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20 महीने में बन जाएगा ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेस-वे, दिल्ली और बिहार से सीधी कनेक्टिविटी, JOB के बढ़ेंगे अवसर

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बलिया से लखनऊ, दिल्ली और बिहार तक कनेक्टिविटी मजबूत करने के लिए बनाया जा रहा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे 20 महीने में बन जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे के जरिए यूपी की बिहार से कनेक्टिविटी और बेहतर हो जाएगी। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। 31 अगस्त तक कंपनी चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। एक्सप्रेस-वे का निर्माण 4 फेज में किया जाएगा।

20 महीने में बन जाएगा एक्सप्रेस-वे – बता दें उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सड़कों और एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाया जा रहा है। इसी के तहत उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिले गाजीपुर से बलिया तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे की सौगात मिली है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना को NHAI ने ग्लोबल टेंडर किया है। 134.39 किलोमीटर लंबी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना 4 फेज में बनेगी और इसके लिए अलग-अलग निर्माण एजेंसी होंगी। चारों फेज के काम 2726.27 करोड़ रुपये की लागत से होंगे। इसके निर्माण के लिए समय भी निर्धारित किया गया है। परियोजना को पूरा करने के लिए 15 से 20 माह की समय सीमा रखी गई है। 31 अगस्त तक कंपनी चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई 60 मीटर होगी।

एक्सप्रेस-वे के डिजाइन को मंजूरी- शासन ने भूमि अधिग्रहण के लिए ई-टेंडर कर दिया है। जिले के 36 गांवों की मुआवजा दरें भी तय हो गई हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय नितिन गडकरी ने एक्सप्रेसवे की डिजाइन को स्वीकृति दे दी है। चितबड़ागांव में टोंस नदी पर एक पुल भी बनेगा। करीब 500 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे निर्माण का पहला फेज गाजीपुर में हृदयपुर से शाहपुर तक होगा। एक्सप्रेस-वे को गाजीपुर के उत्तरपुर गांव में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए डबल ट्रंप बनाएंगे। यहां पर वाहन चढ़ेंगे और उतारे जाएंगे। यह बलिया शहर से करीब 34 किलोमीटर दूर है।

फेज-एक : हृदयपुर से शाहपुर
42.50 किलोमीटर लंबाई
838.22 करोड़ स्वीकृत लागत

फेज-दो : शाहपुर से पिंडारी
35.65 किलोमीटर लंबाई
780.37 करोड़ स्वीकृत लागत

फेज-तीन : पिंडारी से रिविलगंज बाईपास
38.37 किलोमीटर लंबाई
799.81 करोड़ स्वीकृत लागत

फेज-चार : बक्सर के मुख्य मार्ग तक
17.27 किलोमीटर लंबाई
308.30 करोड़ स्वीकृत लागत

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का स्वीकृत ब्लू प्रिंट- एक्सप्रेस-वे NH-29 (गोरखपुर-वाराणसी हाईवे) पर गाजीपुर बाईपास के पास जंगीपुर से शुरू होगा, जो करीमुद्दीनपुर, चितबड़ागांव, फेफना, माल्देपुर, हल्दी व बैरिया होते हुए चांददियर फिर मांझी घाट तक। इसे बलिया शहर के बाहर से गुजारेंगे, इसके लिए बाईपास भी प्रस्तावित है। इस रूट पर NH-29 और NH-19 (गाजीपुर-बलिया-छपरा हाईवे) सीधे जुड़ रहे हैं।

हरे-भरे इलाकों से गुजरेगा – ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का तात्पर्य उस एक्सप्रेस वे से है, जो हरे-भरे इलाकों से होकर गुजरते हैं। इन्हें ग्रीन कारिडोर भी कहा जाता है। मतलब ऐसी जगह, जहां पहले कभी सड़क न रही हो, इसके लिए कोई बिल्डिंग या सड़क तोड़ने का झंझट भी नहीं होता। हाईवे के किनारे हरे-भरे पौधे भी लगाए जाएंगे। इसके लिए अलग से धनराशि स्वीकृत है।

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निकाय चुनाव को लेकर फिर टली सुनवाई, अब 27 मार्च को आ सकता है फैसला

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यूपी में निकाय चुनाव को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी। आज होने वाली सुनवाई टल गई है। इसका मतलब ये है कि यूपी निकाय चुनाव में अभी और देरी हो सकती है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर मेयर और अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण किया जाना है। हाईकोर्ट के आदेश पर गठित उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें पिछड़ों को आरक्षण देने का फार्मूला दिया गया है।राज्य सरकार ने इसी रिपोर्ट को पेश करते हुए निकाय चुनाव की अनुमति मांगी है, इस मामले में अब सुनवाई 27 मार्च को होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर निगम में आरक्षण बदल सकता है। अगर ऐसा होता है तो राजनितिक दलों को एक बार फिर नए सिरे से तैयारी करनी पड़ेगी।

इधर नगर विकास विभाग अप्रैल और मई तक चुनावी प्रक्रिया को पूरी करना चाह रहा है। यूपी नगर निगम नियमावली और नगर पालिका परिषद नियमावली में संशोधन भी कर सकता है। जिससे पिछड़े को 27 फीसदी आरक्षण देने की स्थिति पूरी तरह से साफ जाए। संशोधन की स्थिति में इसे कैबिनेट से मंजूर कराया जाएगा।

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बलिया में मृत महिला की भूमि रजिस्ट्री मामले में 5 नामजद और 1 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

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बलिया के बांसडीह तहसील में मृत महिला की भूमि रजिस्ट्री के मामले में पांच नामजद और एक अज्ञात पर मुकदमा दर्ज हुआ है। मामला 40 साल पुराना है।

