बलिया स्पेशल
बलिया- पैसे वापस नहीं लौटाने पर दलित महिला को जिंदा जलाया, 2 लोग गिरफ्तार

बलिया से इंसानियत को शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है। जिले के भीमपुरा थाना क्षेत्र के जजौली गांव में 20 हजार रूपये न लौटाने पर सूदखोरों ने महिला को जिंदा जलाकर मारने का प्रयास किया।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए दो लोगों को हिरासत में लिया है और जांच में जुट गई है। आग से बुरी तरह झुलसी महिला को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। वहां से उस वाराणसी ट्रामा सेंटर रेफर किया गया। महिला की हालत गंभीर बनी हुई है।
आग लगने पर महिला ने सोर मचाया तो आसपास के लोगों ने किसी प्रकार उसे बचा लिया। रात में ही पुलिस ने रेशमा को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे वाराणसी रेफर कर दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार वह करीब 40 फीसदी तक झुलस गई है।
बताया जाता है कि रेशमा ने दो साल पूर्वसूद पर उधार लिए थे। उसने आधी से ज्यादा रकम लौटा दी थी। बस कुछ पैसे बाकी थे जिसके लिए आरोपियों ने इस घटना को अंजाम दिया।
बलिया के एसपी अनिल कुमार ने मीडिया को बताया कि दोनों आरोपियो को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।




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बलिया में राजस्व रक्षक से मारपीट मारपीट से गुस्साए कर्मचारी संघ ने कार्य बहिष्कार कर किया प्रदर्शन

बलिया के कलेक्ट्रेट स्थित राजस्व अभिलेखागार के कर्मचारी रविशंकर श्रीवास्तव के साथ मारपीट को लेकर कर्मचारियों का आक्रोश फूट पड़ा। मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के आव्हान पर कर्मचारियों ने कार्य का बहिष्कार कर दिया और धरना प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने मारपीट करने वाले अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी की मांग की।
जिलाधिकारी को पत्रक सौंपते हुए कर्मचारियों ने शिकायत करते हुए बताया कि राजस्व अभिलेख रक्षक रविशंकर श्रीवास्तव शुक्रवार को अपने पटल का कार्य सम्पादित कर रहे थे। तभी अधिवक्ता कृपाशंकर यादव आए और रविशंकर के साथ मारपीट करते हुए लहूलुहान कर दिया। जिसके बाद रविशंकर ने मामले की शिकायत की। जिस पर कर्मचारी नेताओं ने रविशंकर की प्राथमिकी दर्ज करने और आरोपी अधिवक्ता कृपाशंकर यादव को गिरफ्तार करने की मांग की।साथ ही कहा कि अधिवक्ता कृपाशंकर यादव का रजिस्ट्रेशन निरस्तीकरण की कार्यवाही के लिए बार कौंसिल आफ उत्तर प्रदेश इलाहाबाद को जिलाधिकारी की अनुशंसा से पत्र प्रेषित किया जाय। कृपाशंकर यादव शासकीय कार्य में बाधा डालने एवं कलेक्ट्रेट कार्यालयों में अपने साथियों के साथ भय का महौल पैदा करने के लिए उप्र गुंडा निवारण अधिनयम/ गिरोहबन्द अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। राजस्व अभिलेखागार, न्यायिक अभिलेखागार एवं कलेक्ट्रेट सहित तहसीलों में कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था करायी जाय।
इस अवसर पर सत्या सिंह, वेदप्रकाश पाण्डेय, सुशील कुमार पांडेय कान्हजी, अखिलेश राय, विजेन्द्र सिंह, सुशील त्रिपाठी, अनिल सिंह, अवनीश चन्द्र पाण्डेय, भारत भूषण मिश्रा, विजयपाल सिंह, संजय सिंह, बृजेश श्रीवास्तव, बृजेश सिंह, अरविंद कुमार शुक्ला, प्रो. निशा राघव, निखिलेंद्र मिश्रा, राजमंगल यादव, राजेश सिंह, अजय पाण्डेय, मृगेन्द्र सिंह, मुकेश उपाध्याय, आदि थे। अध्यक्षता कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कौशल उपाध्याय व संचालन मंत्री संजय कुमार भारती ने किया।
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“कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए”

