व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया था। आरोपितों के कब्जे से नाइन एमएम पिस्टल भी बरामद हुई थी। जांच में सामने आया है कि तारा देवी को बिहार से बलिया भेजा गया था। वह वर्ष 2005 में नक्सलियों से जुड़ी थी और बिहार में हुई बहुचर्चित मधुबन बैंक डकैती में भी शामिल थी।
इसके अलावा लल्लू राम उर्फ अरुन राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राममूरत तथा विनोद साहनी की गिरफ्तारी हुई थी। ये सभी बिहार के बड़े नक्सली कमांडरों के संपर्क में थे।
एनआईए की अब तक की जांच के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत उत्तरी क्षेत्र अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि भाकपा (माओवादी) के नेता, कार्यकर्ताओं और इससे सहानुभूति रखने वाले, ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इस क्षेत्र में संगठन की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
बलिया स्पेशल
बीजेपी प्रत्याशी की जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ी भीड़, रवीन्द्र कुशवाहा बोले- तीसरी बार मोदी बनेंगे पीएम
बलिया। सलेमपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद और वर्तमान प्रत्याशी रवीन्द्र कुशवाहा को फिर से टिकट मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता जगह- जगह स्वागत कर रहे हैं। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को स्वागत और जन आशीर्वाद यात्रा मनियर से प्रारंभ होकर बांसडीह पहुंची। बांसडीह स्थित सप्तऋऋषि चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया।
स्वागत में उमड़े जनसैलाब ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। साथ ही सांसद के ऊपर पुष्प वर्षा किया। तत्पश्चात सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने कचहरी स्थित मां दुर्गा के दरबार में पहुंच कर पूजा अर्चना किया। जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे सांसद रवीन्द्र कुशवाहा का विधायक केतकी सिंह के नेतृत्व में बांसडीह चौराहे पर कार्यकर्ताओं ने स्वागत
किया। इस दौरान सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने अपने पांच वर्षों की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि पूरा देश प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर गर्व कर रहा है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये प्रधानमंत्री अग्रसर है। अबकी बार 400 से ऊपर सीटे जीतकर तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। विधायक केतकी सिंह ने कहा कि सलेमपुर क्षेत्र से पुनः रवीन्द्र कुशवाहा तीसरी बार भारी मतों से विजयी होंगे। भाजपा बांसडीह मंडल अध्यक्ष प्रतुल कुमार ओझा ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को अभिनंदन पत्र और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।
इस मौके पर बैरिया चेयरमैन प्रतिनिधि शिवकुमार वर्मा मंटन, पूर्व चेयरमैन संजय कुमार सिंह मुन्ना, चंद्रबली वर्मा, राजू गुप्ता, रमेश कान्त, डब्लू गुप्ता, व्यापार मंडल अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, चंद्रमा गिरी, तेज बहादुर रावत, सिंपी सिंह, शिवम गुप्ता, अजय यादव, अरुण पांडेय, अमित यादव, बिट्टूतिवारी, अभिजीत तिवारी, इरफान अहमद, विवेक उपाध्याय, बलिराम साहनी, राकेश वर्मा, गोपाल जी आदि उपस्थित रहे।
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