Connect with us

featured

बलिया- राज्यमंत्री के क्षेत्र में बेखौफ खनन माफिया, धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन

Published

on

बलिया डेस्क : जिले के एक छोर में इन दिनों गंगा का कटान तबाही मचा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बेखौफ खनन माफिया बेरोकटोक खनन के कार्य को अंजाम दे रहे हैं. जिले में एक भी ऐसा गंगा और घाघरा नदी का घाट नहीं, जहां मिट्टी खनन का कार्य न होता हो. सूत्र की मानें तो पुलिस और खनन विभाग की मिलीभगत से ही खनन का खेल हो रहा है. शनिवार को इसी तरह सागरपाली सेमरा घाट पर बेरोकटोक बालू खनन का खेल जारी था, जिसको बलिया खबर की टीम ने अपने कैमरे में कैद किया है. गौरतलब हो कि उपरोक्त घाट प्रदेश सरकार राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार उपेंद्र तिवारी के विस क्षेत्र में आता है. ये तो सिर्फ बानगी है पूरे जनपद में गंगा और घाघरा किनारे नदी का हाल यही है. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में इसी खनन के चलते स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो सकती है.

.्
गौरतलब हो कि जनपद बलिया में खनन माफिया अन्य जनपदों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही सक्रिय है और हो भी क्यों ना, लोकल पुलिस की मिलीभगत जो है इसमें. सूत्र की मानें तो पुलिस भी खनन विभाग की नजर से खनन करने वाले गिरोह को बचाने के लिए सुबह का वक्त मुकम्मल किया है. आप किसी भी गंगा या घाघरा तट पर चले जाइए, वहां आपको सुबह चार से छह बजे तक बेरोकटोक खनन का कार्य देखने को मिलेगा. खनन करने वाले गिरोह का आलम यह है कि ये गिरोह हमेशा दस या 12 के झुंड में रहते हैं यदि कभी कोई विरोध भी करते हैं तो ये गिरोह उस पर टूट पड़ते है, जरूरत पड़ने पर जान भी ले लेते हैं.

फेफना इलाके के घाटों पर सबसे ज्यादा हो रहा खनन
वैसे तो पूरे जनपद के हर गंगा तटों पर खनन का कार्य जारी है, लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा खनन सागरपाली के सेमरा घाट, हसनपुरा घाट, अंजोरपुर घाट, माल्देपुर घाट पर जारी है. यहां तड़के सुबह चार बजे से ही खनन का कार्य शुरू हो जाता है और सुबह आठ बजते-बजते हर तटों से सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर ट्राली मिट्टी ढो कर ठिकाने में पहुंचा देते हैं.


चौकी के सामने से ही गुजरती है ट्रैक्टर ट्राली
गौरतलब हो कि सागरपाली के सेमरा घाट जाने के लिए जिस सड़क का इस्तेमाल होता है उसी रोड पर एनएच से सटे सागरपाली चट्टी पर सागरपाली चौकी भी स्थापित की गई है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उन्हीं के सामने मिट्टी खनन कर ट्रैक्टर-ट्राली पास होती है, लेकिन पुलिसकर्मियों की नजरें उस पर इनायत नहीं होती है. ऐसे में आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि स्थिति क्या है और कैसी है.

एसओ ने झाड़ लिया पल्ला तो एएसपी बोले होगी कार्रवाई
खनन के सिलसिले में जब फेफना थानाध्यक्ष से बलिया खबर की टीम ने बात की और सूचना दिया तो फेफना एसओ ने बताया कि मिट्टी खनन देखने का कार्य मेरा नहीं है, ये खनन विभाग का मामला है वही संभालेंगे, यदि खनन विभाग आता है तो ही हम गंगा तट पर जाएंगे. इस पर जब एएसपी संजय कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि मैं अभी एसओ को फोन कर रहा हूं, ऐसे लापरवाह एसओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही मैं घटनाक्रम से संबंधित विभाग को अवगत करा दे रहा हूं, बाकी आप भी डीएम, एडीएम और खनन अधिकारी से बात करके जिस जगह पर खनन हो रहा है. अवगत करा दीजिए.

वहीँ एएसपी रामआसरे ने कहा कि  मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, यदि घाटों पर खनन का कार्य हो रहा है तो इसकी जांच की संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

featured

बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित

Published

on

बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।

जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।

जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।

बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।

Continue Reading

featured

बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

Published

on

आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

Continue Reading

featured

बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज

Published

on

बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।

तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

Continue Reading

TRENDING STORIES

error: Content is protected !!