बांसडीह
बलिया में सुभासपा को झटका, पूर्व मंत्री के पौत्र पुनीत पाठक कांग्रेस में होंगे शामिल

बलिया में इन दिनों सियासी उलटफेर का दौर चल रहा है। नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी का झंडा बदल रहे हैं। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सभी नेताओं और राजनीतिक दलों की कवायद अपने हक में सियासी गोटी बैठाने की है। खबर है कि आने वाले दिनों में बलिया के बांसडीह से सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता रहे पुनीत पाठक कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं।
पुनीत पाठक ने बुधवार यानी आज सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया है। पुनीत पाठक ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि “सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सभी पदों से तत्काल रूप से त्यागपत्र दे रहा हूं। पिछले सालों में पार्टी कार्यकर्ताओं और शीर्ष नेतृत्व श्री ओमप्रकाश राजभर, श्री अरविंद राजभर तथा अरुण राजभर द्वारा दिए गए सम्मान और प्रेम का आभारी रहूंगा।”
उन्होंने सुभासपा छोड़ने की वजह बताते हुए लिखा है कि “कुछ मुद्दों पर असहमति को देखते हुए अब आगे बढ़ने का समय आ गया है।” बलिया खबर के साथ बातचीत में पुनीत पाठक ने कहा कि “हम आने वाले 26 नवंबर को कांग्रेस ज्वाइन करेंगे। लखनऊ में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में हम कांग्रेस में शामिल होंगे।”
पुनीत पाठक ने बताया कि लखनऊ में वो अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का हाथ थामेंगे। कांग्रेस की ओर से क्या जिम्मेदारी मिलेगी इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। लेकिन जो भी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी हमे सौंपेगी उसे निभाने के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा का चुनाव मुहाने पर आ चुका है। कांग्रेस युवाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगी है। पुनीत पाठक उसी कोशिश के परिणाम हैं। बलिया में सात विधानसभा सीटें हैं। फिलहाल एक भी सीट पर कांग्रेस का विधायक नहीं है। जिले में पार्टी का संगठन खड़ा करने की जुगत चल रही है। देखना होगा कि पुनीत पाठक को बलिया में किस भूमिका में कांग्रेस सामने लाती है।
बता दें कि पुनीत पाठक दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे बच्चा पाठक के पौत्र हैं। बच्चा पाठक वही कांग्रेसी नेता थे जो 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में भी बलिया से चुनाव जीत गए थे। बच्चा पाठक बांसडीह विधानसभा सीट से सात बार विधायक रह चुके थे। साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहते हुए दो बार मंत्री भी बनाए गए थे। अब उनके पौत्र कांग्रेस में आ रहे हैं।
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अंग्रेजी के बड़े अख़बार ने बांसडीह और केतकी सिंह को लेकर ये फर्जी दावा छाप दिया?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है। नतीजे यानी जनता का फैसला आ चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुमत मिली है। समाजवादी पार्टी को जनता ने एक बार फिर मुख्य विपक्षी पार्टी के लायक समझा है। चुनाव खत्म होने के बाद अलग-अलग जिलों और विधानसभा सीटों से नई-नई कहानियां सामने आ रही हैं। ये कहानियां अखबार, टेलीविजन और सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही है। एक अंग्रेजी का प्रतिष्ठित और बड़ा अखबार है हिंदूस्तान टाइम्स। इसने भी बलिया की बांसडीह विधानसभा सीट और इस सीट से विधायक बनीं भाजपा की केतकी सिंह को लेकर एक कहानी छापी है।
हिंदूस्तान टाइम्स ने केतकी सिंह को लेकर एक खबर छापी है। खबर की हेडिंग लगी है “Girls’ education top priority for Bansdih’s first woman MLA.” यानी कि “बांसडीह की पहली महिला विधायक के लिए लड़कियों की शिक्षा उच्च प्राथमिकता पर है।” खबर के विस्तार में भी केतकी सिंह को बांसडीह की पहली महिला विधायक के रूप में ही परिचित कराया गया है। हिंदूस्तान टाइम्स लिखता है कि ‘Ketaki singh is the first woman MLA from Bansdih.’ यानी केतकी सिंह बांसडीह से पहली महिला विधायक हैं। जो कि तथ्यात्मक तौर पर पूरी तरह गलत है। केतकी सिंह बांसडीह की पहली महिला विधायक नहीं हैं।

