बलिया- उत्तरप्रदेश में बीजेपी की योगी सरकार आने के बाद यहां की जनता को बदलाव की उम्मीद थी लेकिन लगता है कि सारी सरकारें एक ही ढर्रे पर चलती हैं। उत्तरप्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं की हक़ीक़त सबके सामने है।
सरकारी अस्पतालों की बदहाली किसी से छुपी नहीं। इलाज में लापरवाही तो कभी ज़रूरी स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से ना जाने कितने मरीज़ बेवक़्त मौत की नींद सो जाते हैं।
बलिया ज़िला के नगरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी अव्यवस्थाओं की भरमार है। 2007 में करोड़ों रुपये की लागत से बने इस अस्पताल में मरीजों को देखने के लिए सिर्फ़ एक डॉक्टर है। जबकि 2007 में यहां 6 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई थी।
फिलहाल यहां के सैंकड़ों मरीजों के इलाज का ज़िम्मा डॉ अमित पर है। हैरत की बात ये है कि करोड़ों रुपये से बने इस अस्पताल में मरीज़ परेशान होते हैं और उन्हें इलाज के लिए आसपास के बड़े अस्पतालों का रुख करना पड़ता है और किसी जनप्रतिनिधि ने ये मुद्दा उठाया नहीं। ना ही अस्पताल में स्टॉफ की कमी के बारे में किसी ने आवाज़ उठाई है।
करीब एक करोड़ की अधिक लागत से बना नगरा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है। विगत 13 जुलाई 2010 में जब तत्कालीन डीएम सेंथिल पांडियन सी की मौजूदगी में तत्कालीन विधायक सनातन पाण्डेय ने इस सीएचसी का लोकार्पण किया तो क्षेत्रवासियों को लगा कि उनकी स्वास्थ्य संबंधी सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी।
स्थिति यह है कि लोग आज भी उपचार के लिए मऊ व वाराणसी का चक्कर काट कर शोषण का शिकार हो रहे हैं। कहने को तो यहां पर पांच चिकित्सकों सहित 22 का स्टाफ है लेकिन अधीक्षक डा. एके राय के भरोसे पर ही सीएचसी चल रहा है।
तमाम दुर्व्यवस्था व असुविधाओं के बावजूद प्रतिदिन दो से तीन सौ तक मरीज देखे जाते हैं। अस्पताल का आपरेशन थियेटर अस्त-व्यस्त अवस्था में है। कोई सर्जन न होने से किसी तरह का आपरेशन नहीं हो पाता है। अस्पताल का जेनरेटर वर्षो से खराब पड़ा हुआ है। लैब में जांच के लिए आवश्यक केमिकल भी उपलब्ध नहीं है। एक्सरे टेक्निशियन की नियुक्ति तो है लेकिन एक्सरे मशीन ही नहीं है। अस्पताल की खिड़कियों पर लगे कांच को अवांछनीय तत्वों ने तोड़ दिया है। अस्पताल में बिजली, पानी तक नहीं
सीएचसी की सारी वायर को चोरों ने तहस-नहस कर दिया है। इससे बिजली की सप्लाई नहीं होती है। यहां लगी पानी की टंकी को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। इससे अस्पताल में पानी की आपूर्ति ठप है।
हैरान करमें वाली बात ये भी है की बाउंड्री व सड़क तक नहीं है । आरोप है कि अस्पताल के निर्माण मे काफी गोलमाल हुआ है। इसी के चलते बाउंड्री नहीं बन पाई है। अस्पताल तक जाने के लिए एक अदद सड़क भी नहीं है। बरसात के दिनों में सीएचसी तक आने जाने में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वही डॉ अमित रॉय ने बलिया खबर से बात करते हुए बताया की चिकित्सकों का आवास भी अधुरा है । न ही खिड़की हैं और न ही उसमें दरवाजा ही लगा है। सभी आवास शोहदों का अड्डा बन गया है। विभागीय लोग बताते हैं कि ये आवास अभी तक स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित भी नहीं किए गए हैं।
सीएचसी के नाम पर किसी तरह का कोई बजट नहीं आता है। मरम्मत आदि जो भी कार्य होता है उसे अपने वेतन से कराते हैं। सुविधाओं को लिए लगातार विभाग को लिखा जाता है। इसके बावजूद भी हमें जो जिम्मेदारी मिली है उसमें कोई कमी नहीं रखते।
वहीँ जब बलिया खबर ने जिला चिकित्सा अधिकारी से फ़ोन पर बात करने की कोशिश की तो वो फ़ोन उठाने में असमर्थ रहे ।
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