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डॉक्टरों की भारी कमी से जूझता बलिया !

बलिया में इन दिनों डॉक्टरों की भारी कमी है। हालात यह हैं कि जिले से 20 डॉक्टरों को रिलीव किया जा चुका है, पर आए सिर्फ सात डॉक्टर ही हैं। ऐसे में जिला स्तर से लेकर गांव देहात तक स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी हो गई हैं।
मरीज इलाज कराने इधर-उधर भटकते दिखाई दे रहे हैं। डॉक्टरों के अभाव में मरीज दूसरे जिलों में जाकर अपना इलाज करवाने को मजबूर हैं। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रदेश स्तर पर बड़ी संख्या में डॉक्टर्स, स्टाफ नर्सों का तबादला किया गया है।
जिले के भी कई डॉक्टर दूसरे जिले में भेज दिए गए हैं और नए डॉक्टरों की तैनाती का कुछ पता नहीं है। मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीन रोग विशेषज्ञों के 136 स्वीकृत पदों में से 116 पद खाली पड़े हैं केवल 20 डॉक्टर ही जिले की कमान संभाले हुए हैं।
अस्पतालों में डॉक्टर्स की स्थिति पर नजर डालें तो जनरल सर्जन के 17 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से 12 पद खाली हैं, केवल 5 डॉक्टर की ही तैनाती है। जिले में एक भी जनरल फिजीशियन नहीं है, जबकि 17 पद स्वीकृत हैं। 17 पदों के सापेक्ष केवल एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ है। निष्चेतक के 12 पद खाली पड़े हैं। जिले में एक भी रेजियोलॉजिस्ट नहीं है। 17-17 पदों के सापेक्ष केवल 2-2 ही दंत शल्यक और नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। बाल रोग विशेषज्ञ के भी 12 पद खाली पड़े हैं।
ऐसे में न सिर्फ मरीज परेशान हो रहे हैं बल्कि डॉक्टर्स पर भी काम का भार बढ़ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज पहुंचते हैं, इनमें से 70 फीसदी मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है। सीएमओ डॉक्टर जयंत कुमार का कहना है कि चिकित्सकों के तबादले शासन स्तर से किए गए हैं। सात डॉक्टरों ने कार्यभार संम्भाल लिया है। जल्द ही और डॉक्टर आ जाएंगे।


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बलिया में 23 साल से नौकरी कर रहा धोखेबाज शिक्षक बर्खास्त, जन्मतिथि में 7 साल का किया हेरफेर

बलिया। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूल में 23 साल से भी अधिक समय से नौकरी कर रहे धोखेबाज शिक्षक को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बर्खास्त कर दिया। उसने अलग-अलग शिक्षण संस्थानों से परीक्षा देकर अपने जन्म तिथि में सात साल का हेरफेर किया है। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश खंड शिक्षा अधिकारी को दिया गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी मनिराम सिंह की ओर से मंगलवार की शाम जारी सेवा समाप्ति आदेश के अनुसार रसड़ा क्षेत्र के जाम गांव निवासी ब्रजनाथ राम की नियुक्ति एक जुलाई 1999 को बेसिक शिक्षा परिषद में सहायक अध्यापक के पद पर हुई थी। वे पिछले कुछ वर्षों से जूनियर हाईस्कूल महाराजपुर, शिक्षा क्षेत्र रसड़ा में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थे। ब्रजनाथ के खिलाफ उन्हीं के गांव के श्रीराम नारायण गोंड पिछले करीब एक साल से डीएम व बीएसए से शिकायत कर रहे थे। उन्होंने अंतिम शिकायत सात नवम्बर 2022 को जिलाधिकारी से की थी, जिसमें आरोप लगाया था कि ब्रजनाथ राम की दो तरह की जन्मतिथि है। पहली एक दिसंबर 1953 और दूसरी एक दिसंबर 1960। इस संबंध में उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराये गए पुख्ता प्रमाण भी दिए थे। बीएसए ने शिकायतों की जांच रसड़ा के खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से विभिन्न स्तर पर कराई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मानव संपदा पर अपलोड अभिलेखों व सेवा पुस्तिका में उनकी जन्मतिथि एक दिसंबर 1960 है, जबकि उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार उन्होंने अमर शहीद भगत सिंह इंटर कॉलेज, रसड़ा से 1972 में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है जिसमें उनकी जन्मतिथि एक दिसंबर 1953 है। बाद में राधामोहन संस्कृत महाविद्यालय, बैरिया से पूर्व मध्यमा की परीक्षा 1975 में पास की है।
यहां उनकी जन्मतिथि एक दिसंबर 1960 है। इस प्रकार अलग-अलग विद्यालयों से जन्मतिथि में परिवर्तन करके उनके द्वारा परीक्षा दी गयी है। बीएसए के अनुसार उत्तर प्रदेश सेवा में भर्ती नियमावली 1974 में उल्लिखित है कि सरकारी सेवक की जन्मतिथि हाईस्कूल या समकक्ष परीक्षा के प्रमाण पत्र में अभिलिखित हो मानी जाएगी। ब्रजनाथ राम ने हाईस्कूल की परीक्षा अमर शहीद भगत सिंह इका, रसड़ा से 1972 में उत्तीर्ण कर ली थी और इस तथ्य को छिपाकर 1975 में राधामोहन संस्कृत महाविद्यालय बैरिया से जन्मतिथि परिवर्तित करके पूर्व मध्यमा परीक्षा पास की। यदि दो विद्यालयों से एक ही परीक्षा अलग-अलग वर्षों में उत्तीर्ण करने को नजर अंदाज भी कर दिया जाए तो जन्मतिथि में हेरा-फेरी करके परिवर्तन किया जाना नियम विरुद्ध है।
ऐसे में स्पष्ट है कि ब्रजनाथ राम तथ्यों को छिपाकर विभाग को धोखा देकर बीटीसी परीक्षा उत्तीर्ण करके गलत तरीके से सेवा में बने हुए हैं। उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान किया जा चुका है। अब उनके सेवा में बने रहने का कोई नैतिक एवं विधिक आधार नहीं रह गया है।
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बलियाः स्पार्किंग से निकली चिंगारी, 12 बीघा गेहूं की फसल जलकर खाक