Hindustan Times की खबर का कटआउट
बांसडीह से केतकी सिंह पहली नहीं दूसरी महिला विधायक हैं। केतकी सिंह से पहले विजय लक्ष्मी जनता पार्टी से दो बार बांसडीह की विधायक रह चुकी हैं। 1985 और 1989 में विजय लक्ष्मी इस सीट से विधायक चुनी गई थीं। वो भी तब जब इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व. बच्चा पाठक को शिकस्त देकर विजय लक्ष्मी विधायक बनी थीं। बच्चा पाठक बांसडीह से सात बार के विधायक थे। इस सीट पर उनकी पकड़ का अंदाजा आपातकाल के बाद हुए यूपी चुनाव में लगा। आपातकाल और जेपी आंदोलन की वजह से पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए। आंदोलन का असर बिहार और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक था। कांग्रेस को यूपी में करारी हार मिली। लेकिन बांसडीह से कांग्रेस बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की।
बहरहाल बात बांसडीह से महिला विधायक की हो रही है। बच्चा पाठक की सियासी ताकत का जिक्र इसलिए ताकि पता चल सके कि विजय लक्ष्मी की जीत इतनी साधारण नहीं थी कि उसे नजरंदाज किया जा सके। फिर भी एक बड़े अखबार में तथ्यात्मक तौर पर बांसडीह को लेकर गलत खबर छापी गई। केतकी सिंह 2017 में भी बांसडीह से चुनाव मैदान में थीं। अंतर बस इतना था कि 2017 में केतकी सिंह निर्दलीय थीं। क्योंकि भाजपा-सुभासपा गठबंधन ने इस सीट से अरविंद राजभर को टिकट दिया था। इस बार सुभासपा और भाजपा का गठजोड़ नहीं था। निषाद पार्टी की ओर से भाजपा के सिंबल पर केतकी सिंह एक बार फिर बांसडीह की चुनावी जंग में उतरीं।
सामने प्रतिद्वंदी नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी थे। रामगोविंद चौधरी 2017 में केतकी सिंह को मात दे चुके थे। लेकिन इस बार उनका कोई दांव केतकी सिंह को जीतने से नहीं रोक पाया। अब बांसडीह से केतकी सिंह दूसरी महिला विधायक बन चुकी हैं। एक बार फिर बता दें कि बांसडीह की पहली महिला विधायक विजय लक्ष्मी थीं।
बलिया
उत्तर प्रदेश चुनाव: बलिया के बांसडीह में क्या है सियासी समीकरण, कौन है किस पर भारी?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। यूपी में पांच चरणों का मतदान हो चुका है। 3 मार्च को छठवें चरण का चुनाव होने जा रहा है। छठे चरण में दो सीटों की लड़ाई सबसे बड़ी मानी जा रही है। एक गोरखपुर शहर जहां से स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के उम्मीदवार हैं। तो वहीं दूसरी बहुचर्चित सीट बलिया जिले की बांसडीह है। जहां से आठ बार के विधायक रहे, सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। लेकिन क्या 2017 की भाजपा लहर के बावजूद अपनी सीट बचा लेने वाले रामगोविंद चौधरी इस बार फिर जीत दर्ज कर पाएंगे?
आइए बात करते हैं बांसडीह विधानसभा सीट के पिछले चुनाव परिणामों की। 2012 चुनाव में सपा से रामगोविंद चौधरी 52085 मत पाकर चुनाव जीते। भाजपा से केतकी सिंह 29208 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। सुभासपा से दीनबंधु शर्मा 28387 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस से बच्चा पाठक 21799 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे। जेडीयू से शिव शंकर चौहान 20222 मत पाकर पांचवे स्थान पर रहे।
2017 चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन से रामगोविंद चौधरी 51201 मत पाकर चुनाव जीते। निर्दल प्रत्याशी केतकी सिंह 49514 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहीं। भाजपा-सुभासपा गठबंधन से ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर 40234 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। बसपा से शिव शंकर चौहान 38745 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे। निर्दल प्रत्याशी नीरज सिंह गुड्डू 10315 मत पाकर पांचवें स्थान पर रहे।
यहां का चुनाव बहुत ही रोचक बनता जा रहा है। मतदाताओं के साधने के लिए प्रत्याशी हर जोड़-तोड़ की कोशिश में लगे हैं और देखा जा रहा है कि कैसे केवरा प्रधान डॉ. सुरेश प्रजापति सुबह भाजपा सांसद की मौजूदगी में भाजपा जॉइन करते हैं और शाम होते-होते वह सपा जॉइन कर लेते हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता को शिकस्त देने वाली पूर्व विधायिका विजय लक्ष्मी के साथ सोशल मीडिया पर पिछले दिनों रामगोविंद चौधरी की तस्वीर वायरल हुई। जिसमें बताया जा रहा था कि विजय लक्ष्मी का समर्थन रामगोविंद चौधरी को मिला। लेकिन अगले ही दिन गृह मंत्री अमित शाह की सभा में विजय लक्ष्मी भाजपा में शामिल हो गईं। जिससे चुनाव और भी रोचक होता जा रहा है।

