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कर्फ्यू रिपोर्ट : बलिया में सड़को पर पसरा रहा सन्नाटा लेकिन गुलजार रहा कलेक्ट्रेट

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बलिया। कोरोना को हराने के लिए जिले में लगा वीकेंड लॉकडाउन शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गजब का असर दिखा। ग्रामीणों बाजारों में भी खामोशी दिखाई पड़ी। लोग चाय-पान को तरस गये। सुबह से दुकानें बंद रहने से पूरे बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि चुनाव चिह्न लेने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर व ब्लाकों में प्रत्याशियों तथा उनके समर्थकों की जबर्दस्त भीड़ देखी गई। कारोना कर्फ्यू का आलम यह रहा कि सुबह से ही सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।

वहीं कुछ यात्री ऐसे भी देखे गए जो पैदल ही यात्रा करना मुनासिब समझे। नगर के चित्तू पांडेय चौराहा, मालगोदाम रोड, स्टेशन रोड, चौक रोड, ओवरब्रिज, मिड्डी चौराहा, कुंवर सिंह चौराहा चारो ओर सिर्फ सन्नाटा नजर आया। सड़कों पर इक्का-दुक्का वाहन के अलावा रोडवेज बस नजर आई।

जमकर हुई गुटखा की कालाबाजारी
लॉकडाउन के मद्देनजर शनिवार की शाम से ही एकाएक पान गुटखा वाले दामों में बढ़ोत्तरी कर दी। आलम यह रहा कि जो कमला पसंद पांच का मिलता है वह छह से सात रूपए मिला। वहीं १० रूपए में चार पुकार की जगह सिर्फ तीन ही मिला।

रेवती में अभूतपूर्व बंदी का दिखा नजारा
कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर लगाम लगाने के उद्देश्य से 35 घंटे की बन्दी के सरकारी आदेश के अनुपालन में रविवार को नगर सहित क्षेत्र की दुकानों की अभूतपूर्व बन्दी रही। नगर बाजार,सुपर मार्केट,सब्जी मंडी सहित हमेशा गुलजार रहने वाला बस स्टैंड भी सूना रहा। कोरोना कर्फ्यू के शुरू होने के पूर्व की शाम दुकानों पर विभिन्न सामानों को खरीदने वालों की अच्छी खासी भीड़ रही।लोग आगामी बन्दी के दृष्टिगत सब्जियां,फल तथा अन्य सामानों को खरीदने में लगे हुए देखे गए।रविवार को सुबह से ही मेडिकल स्टोर की दुकानों को छोड़कर किराना, चाय, पान, मिठाई कपड़ा,मशीनरी पार्ट्सब, बिल्डिंग मैटीरियल, स्टूडियो आदि की छोटी बड़ी दुकानें पूर्ण रूप से बन्द रहीं। सड़कों पर वाहनों का आवागमन भी ठप्प रहा। इक्के दुक्के राहगीरों को छोड़ दें तो पैदल चलने वाले भी सड़कों पर लगभग नदारद रहे।प्रभारी निरीक्षक यादवेन्द्र पाण्डेय के नेतृत्व में पुलिस बल नगर सहित ग्रामीण इलाकों में चक्रमण करता रहा।

बिल्थरारोड में जबरदस्त असर
पूरे उत्तर प्रदेश के अन्दर कोरोना के तेज बढ़ते संक्रमण को लेकर रविवार को 35 घंटे का सरकार की ओर से लागू कोरोना कर्फ्यू को बिल्थरारोड नगर में प्रशासन की ओर से एसडीएम सर्वेश यादव व तहसीलदार जितेन्द्र कुमार सिंह ने पुलिस बल के साथ सख्ती से पालन कराया। आवागमन को पूरी तरीके से प्रतिबन्धित कराया। सिर्फ यात्रियों को आने-जाने में ढील दी गयी। सवारी को लेकर वे भी काफी समय तक परेशान दिखे। कड़ी चंकिंग में अनेक लोगों को मुंह की खानी पड़ी। बिल्थरारोड में चाय, पान व मिठाई की दुकानों से लेकर किसी प्रकार की कोई दुकान नही खुली। दवा के लिए कोई मेडिकल स्टोर तक बन्द रहा। प्रशासन ने बीमार लोगों को सीधे सरकारी अस्पताल की डगर दिखलाई। ट्रेन व रोडवेज बस के यात्रियों के लिए इक्का-दुक्का बैट्री रिक्सा यात्रियों के लिए कुछ सहारा बने। कितने यात्री अपने घरों के लोगों को फोन कर नीजी साधन से घरों को रवाना हुए। उभांव थाने के प्रभारी निरीक्षक ज्ञानेश्वर मिश्र व पुलिस चौकी प्रभारी आर के सिंह अपने हमराहियों के साथ सक्रिय दिखे। सीओ रसड़ा शिव नारायण वैस ने भी कोरोना कर्फ्यू का जायजा लिया।