बलियाः रसड़ा के अमरपट्टी उत्तर में 8 किसानों की करीब 12 बीघा गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई। किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया। आनन-फानन में पहुंचे ग्रामीणों ने आग बुझाने की कोशिश की।
फायर बिग्रेड को सूचना दी लेकिन रास्ते की दिक्कत की वजह से गाड़ी मौके पर पहुंचने में देर हो गई। इस बीच सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने अपने अथक प्रयास से आग को बुझाया। इस कारण अन्य किसानों की फसल खराब होने से बच गई।आग लगने का कारण हाईटेंशन तार की स्पार्किंग से निकली चिंगारी थी। बताया जा रहा है कि गांव में किसानों के खेत के पास से गुजर रही एचटी तार काफी दिनों लूज होकर लटका हुआ है। तेज हवाओं के दौरान तार आपस में टकराकर स्पार्किंग करने लगा और उससे निकली चिंगारी पास के अजय सिंह की गेहूं की फसल में लग गई।
धीरे-धीरे पूरे खेत में आग फैल गई। आग की लपटें इतनी तेज थी कि आसपास के लल्लन सिंह, गौरीशंकर सिंह, विदू सिंह, संजय सिंह, आनंद सिंह, राकेश सिंह व सुनील सिंह के खेत में बोयी करीब बारह बीघा गेहूं की खड़ी फसल आग की भेंट चढ़ गई।
इस बीच मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने पानी डालकर आग पर किसी तरह काबू पाया। इस घटना के लिए पीड़ित किसानों ने बिजली विभाग पर आरोप लगाते उन्हें जिम्मेदार ठहराया है। ग्रामीणों का कहना है कि तार काफी दिनों से लूज होकर लटका हुआ है। इसे ठीक करने की मांग कई बार की चुकी है लेकिन बिजली विभाग ने ध्यान नहीं दिया।
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अचानक पहुँचे बलिया डीएम! कई कर्मियों पर गिरेगी गाज, विद्यालय पर बंद तो अस्पताल पर लापता मिले कर्मचारी!

बलिया। जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने शिक्षा क्षेत्र गड़वार के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय चांदपुर का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान विद्यालय में ताला बंद मिला। इस पर नाराज़ ज़िलाधिकारी ने प्रधानाध्यापक भानु प्रकाश पांडे और सहायक अध्यापक संतोष कुमार पर विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश बीएससी मनीराम सिंह को दिया।खंड शिक्षा अधिकारी गड़वार से भी स्पष्टीकरण तलब किया।
जिलाधिकारी ने सीएचसी फेफना का भी निरीक्षण किया।इस दौरान चीफ फार्मासिस्ट व वार्ड बॉय अनुपस्थित मिले। सीएससी पर उपस्थित स्टाफ नर्स अनीता पटेल ने बताया कि यह अस्पताल बंद है। जिलाधिकारी ने चीफ फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय का वेतन रोकने का निर्देश सीएमओ जयंत कुमार को दिया।इसके बाद आरोग्य केंद्र नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,गड़वार का भी निरीक्षण किया गया। उपस्थिति पुस्तिका की जांच में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी चंद्रभान रावत, सुनील कुमार और डॉक्टर एस के पांडे अनुपस्थित मिले। ओपीडी रजिस्टर भी डॉक्टर एनके पांडे के द्वारा तैयार नहीं किया गया था। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि डॉक्टर एनके पांडे पर कठोर कार्रवाई करते हुए इनके निलंबन की कार्रवाई हेतु पत्र शासन को भेजा जाए।
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