कौसर उस्मान
शायरों ने हर मौके के लिए शेर लिखे हैं. अफसोस कि मातम के मौके के लिए भी बातें कही गई हैं. बलिया के हर दिल अजीज़ नेता मनीष दुबे मनन के ना होने कि ख़बर सुनने के बाद मुझे कैफ़ी आज़मी का वो शेर याद आया जिसमें उन्होंने लिखा “रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई. तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई “
बहरहाल! मनन दुबे से मेरी अकसर बात होती थी. पहली बार मेरी बात किसी खबर को लेकर झगड़े से शुरू हूई थी. बाद में मिसन्डर्स्टैन्डिंग क्लियर होने के बाद हम दोस्त तो नहीं लेकिन वो बलिया खबर और मेरे हमदर्द जरूर बन गए थे. हम सूचना आदान-प्रदान, जिले में राजनीतिक घटनाक्रम और खबरों को लेकर बात किया करते थे. मनन दुबे की इतनी कम उम्र में उनकी मकबूलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके मौत की मनहूस खबर आने के बाद बलिया और गाजीपुर में क्या नौजवान क्या उम्रदराज सबकी आंखें नम थी. अंतिम संस्कार में तो मानो पूरा बलिया ही चल पड़ा है. मैं बदनसीब हूं जो ऐसे चहेते और महबूब नौजवान नेता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका.
“चेन्नई में जब मुझे यह मनहूस खबर मिली कि बलिया के नौजवानों के दिलों पर राज करने वाले मनीष दुबे मनन अब हमारे बीच नहीं रहे, पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि एक अच्छा और सच्चा नौजवान नेता हमे छोड़ कर चला गया है. दिल उदासी से भर गया आँखें बाहर आने को बेताब थी, हाथ-पाँव काप रहे थे, लेकिन मौत एक हकीकत है, इससे कोई आंख कैसे मूंद सकता है? ये सोच कर बेचैन दिल को कुछ देर बहलाया.”गाजीपुर के अमवा गांव के रहवासी मनीष दुबे उर्फ मनन समाजवादी पार्टी के नेता थे. बीते शनिवार यानि 14 जनवरी को करंट लगने से उनका निधन हो गया. गड़वा रोड स्थित निधरिया नई बस्ती आवास पर छत पर लोहे के रॉड से नाली की सफाई कर रहे थे. इसी दौरान हाईटेंशन तार की चपेट में आने से उन्हें करंट लग गया. जिसके बाद वो इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए. ये ख़बर कुछ ही पलों में पूरे बलिया और गाजीपुर में आग की तरह फैल गई.
ख़बर के साथ दोनों ज़िलों में मातम पसर गया. कोई भी इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि मनन अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन मृत्यु तो अटल सत्य है. उसे कौन टाल पाया है. हर किसी स्वीकार करना पड़ता है. लेकिन कहते हैं न कि सत्य से सामना यूं नहीं होना चाहिए. मनन को ऐसे नहीं जाना चाहिए था. बलिया की छात्र राजनीति में मनन वर्तमान दौर में बड़े नाम थे. मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज में महामंत्री रह चुके थे. छात्र संघ का चुनाव लड़ने वाला हर छात्र मनन का समर्थन पाने को आतुर रहता था. कहा जाता है कि मनन जिसके कंधे पर हाथ रख देते थे छात्र संघ चुनाव वही जीतता था.
मनीष दुबे मनन को याद करते हुए मेरे मित्र और बलिया के ही छात्र नेता अतुल पाण्डेय कहते हैं “मेरे छात्रसंघ चुनाव में वो मेरे साथ नहीं थे लेकिन मुझसे भावनात्मक रूप से जुड़े थे. जिसकी वजह से वो उस चुनाव में किसी के साथ नहीं रहे. जबसे वो छात्रसंघ के चुनाव में थे या रहे उसमे ये पहली और आखिरी बार था की वो चुनाव में किसी के समर्थन में वोट नही मांग रहे थे. उन्होंने हमेशा मुझसे कहा की भाई तुम्हारे साथ हैं, विरोध नहीं करेंगे.”अतुल आगे कहते हैं कि “रागिनी दुबे हत्याकांड में न्याय की मांग को लेकर पूरा जनपद प्रदर्शन कर रहा था. जिसका एक हिस्सा मैं भी था. तब मैं और मनन भइया साथ लखनऊ गए और समाजवादी पार्टी की तरफ से मिले 2 लाख के आर्थिक सहयोग का चेक लाकर पीड़ित परिवार को दिए थे. छात्रवृति की समस्या थी तब भी हमने साथ मिल के आंदोलन किया जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया.”
उनके साथियों में रहे राघवेंद्र सिंह गोलू बताते हैं “2013 से ही हम मनन भइया को जानते थे. राजनीति में लाने का पूरा श्रेय उन्हीं को जाता है. नारद राय जी तक मनन भइया ही हमको ले गए. जब मैं राजनीति में आया तो घर से रिश्ता नहीं रह गया. घर वालों ने समर्थन नहीं किया. उसके बाद मैंने उन्हें देखकर सीखा कि अभाव में देखकर जीवन कैसे जीया जाता है. मनन भइया प्रेरणा थे हमारे लिए.”
ज़िले के ही साजिद कमाल कहते हैं “मनन को मैं कई सालों से जानता हूं. उसे क्रिकेट का शौक था. उसकी सबसे बड़ी खासियत थी कि वो निस्वार्थ था. वो अपने लिए कुछ नहीं करता था. लोगों के लिए सोचता था. पहली जनवरी को हमलोग साथ थे. उसने हमें कई नेताओं से मिलाया. उसका भरोसा लोगों को जोड़ने में था.”
मनन दुबे के साथ की अपनी यादें साझा करते हुए छात्र नेता धनजी यादव कहते हैं “2015 में मैं छात्र राजनीति में आया. तब मैंने सुना था कि कोई मनन दुबे महामंत्री हैं. जिनके पास जाने पर मदद करते हैं. मैं गया उनको बताया की भइया चुनाव लड़ना है. मनन भइया ने चुनाव में पूरा सहयोग किया. उन्होंने हमें सिखाया कि बगैर पैसे-रुपए के भी चुनाव लड़ा जा सकता है. व्यवहार के बूते पर चुनाव लड़ सकते हैं हम.” वो आगे कहते हैं कि “कोरोना काल में एक प्रकरण में हम जेल चले गए थे. मनन भइया को कोरोना हुआ था. फिर भी उन्होंने हमें बाहर निकलवाया.”
ज़िंदगी में बहुत सारी चीजें मिल जाती हैं. कुछ जरूरी चीजें आपको खुद अर्जीत करनी पड़ती है. कमाना पड़ता है. जिसे सम्मान कहते हैं. आदर कहते हैं. मनन ने अपनी छोटी सी उम्र में इसे कमाया था. बुजुर्ग लोग कह गए हैं कि आपकी अंतिम यात्रा की भीड़ बताती है कि आप कैसे इंसान थे? तस्वीरें जब सामने आईं मनन दुबे की अंतिम यात्रा से तो जनसैलाब दिखा. दो ज़िलों के लोग उमड़े हुए दिखे. और फिर रहमान फ़ारिस का वो शेर याद आया “कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए!”
कौसर उस्मान ‘बलिया ख़बर’ के संपादक हैं.
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UPSSSC Result : बलिया में किसान का बेटा बना अधिशासी अधिकारी

