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शासन के फरमान के बावजूद बलिया में अब भी चल रहे हैं बिना मान्यता के स्कूल

बलिया- शासन के फरमान के बावजूद भी जनपद में अवैध रूप से चल रहे असंख्य विद्यालय अभी भी गली-मोहल्लों में चल रहे हैं। इस तरह के विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हैं। गांव की गलियों में दो कमरों में भी इस तरह के विद्यालय संचालित होने की बात आम हो गई है। शासन की ओर से ऐसे विद्यालयों पर लगातार कार्यवाही भी हो रही है, इसके बावजूद भी स्कूल संचालकों का मनोबल गिरते हुए दिखाई नहीं दे रहा है।

जनपद के कई शिक्षा क्षेत्रों में खंड शिक्षा अधिकारी भी उतना सक्रिय नहीं हैं, जिसके कारण अभी तक अमान्य विद्यालय संचालित हो रहे हैं। 1इनके चलते ही प्रभावित हैं परिषदीय विद्यालय1जनपद में स्कूल चलो रैली और लाख जागरूकता के बावजूद भी परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ रही है। इसका एक कारण अमान्य विद्यालय भी हैं।

इनके द्वारा अभिभावकों को परिषदीय विद्यालयों के बारे में भड़काया जाता है और खुद के विद्यालय को बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर बताया जाता है। जिसके चलते आम अभिभावक भी गुमराह हो जाते हैं और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना इन्हीं अमान्य स्कूलों में देखने लगते हैं। 1यहीं से शुरू होता है धन दोहन का खेल। इस तरह के अमान्य विद्यालय अलग-अलग चमक-दमक वाले ड्रेस तो लगाते ही हैं।

किताबें भी महंगी लगाते हैं। इसके अलावा मासिक शुल्क का चार्ट भी छोटा नहीं होता। सामान्य रूप से ऐसे विद्यालयों में एक बच्चे पर अभिभावकों को लगभग पांच सौ से एक हजार तक मासिक खर्च उठाना पड़ता है। बीएसए संतोष कुमार राय ने बताया कि जनपद में कुल 53 अमान्य विद्यालयों पर कार्यवाही हुई है। वहीं बाकी को नोटिस दिया गया है कि वे दो जुलाई से स्कूल संचालन करते पाए गए तो उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले में वे सख्ती से पेश आएं।

भागीय कार्यवाही के बावजूद बंद नहीं हो रहा शिक्षा का खेलजनपद के अमान्य विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी सस्ते वेतन पर मिल जाते हैं। इनकी योग्यता भी कोई खास नहीं होती। हाईस्कूल और इंटर तक पढ़े युवक और युवतियों को स्कूल संचालक मामूली वेतन पर रख लेते हैं। ऐसे शिक्षक जिन्हें शुद्ध हिन्दी का ज्ञान भी नहीं होता वे गली-मोहल्लों के अमान्य विद्यालयों के शिक्षक बन जाते हैं। सरकार ने इस पर नकेल कसने में अब कोई कसर बाकी नहीं छोड़ा है। स्पष्ट फरमान है कि बिना मान्यता विद्यालय अब किसी भी हाल में नहीं चलने दिए जाएंगे। इसके बावजूद भी अभी इस मामले में पूर्ण विराम नहीं लग सका है

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