बता दें कि कोतवाली क्षेत्र के किसुनीपुर निवासी तिलेश्वरी देवी पत्नी शिवनंदन लाल की मौत 1984 में हो गई थी। उनकी एक पुत्री है। तिलेश्वरी देवी की मौत के बाद उनके वारिस के द्वारी उनकी भूमि की खतौनी पर अपना नाम दर्ज नहीं कराया गया।बीत नवंबर माह में भूमाफियाओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर मृत तिलेश्वरी देवी के स्थान पर एक महिला को खड़ा करके सुल्तानपुर चक्की दीयर स्थित 16 बीघे से ज्यादा रकबा की जमीन की रजिस्ट्री कुछ लोगों को करवा दी। इसके बाद कस्बा स्थित एक बैंक से तीन लाख का लोन भी ले लिया।

इस मामले में मृत महिला के नाती गिरीशचंद्र श्रीवास्तव ने शिकायत की है। मृतका के लड़की का पुत्र गिरीशचंद्र श्रीवास्तव तहसील और बैंक से सभी दस्तावेज निकलवाने के बाद पांच नामजद व एक अज्ञात के खिलाफ शिकायत की है। थाना प्रभारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की जा रही हैं। मामला प्रकाश में आने पर अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मची है। वहीं दूसरी तरफ फर्जी जमीन रजिस्ट्री कराने की जानकारी होने पर जमीन खरीदने वालों के होश उड़ गए। उन्होंने रजिस्ट्री कैंसल करवाने का आवेदन न्यायालय में दिया हैं।

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बलिया – स्वच्छता सर्वेक्षण 2023: इस बार अंक बढ़े, जानिए कैसे तय की जाती रैंकिंग

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बलिया। स्वच्छता में अव्वल आने के लिए अभी से तैयारी तेज हो गई हैं। नगर निकायों में स्वच्छता की रैंकिंग के लिए एक बार फिर से सर्वे जल्द ही शुरू होने वाला है। इस बार निकायों की रैंकिंग 9500 अंकों में प्राप्त अंकों के आधार पर होगी। जबकि पिछली बार 7500 में प्राप्त अंकों के आधार पर ही हुई थीं।

बलिया में 12 नगर निकायों में दो नगर पालिका और 10 नगर पंचायत हैं। 2022 के सर्वे में नगर पालिका ने एक लाख से 10 लाख की आबादी वाले नगर निकाय में 200 रैंक हासिल किए थे। स्टेट रैंकिंग में जिले को 33वां स्थान मिला । जबकि जोनल रैकिंग में नगर पालिका रसड़ा ने 173 के अलावा नगर पंचायत बैरिया ने 111, बांसडीह ने 136, चितबड़ा गांव 240, रेवती 32, बेल्थरारोड 90, मनियर 224, सहतवार 109 और सिंकंदरपुर ने 119वां रैक हासिल किया था।

इस आधार पर होगी रैंकिंग- स्वच्छ भारत मिशन के जिला कोआर्डिनेटर सत्यानंद के मुताबिक़ सर्विस लेवल प्रोग्रेस (SLP) के तहत नगर निकायों में स्वच्छता के लिए किए जा रहे कार्यों का आंकलन होगा। सर्टिफिकेशन में नगर निकायों को विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट्स को प्राप्त करना है। जिसमें ओडीएफ, जीएफसी, सफाई मित्र जैसे प्रमाणपत्र शामिल हैं। फीडबैक में स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत एजेंसी सफाई को लेकर विभिन्न माध्यमों से आम नागरिकों की प्रतिक्रिया लेगी। इसमें निकाय की कुल आबादी के 3% प्रतिक्रिया ली जाएगी।

फीडबैक के लिए सवाल – जनता से पूछा जायेगा कि क्या आप अपने शहर को पहले से ज्यादा साफ-सुधरा पाते हैं? क्या आप डोर टू डोर कचरा प्रबंधन से संतुष्ट हैं?, क्या आप कचरा संग्रहकर्ता को अलग कचरा देते हैं?, क्या आप देखते हैं कि कचरे को जिम्मेदारी से प्रबंधन करने में लोगों का व्यवहार बदला है? क्या आप देखते हैं कि लोग अब खुले में शौच, पेशाब के प्रति अधिक संवेदनशील हैं? क्या आप पाते हैं कि सार्वजनिक-सामुदायिक शौचालय पहले की तुलना में अधिक सुलभ और स्वच्छ हैं? क्या आप देखते हैं कि सीवर लाइन बंद होने या सेप्टिक टैंकों से कीचड़ निकालने से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है?

सर्वेक्षण में ऐसे हो सकते शामिल – स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर के आम नागरिक स्वच्छता एप, स्वच्छ सर्वेक्षण की वेबसाइट और टीम के आने के बाद कागज पर लिखकर भी अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। सर्वेक्षण में उम्रवार प्रश्न पूछे जाएंगे सबसे ज्यादा भरोसा वरीय नागरिकों (60 वर्ष से ऊपर) पर किया गया है। ये 400 अंकों के लिए स्वच्छता एप पर फीडबैक देंगे।

वहीं 15-29 वर्ष के युवाओं से 11 प्रश्न पूछे जाएंगे। 30 से 59 वर्ष वालों से हर प्रकार के सवाल किए जाएंगे। इनसे मिले जवाब के आधार पर ही शहर की रैंकिंग होगी। 3 श्रेणी में 4-4 प्रश्नों का जवाब देना है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सतत स्वच्छता पर पूछे जाने वाले 4-4 सवाल 40-40 और जागरूकता पर आधारित 4 सवाल 20-20 अंकों के होते हैं। निर्धारित मापदंडों के आधार पर सर्वेक्षण होगा।

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