बलिया- एक तरफ गंगा की उफनती लहरें अपना कहर बरपा रही हैं तो वहीं बाढ़ विभाग के अधिकारी और ठेकेदार खेल करने में जुट गए हैं। उधर, बाढ़ के पानी से 1100 एकड़ में लगी मक्का व परवल की फसल बर्बाद हो चुकी है।बताया जाता है कि शनिवार को सुबह अचानक गंगा ने विकराल रूप धारण कर लिया और लहरें उफान मारने लगीं।
स्थिति को देखते ही बाढ़ विभाग ने कटान रोकने के लिए हरे पेड़ों की बलि देना शुरू कर दिया। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। दुबे छपरा रिंग बांध पर कार्य के नाम पर केवल खनापूर्ति हो रही है। कटान पीड़ित मुन्ना का कहना है कि बाढ़ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा काम कम और दिखावा ज्यादा किया जा रहा है।
चनू लाल ने कहा कि कटान रोकने के नाम पर बाढ़ विभाग सरकारी धन का बंदरबांट करने में लगा है। शनिवार दोपहर गंगा के बढ़ते जलस्तर में कुछ नरमाहट आई लेकिन कटान का क्रम जारी रहा।
उधर, गंगा की कटान में शेष बचे चौबेछपरा के लोगों की नींद हराम है। कटान पीड़ितों की स्थिति एक तरफ कुंआ तो दूसरी तरफ खाई जैसी हो गई है। गांव को बाढ़ का पानी चारों तरफ से घेर चुका है, जिससे लोगों को घरों से सामान निकाल कर सुरक्षित ठौर पर ले जाना मुश्किल हो रहा है।
प्रशासन की ओर से कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है कि किसी भी तरह से लोग अपने समान को सुरक्षित एनएच 31 पर ले जा सकें। इसी बीच गंगा की फुफकारती लहरों ने करीब 1100 एकड़ में लगी मक्का और परवल की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है।
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