बलिया। राजनीति की नर्सरी मानी जाने वाली बागी बलिया जिले में विकास की नहीं, सिर्फ पॉलिटिकल पॉवर की बात होती है। युवा तुर्क नेता चंद्रशेखर के रूप में देश को पीएम देने वाला बलिया वर्तमान समय में चार सांसद व तीन मंत्री का जनपद है। जनपद में पांच सत्ताधारी विधायक भी है और यूपी विधानसभा के प्रतिपक्ष नेता की बागडोर भी बलिया के ही सपूत के हाथों में है।
बावजूद इसके विकास के नाम पर अब तक यह जनपद शुद्ध पेयजल व चिकित्सा जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए ही तरस रहा है। जनपद के आर्थिक समृद्धि के लिये न तो यहां कल-कारखानों की स्थापना के लिये गंभीरता से योजना बनाकर जमीनी स्तर पर इसे मूर्त रूप देने की कोशिश की गई और न ही देश में पर्यटन के मानचित्र पर ही बलिया को वाजिब स्थान मिल सका।
हर साल जिलेवासी प्राकृतिक आपदा गंगा, घाघरा, टोंस नदी के बाढ़ व कटान का दंश झेलने को विवश हैं। वहीं त्रासदपूर्ण पहलू यह भी है कि देश को आजादी मिलने के बाद भी पहले स्वाधीनता संग्राम के नायक मंगल पांडेय व संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण के गृह जनपद के निवासी आर्सेनिकयुक्त जहरीला पानी पीने के लिये अभिशप्त हैं। आर्सेनिक पानी से निजात दिलाने के लिए भी कोई कारगर प्रयास नहीं हो सका है ताकि जिले के लोगो को शुद्ध जल मुहैया हो सके। यह स्थिति तब है जबकि जहरीला पानी पीने के कारण जनपद की अधिकांश आबादी पेट व गुर्दा के गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इसके साथ ही दर्जनों लोग गम्भीर बीमारी से ग्रसित होकर असमय ही परलोक सिधार चुके हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जिले की स्थिति अत्यंत नारकीय है। जनपद में किसी भी गम्भीर बीमारी से निपटने के लिये कोई माकूल चिकित्सकीय व्यवस्था न होने से लोग इलाज के लिए वाराणसी, गोरखपुर व लखनऊ जाने को विवश हैं।
जनपद में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के स्थापना से शिक्षा के हालात सुधरने की उम्मीद तो जगी है किन्तु अब तक यूनिवर्सिटी की आधारभूत संरचना तक खड़ी नहीं हो सकी है।
हां, जब तक जनपद को पॉलिटिकल पावर के रूप में गर्व से सीना चौड़ा करने का मौका जरूर मिलता है। करीब तीन वर्ष पूर्व देश में उज्जवला योजना की शुरूआत पीएम नरेंद्र मोदी ने बलिया जनपद से की तो जिले की चर्चा पूरे देश में हुई।
बलिया -वाराणसी रेल प्रखंड के विद्युतीकरण होने से बलिया ने विकास के क्षेत्र में एक कदम जरूर बढ़ाया है, लेकिन जब तक जनपद के पिछड़ेपन को दृष्टिगत रखते हुए विकास की योजनाओं को मूर्त रूप नहीं दिया जाएगा, तब तक मंगल पांडेय व लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जिला विकास के नक्शे पर नहीं स्थान पा सकेगा। इधर 2019 में सत्तासीन भाजपा, सपा—बसपा गठबंधन अन्य पार्टियां चुनाव की तैयारी के लिए कमर कस चुके है। सभी अपनी अपनी बिसात बैठाना आरम्भ भी कर चुके है। अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां कौन का फैक्टर काम आता हैं। वैसे सत्ता के लिए सभी ने दावेदारी शुरू कर दी है।
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