पूर्व विधायिका विजय लक्ष्मी से नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी की मुलाकात
बांसडीह विधानसभा सीटो को लेकर लंबे समय तक भाजपा व निषाद पार्टी में टिकट के लिए चर्चा चलती रही। अंततः यह सीट निषाद पार्टी के खेमे में गई। निषाद पार्टी ने टिकट दिया केतकी सिंह को। केतकी सिंह पिछले चुनाव में निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में थी व महज 1687 मत से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इनकी चर्चा पूरे जनपद में बनी रही। वैसे में इस बार भाजपा गठबंधन उम्मीदवार हैं तो इनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही।

सपा में शामिल होते वक्त केवरा प्रधान की तस्वीर
निषाद पार्टी यहां चुनाव मैदान में है तो बात निषाद मतदाता की करी जाए। इनकी भूमिका यहां महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन जब बात निषादों की आती है तो यहां से एक और उम्मीदवार आते हैं जिनको बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री व सन ऑफ मल्लाह कहलाने वाले मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। ये हैं अजय शंकर पाण्डेय “कनक”। वैसे तो ये भाजपा+निषाद पार्टी के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे लेकिन टिकट न मिलने पर “नाव” पर सवार हो गए।

केवरा प्रधान भाजपा में शामिल होते हुए
कनक पाण्डेय का दबदबा रेवती नगर पंचायत क्षेत्र में माना जाता है। नगर पंचायत में अध्यक्ष पद पर लगातार दूसरी बार इनके परिवार का कब्जा बना हुआ है। कयास लगाया जा रहा है कि ब्राह्मण मतदाताओं का भी रुझान इनकी तरफ हो सकता है।
जब बात ब्राह्मण मतदाताओं की आती है तो इस सीट पर दो और ब्राह्मण उम्मीदवार आते हैं। एक जो बांसडीह सीट से 7 बार विधायक व मंत्री रहे, शेर-ए-पूर्वांचल कहे जाने वाले नेता स्व0 बच्चा पाठक के पौत्र भी हैं। पुनीत पाठक जो कांग्रेस से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। जिनके समर्थन में प्रियंका गांधी ने रोड शो कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।

बांसडीह रोड में कांग्रेस उम्मीदवार पुनीत पाठक के लिए प्रियंका गांधी का रोड शो
वहीं दूसरी तरफ शिक्षा-स्वास्थ्य के मुद्दों पर आम आदमी पार्टी से सुशांत राज पाठक भी चुनाव मैदान में हैं। सपा की बात की जाए तो इस बार सपा और सुभासपा एक साथ चुनाव मैदान में है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर को देख कर राजभर मतदाता सपा की तरफ ही रुझान कर रहे हैं। लेकिन ऐसे में पूर्व जिला पंचायत सदस्य व सुभासपा की महिला नेत्री रही मालती राजभर बसपा से चुनाव मैदान में अपनी दावेदारी कर रही है। देखना दिलचस्प होगा कि राजभर मतदाता अपना रुख किधर करते हैं।
बात कुछ और चेहरों की करते हैं जो चुनाव मैदान में तो नही हैं लेकिन इस बार के चुनाव में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पूर्व विधायक शिवशंकर चौहान, विधानसभा में इनका अपना एक अच्छा खासा वोट बैंक माना जाता है। भाजपा के टिकट के दावेदार थे, अब भाजपा गठबंधन की प्रत्याशी केतकी सिंह के साथ सभाओं में और जनसम्पर्क करते देखे जा रहे हैं। जिससे भाजपा पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रही है।
पूर्व मंत्री व सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर पिछले चुनाव में भाजपा गठबंधन से उम्मीदवार थे। लेकिन अब सपा से गठबंधन में वाराणसी की शिवपुर विधानसभा से चुनाव मैदान में है। पिछले दिनों रामगोविंद चौधरी के समर्थन में सभा कर राजभर मतदाताओं को सपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की।
वहीं दूसरी तरफ पूर्व विधानसभा प्रत्याशी व सहतवार नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि नीरज सिंह गुड्डू जो पिछले चुनाव में पहले सपा के उम्मीदवार बनाए गए, फिर बाद में टिकट कटने पर निर्दल चुनाव मैदान में पूरी ताकत झोंकी। इस बार के चुनाव में वह सपा के साथ मजबूती से नजर आ रहे हैं। जिससे यहां की लड़ाई किसी के लिए बहुत आसान नहीं है।
बलिया ख़बर के लिए ये स्टोरी बलिया के निवासी और छात्र नेता अतुल पांडेय ने लिखी है।
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केतकी सिंह की रोती हुई तस्वीर की असलीयत क्या है? क्या सपा कार्यकर्ताओं ने की अभद्र नारेबाजी?