चितबड़ागांव में दवा की दुकान छोड़ सब रहा बंद
जिला प्रशासन के 35 घंटे के कर्फ्यू का असर चितबड़ागांव मुख्य बाजार एवं मुख्य मार्ग पर रविवार की सुबह से ही देखने को मिला। बाजार मे सभी की दुकानें बंद मिली। मुख्य सड़क पर इक्का-दुक्का वाहन चलते नजर आए। हालांकि जरूरी सेवा जैसे दवा इत्यादि की दुकानें खुली नजर आई।

लालगंज बाजार में चारों ओर पसरा रहा सन्नाटा
वैश्विक महामारी के नियमों का पालन करते हुए लालगंज बाजार में पूर्णतया बंदी नजर आया। कहीं-कहीं इक्का-दुक्का लोग रास्ते और सड़कों पर भ्रमण करते हुए दिखाई दे रहे थे।

नगरा में लोगों को याद आया साल २०२०
कोविड के फैलते स्वरुप को देखते हुए सरकार के रविवार को लाकडाउन की घोषणा के तहत नगरा क्षेत्र में कर्फ्यू जैसे हालात रहे। आवश्यक कार्य को छोड़कर लोगों का सड़कों पर आवागमन नहीं के बराबर रहा। नगरा नगर पंचायत कस्बा सहित क्षेत्र के परसिया, मालीपुर, विशुनपुरा, नरही, डिहवा, बछईपुर, भीमपुरा, कसेसर, ताड़ी बड़ागांव, पाण्डेयपुर, सिसवार, टंडवा मोड आदि चट्टी चौराहों की दुकानें पूर्ण रुप से बन्द रहीं जिससे लोगों की भीड़ बाजारों में नहीं जुटी।

कोविड से बचाव के हर सम्भव प्रयास के क्रम जिलाधिकारी अदिति सिंह के निर्देशानुसार पुलिस प्रशासन एलर्ट मोड मे चौकन्ना नजर से लोगों में अनावश्यक रूप से बाहर निकलने के बजाय घरों में दुबके रहे। कोविड वायरस से बचाव के लिए बाजार के हनुमान चौक पर बकायदा पुलिस द्वारा हार्न बंधवाकर प्रचार कराया जा रहा है। थाना क्षेत्र में कमान सम्भाले प्रभारी निरीक्षक दिनेश पाठक अपने हमराहियों के साथ चारो तरफ चक्रमण करते रहे।

लाकडाउन की स्थिति सोमवार को सुबह सात बजे तक रहा। थानाध्यक्ष ने बाहर दिखाई देने वाले लोगों को समझाते हुए कहा कि आप अपने परिवार के साथ घरों मे रहें। अनावश्यक रूप से बाहर नहीं निकलें अगर कोई विशेष आवश्यकता हो तो कोविड नियमों के पालन मे घरों से मास्क लगाकर निकले और कार्य होते तुरन्त घरों को चले जाये।

 

 

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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट

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लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.

ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:

सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.

यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.

‘सनातन’ की सियासत:

साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.

साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.

2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.

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बलिया बीजेपी में नहीं है ‘सब चंगा सी’ !

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लोकसभा चुनाव-2024 का आगाज हो चुका है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है. सबसे आखिरी चरण यानी सातवें चरण में 1 जून को बलिया में भी मतदान होगा. ज़ाहिर है चुनाव को लेकर बलिया की सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की है.

