बलिया- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार जो झटका देते हुए बलिया में 14 सरकारी वकीलो की नियुक्ति अवैध बताते हुए रद्द कर दिया है। 2017 में हुई इन नियुक्ति पर कोर्ट ने शुरू से ही कड़ा रुख अपनाया था।
इलाहाबाद कोर्ट ने यूपी सरकार को जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए 51 नामो में से 4 माह में नई नियुक्ति का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान नियुक्ति विज्ञापन के पहले कार्यरत वकीलो को आबद्ध किया जाय।
कोर्ट ने राज्य सचिवालय के न्यायिक अधिकारियो व जिलाधिकारी के कार्यप्रणाली की तीखी आलोचना की है और कहा है कि न्यायिक अधिकारियो, जिनपर सरकार को सही क़ानूनी सलाह देने का दायित्व है,ने कानून के खिलाफ कार्य करने में सहयोग दिया।
आप को बता दें की बलिया के पूर्व सरकारी वकील सन्तोष कुमार पांडेय की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति पी के एस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने कानून मंत्री के आदेश पर मनमाने ढंग से की गयी नियुक्ति रद्द कर दी। 14 लोगो को 14-14 दिन की ड्यूटी के आधार पर सरकार ने सरकारी वकील नियुक्त किया था। ऐसा करने में क़ानूनी प्राक्रिया की पूरी तरह से अनदेखी की गयी।
जानकारी के लिए बता दें की बलिया में आठ दिसंबर 2017 को डीजीसी, एडीजीसी और सहायक डीजीसी के पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। प्राप्त आवेदनों में से जिलाधिकारी ने जिला जज के परामर्श से 50 नामों की संस्तुति कर विधि परामर्शी कार्यालय को भेजा था।
मगर इसकी अनदेखी कर 19 नाम भेज दिए गए जिनमें किसी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ था। जिलाधिकारी ने इस पर आपत्ति की मगर मंत्री का निर्देश होने के कारण 19 में से 14 की नियुक्तियां कर दी गई। कोर्ट का कहना था कि सरकार में बैठे न्यायिक अधिकारियों ने विधि विरुद्ध प्रक्रिया अपनाई है। जबकि इनका काम सरकार को सही सलाह देना है।
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