बलिया। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने बहुप्रतीक्षित अवर अधीनस्थ सेवा (सामान्य चयन) भर्ती परीक्षा – 2019 का अंतिम चयन परिणाम जारी किया है। आयोग ने शुक्रवार रात परिणाम के साथ ही कट ऑफ भी जारी की है। आयोग ने 672 पदों के सापेक्ष 670 अभ्यर्थियों का चयन किया है। इस परीक्षा परिणाम में बलिया जिले के असनवार गांव के अर्जुन कुमार राजभर पुत्र मुन्ना प्रसाद का चयन अधिशासी अधिकारी के पद पर हुआ है।
अर्जुन राजभर की 12 वीं तक की शिक्षा- दीक्षा गांव के ही एल.डी.इण्टर कालेज असनवार में ही हुई है तथा बी.ए. की पढ़ाई गांव के ही पास स्थित जय माता दुल्हमी त्रिभुवन महाविद्यालय चोगड़ा से पूरी हुई है। इस परीक्षा की तैयारी इन्होने इलाहाबाद से की है। अर्जुन राजभर वर्तमान में भूमि अध्याप्ति अधिकारी बलिया के कार्यालय में कनिष्ट सहायक के पद पर कार्यरत है।
एक सामान्य परिवार से सम्बन्ध रखने वाले श्री राजभर की मां एक हाऊस वाइफ है तथा पिता मुन्ना प्रसाद गुजरात में रहकर मजदूरी करते हुए पढ़ाई का पूरा खर्च वहन किये है। इस समय गांव पर ही रहकर खेती किसानी का काम कर रहे है ।
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