बलिया में बीजेपी की चर्चा की वजह जीत नहीं, बल्कि भीतरखाने चल रही खींचतान है. टिकट बंटवारे से लेकर लोकल लीडर्स तक की अनदेखी ने जिले के कई बीजेपी नेताओं को नाराज़ और असहज कर दिया है. ऐसे तीन घटनाओं के जरिए इस अंदरूनी कलह की कलई खोली जा सकती है.

‘मस्त’ आउट, नीरज शेखर को टिकट:

2019 में बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. ‘मस्त’ और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि एक बार फिर पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट मिल गया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को. बताते चलें कि 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर ही नीरज शेखर सांसद बने थे. 2014 में भी सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन बीजेपी के भरत सिंह से हार गए. 2019 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

महज पांच साल के भाजपाई और पूर्व समाजवादी नेता को टिकट देने से बलिया बीजेपी के नेता खुश नहीं दिखे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नीरज को टिकट मिलने पर गर्मजोशी दिखाई. हालांकि औपचारिकता के तौर पर टिकट मिलने के अगले ही दिन वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ से मुलाकात करने जरूर पहुंचे थे.

आनंद स्वरूप शुक्ला का फेसबुक पोस्ट:

17 अप्रैल को बलिया सदर से बीजेपी के पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. आनंद स्वरूप ने लिखा है, “…2022 के विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक अज्ञात व ज्ञात कारणों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मुझे मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र से स्थानान्तरित कर आपके बैरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया.”

इस पोस्ट में आगे वह लिखते हैं कि किन्हीं वजहों से बैरिया से उनकी हार हो गई. आनंद स्वरूप शुक्ला इसके बाद एक ऐलान करते हैं, “चुनाव परिणाम के पश्चात पार्टी नेतृत्व को मैंने अवगत कराया कि अब आगे मैं कभी भी बैरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा.” यानी कि पूर्व विधायक और यूपी की योगी सरकार के पूर्व मंत्री ने साफ घोषणा कर दी वह कभी भी बैरिया से चुनाव नहीं लड़ेंगे.

इस कलह को समझने के लिए बैरिया का बैकग्राउंड समझने की जरूरत है. आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में बलिया सदर से विधायक बने थे. बैरिया से विधायक बने थे सुरेंद्र सिंह. लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सदर से दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया. आनंद स्वरूप शुक्ला को ट्रांसफर किया गया बैरिया. और सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि सुरेंद्र सिंह बागी हो गए. चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी बैरिया सीट गंवा चुकी थी.

सुरेंद्र सिंह एक बार बीजेपी वापसी कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने खुद को हमेशा के लिए बैरिया से दूर कर लिया है. लेकिन विधायकी हारने के कोफ्त से उपजी लड़ाई अब तक जारी है और इसका असर अब लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है. दोनों ही खेमे फिलहाल तो बलिया में पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.

उपेंद्र तिवारी और सपा की बातचीत की ख़बरें:

बलिया में बीजेपी के एक और ब्राह्मण चेहरा हैं उपेंद्र तिवारी. 2017 में फेफना से विधायक थे. योगी सरकार में इनके नाम से भी मंत्री पद नत्थी था. 2022 में चुनाव हार गए. बलिया सीट से उपेंद्र तिवारी भी दावेदारी कर रहे थे. बीजेपी से टिकट मिलने की रेस में वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ और नीरज शेखर के अलावा उपेंद्र तिवारी को भी बताया जा रहा था. जब पार्टी ने यहां से नीरज को टिकट दे दिया तो उपेंद्र तिवारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं.

अख़बारों ने साफ-साफ छापा कि सपा की ओर से बलिया में उपेंद्र तिवारी या अतुल राय को टिकट दिए जाने की उम्मीद है. चौक-चौराहों पर भी चर्चा थी कि उपेंद्र तिवारी सपा के लिए माकूल साबित हो सकते हैं. आख़िर कैसे? चर्चा चली कि घोसी से राजीव राय को टिकट मिलने के बाद बलिया से भी सवर्ण को टिकट देना अखिलेश के जातिगत इंजीनियरिंग में सेट नहीं हो पा रहा था. और ऐसे में उपेंद्र तिवारी को टिकट नहीं मिला.