बलिया में चुनावी माहौल पूरी तरह ज्वलंत हो चुका है। राजनीतिक दलों के टिकट घोषणा के बाद चुनावी चहलपहल और भी बढ़ चुकी है। तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। ताकि जनता को अपने पक्ष में मोड़ा जा सके। साम, दाम, दंड, भेद किसी भी तरह से अपने पक्ष में हवा बनाने की जुगत हो रही है। ऐसा ही कुछ हुआ है बलिया की बांसडीह सीट पर।
बांसडीह से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं रामगोविंद चौधरी। निषाद व भाजपा पार्टी के गठबंधन ने इस सीट से केतकी सिंह को मैदान में उतारा है। आज सोशल मीडिया पर केतकी सिंह की एक तस्वीर शेयर की गई। फोटो में भाजपा के कार्यकर्ता हैं। साथ में केतकी सिंह भी हैं। केतकी सिंह भाजपा के ही नेता गोपाल को पकड़े हुए रोती हुई नजर आ रही हैं। आसपास भाजपा के कुछ कार्यकर्ता एक सुरक्षा घेरा बनाए हुए हैं।
फोटो में केतकी सिंह रोती हुई नजर आ रही हैं। इस फोटो को यह कहकर शेयर किया जा रहा है कि नामांकन के दौरान केतकी सिंह के खिलाफ सपा के कार्यकर्ताओं ने अपमानजनक नारेबाजी की। फेसबुक पर ऐसे ही यूजर ने लिखा कि “यह आंसू सैलाब बनके (बनकर) आएगा और रामगोविंद चौधरी को बहा कर ले जाएगा।” दावा किया गया कि “आज सपा के नामांकन के दौरान सपा के गुंडों ने नेत्री केतकी सिंह के खिलाफ अपमानजनक नारेबाजी की।” यूजर ने लिखा कि “जवाब मिलेगा… जरुर जवाब मिलेगा।”

फोटो पर फर्जी दावे के साथ शेयर किया गया केतकी सिंह का फोटो
क्या है सच्चाई:
सवाल है कि क्या सच में केतकी सिंह के खिलाफ सपा के कार्यकर्ताओं ने अभद्र नारेबाजी की? फेसबुक पर शेयर किए गए इस पोस्ट में लिखा गया है कि नामांकन के दौरान केतकी सिंह के खिलाफ अपमानजनक नारेबाजी हुई। जबकि केतकी सिंह ने अब तक अपना नामांकन ही नहीं किया है। तो फेसबुक पोस्ट का पहला दावा यहीं फर्जी साबित हो गया।
फोटो में केतकी सिंह जिसे पकड़कर रो रही हैं वो भाजपा नेता गोपाल जी हैं। गोपाल ने बलिया खबर से बातचीत में कहा कि “भाजपा से टिकट मिलने के बाद केतकी सिंह के साथ हमारी पहली मुलाकात हुई। जिसके चलते केतकी सिंह भावुक हो गईं। इसी वजह से केतकी सिंह के आंसू छलक गए।”
वहीं फोटो में घेरा बनाए में दिख रहे एक और शख्स चंचल से भी बलिया खबर ने बात की उनका भी कहना है कि “जिस फोटो में केतकी सिंह रोते हुए दिख रही हैं वो मनीयर की तस्वीर है और वहाँ ऐसी कोई बात नहीं हुई । हालांकि उन्होंने कहा कि हूटिंग एक दिन पहले बहुआरा में हुई थी लेकिन वहाँ कोई नारेबाजी नहीं की गई। इस फोटो को गलत दावे से सोशल मीडिया पर डाल दिया गया है। उन्होंने भी कहा कि केतिकी सिंह का नांनाकन 11 को है अभी तक उन्होंने नामांकन नहीं किया है।
साफ जाहिर है कि फर्जी दावे से एक माहौल बनाने की कोशिश की गई है। लोगों के बीच सहानुभूति कार्ड खेलने की कोशिश की गई। लेकिन भाजपा नेता ने खुद ही इस दावे का पोल खोल दिया है। गौरतलब है कि केतकी सिंह भाजपा की पुरानी नेता हैं। 2017 के चुनाव में केतकी सिंह को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। तब केतकी सिंह निर्दलीय ही चुनाव लड़ी थीं। लेकिन इस बार उनकी वापसी भाजपा में हुई। भाजपा ने केतकी सिंह को रामगोविंद चौधरी के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारा है। चुनावी टक्कर जोरदार है। इंच-इंच की लड़ाई है। ऐसे में किसी भी तरह से बढ़त बनाने की कवायद चल रही है।
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