हालांकि 20 अप्रैल को उपेंद्र तिवारी ने इसी ख़बर की कटिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस ख़बर का खंडन किया. उपेंद्र तिवारी ने भले ही सपा से टिकट मिलने की ख़बरों का खंडन कर दिया हो लेकिन ये चर्चाएं बीजेपी के खिलाफ ही काम कर रही हैं और पार्टी के समर्थन में बट्टा लगा रही हैं.

बलिया के बड़े बीजेपी नेताओं का असंतोष और फिलहाल अपने प्रत्याशी के  साथ ना दिखना लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. हालांकि पार्टी से जुड़े जिले के एक नेता बलिया ख़बर से नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “बड़ी पार्टियों में ये सब होता रहता है. लेकिन बीजेपी बहुत अलग किस्म की पार्टी है. यहां निजी हित को किनारे रखकर पार्टी हित में काम होता है. अपनी-अपनी नाराज़गी की वजहें हो सकती हैं, लेकिन सभी नेता-कार्यकर्ता आलाकमान के फैसले के साथ खड़ा है और नीरज शेखर के लिए लगा है. आने वाले दिनों में आप सभी नेताओं को एक साथ मंच पर देखेंगे.”

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जानें कौन हैं UP बोर्ड 10वीं के बलिया टॉपर, जिन्होंने जिले का नाम किया रोशन!

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उत्तरप्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम जारी कर दिया है। इन परिणामों में बेटियों ने एक बार फिर से बाजी मारी है। हाईस्कूल में सीतापुर की प्राची निगम और इंटरमीडिएट में यहीं के शुभम वर्मा ने टॉप किया है। दोनों टॉपर एक ही स्कूल के विद्यार्थी हैं।

बलिया के युवा भी परिणामों में छाए रहे। पूरे जिले में कुल 29 छात्र—छात्राएं टॉप टेन में शामिल हैं और इनमें सबसे ज्यादा 19 छात्राएं है। इस प्रकार बेटियों ने बेटों को पछाड़ते हुए अपना दबदबा कायम किया है।

तिलेश्वरी देवी विद्यालय की एकता वर्मा पूरे जनपद में प्रथम स्थान अर्जित किया है, उन्होंने 97 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। 96.67 प्र​तिशत अंक पाकर रामसिद्ध इंटर कॉलेज की श्रेयांशी उपाध्याय दूसरा स्थान हासिल किया। इसी प्रकार 96.67 अंक पाकर आर्य भट्ट विद्यालय के अरूण कुमार भी दूसरे स्थान पर रहे, जबकि 96.33 प्रतिशत अंक पाकर इसी विद्यालय के विपुल चौहान तीसरा स्थान हासिल किया।

वहीं चौथे स्थान पर अभिजीत कुमार चौहान रहे, उन्होंने 96.17 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। इसी प्रकार आदित्य शर्मा भी 96.17 पाकर चौथा स्थान हासिल किया। वहीं 96 प्रतिशत अंक पाकर शिवानी वर्मा, रंजू कौशल व पियुष मौर्य पांचवें स्थान पर रहे। इसी प्रकार 95.83 अंक पाकर शिखा चौरसिया छठवें स्थान ​हासिल किया। जबकि 95.67 अंक पाकर दिशा राज, वंदना, श्वेता सिंह व लवली आनंद सातवें स्थान पर रही। 95.50 प्रतिशत अंक पाकर साक्षी, सिमरन यादव, गौरी वर्मा, अनामिका चौहान व आकाश यादव आठवें स्थान पर रहे।

जबकि 95.33 प्रतिशत अंक पाकर अदिति प्रजापति, गणेश कुमार, अमित यादव, भव्य तिवारी, मिंटू यादव नौवें स्थान पर रहे। जबकि 95.17 अंक पाकर निधि वर्मा, अभिमान शर्मा, ज्योति, शिवांगी यादव व अंशिका यादव दसवें स्थान हासिल किया।

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